रुपए 4,174 करोड़ के राइट इश्यू केजरिए टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी में 33 फीसदी हिस्सेदारी की विघटन एक अच्छा समाचार है यद्यपि बाजार इससे पहले ही परिचित रहा है।
जिस प्रीमियम पर यह इश्यू आ रहा है, उस पर 33 फीसदी हिस्सेदारी का विघटन भी कम नहीं है। यह पहले के 450 से 500 रुपए के अनुमानित स्तर से काफी कम है। कंपनी को इसके लिए थोड़ा इंतजार कर सकती थी जब तक कि बाजार में उसके शेयर को बेहतर प्रीमिएम मिल जाता।
इन सबके बाद कंपनी ने जगुआर और लैंड रोवर खरीदने के लिए तीन अरब डॉलर का ब्रिज लोन लिया है,उसे इंट्रेस्ट के लिहाज से 5.5 फीसदी पड़ेगा, जो कि मौजूदा माहौल में सस्ता है। टाटा मोटर्स भी यदि अगले साल जून तक कर्ज को पूरा करना चाहती तो भी टाटा मोटर्स के लिए उचित लागत पर उधारी मिलना कठिन नहीं होना चाहिए जब तक कि बाजार सुधर जाता।
इसके अतिरिक्त विश्लेषकों का अनुमान जगुआर और लैंड रोवर के कम वॉल्यूम का भी है क्योंकि अमेरिका में इस समय मंदी के हालात हैं जहां पर जेएलआर की 40 से 45 फीसदी बिक्री होती है। लैंड रोवर का वॉल्यूम पिछले कुछ महीनों से धीमा रहा है जबकि दोनों की संयुक्त रूप से ऑपरेटिंग प्रॉफिट में इसकी करीब 85 से 90 फीसदी की हिस्सेदारी है।
जेएलआर का ऑपरेटिंग परफारमेंस पिछले कुछ सालों के दौरान सुधर रहा है। कंपनी का इबिट मार्जिन वित्तीय वर्ष 2005 में चार फीसदी के नकारात्मक स्तर से वित्त्तीय वर्ष 2007 में 4.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। जेएलआर की बैलेंस बुक इससमय कर्ज मुक्त है लेकिन कुछ उधारी अभी की जानी है। इसके अतिरिक्त टाटा को छह करोड़ डॉलर की राशि को भी पूरा करना है जिसे फोर्ड पेंशन फंड में लगाएगा।
जनवरी से मई 2008 के बीच जेएलआर का करों की देनदारी के पहले लाभ 7.1 फीसदी रहा। यह वित्त्तीय वर्ष 2008 की पहली तिमाही के 10 फीसदी से कम है। समय का नुकसान और नैनों की लांचिंग में हुई देरी से हुए पूंजी का नुकसान कंपनी की वित्त्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है। जब तक नए मॉडल अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं तब तक टाटा मोटर्स की बिक्री के कमजोर बने रहने की संभावना है।
देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी के प्रदर्शन से बाजार की परेशानी बनी रह सकती है। इस लिहाज से टाटा मोटर्स को वित्तीय वर्ष 2009 में 2,100 करोड़ का संचित लाभ प्राप्त होने का अनुमान है जबकि कंपनी को 41,000 करोड़ के करीब राजस्व प्राप्त होना चाहिए। राइट इश्यू में दो कैटेगरी बनाई गई हैं।
साधारण शेयरों के लिए राइट इश्यू प्राइस 340 रुपए है जबकि ए प्लस शेयरों के मूल्य 305 रुपए पर मिलेगा। कंपनी प्रति छह शेयरों पर एक शेयर देगी। मौजूदा बाजार मूल्य 430 रुपए पर एक निवेशक जो दोनों तरह के शेयरों को रखता है, को शेयर की औसत लागत 403 रुपए पड़ेगी।
इस स्तर पर टाटा मोटर्स के शेयर का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 10 फीसदी के स्तर पर हो रहा है। जेएलआर को कुछ वैल्यू देने के बाद यह शेयर सस्ता होगा। मौजूदा चुनौतीपूर्ण कारोबारी माहौल और नैनो के लांच में देरी के चलते यह शेयर कहीं भी जा सकता है।