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टाटा पावर-उजाले की ओर

Last Updated- December 07, 2022 | 7:41 AM IST

टाटा पावर केवित्त्तीय वर्ष 2008 के परिणाम पहले से लगाए जा रहे कयासों से बेहतर रहे। वित्त्तीय वर्ष 2008 में कंपनी की बिजली की अच्छी बिक्री होने की वजह से इस कंपनी का लाभ बेहतर रहा।


कंपनी ने अपनी इंडोनेशिया में स्थित दो कोयले की खानों में 30 फीसदी की हिस्सेदारी से लाभांश अर्जित किया। कंपनी को इन कोयले की खानों में खरीदी गई हिस्सेदारी का फायदा मिल रहा है। पहली तीन तिमाहियों में कंपनी की स्टैंडएलोन टॉपलाइन ग्रोथ 10.5 फीसदी से 18.3 फीसदी के धीमे स्तर पर रही।

जबकि चौथी तिमाही में कंपनी की यह बढ़त 72.5 फीसदी की वृध्दि केसाथ 1,634.5 करोड़ पर पहुंच गई। विश्लेषकों का मानना है कि इसकी वजह कंपनी द्वारा बढ़ती तेल की कीमतों के बोझ को अपने ग्राहकों पर लाद देना रहा है। परिणामस्वरुप स्टैंडएलोन आधार पर कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 30.25 फीसदी बढ़कर 930.4 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया जबकि कंपनी के कुल राजस्व में 25.4 फीसदी का सुधार हुआ और यह 5,915.9 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया।

स्टैंडएलोन आधार पर कंपनी ने वित्त्तीय वर्ष 2008 में 14.95 अरब यूनिट की बिक्री की थी। कंपनी की यह बिक्री सालाना आधार पर 3.7 फीसदी अधिक रही। जबकि कंपनी की वापसी 3.9 रुपये प्रति यूनिट पर अनुमानित है जो कि सालाना आधार पर 21.9 फीसदी ज्यादा है। कंपनी की यह वापसी तेल की कीमतों में हुई 37.1 फीसदी की वृध्दि का बोझ अपने ग्राहकों पर देने से संभव हुई है।

इसके अलावा कंपनी ने अपनी लागत भी जबरदस्त नियंत्रण रखा। कंपनी की बिजली खरीदने में लगी लागत में 17.4 फीसदी की गिरावट आई और यह वित्त्तीय वर्ष 2008 में 548.87 करोड़ रहा। परिणामस्वरुप कंपनी का स्टैंडएलोन ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 0.5 फीसदी बढ़कर 15.7 फीसदी के स्तर पर आ गया। दूसरी ओर भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादक के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 0.55 फीसदी की गिरावट आई और यह 30.3 फीसदी के स्तर पर आ गया।

कंपनी को अपने कर्मचारियों पर ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ी। वित्त्तीय वर्ष 2008 के दौरान टाटा पावर का स्टैंडएलोन अन्य आय भी 35.6 फीसदी बढ़कर 465.8 करोड़ रुपये रही। इसमें कंपनी के कैपिटल गेन की हिस्सेदारी 310 करोड़ रुपये रही। कंपनी ने कैपिटल गेन अर्जित करने के लिए टाटा टेलीसर्विसेज महाराष्ट्र में अपनी हिस्सेदारी को 11 फीसदी से घटाकर आठ फीसदी कर दिया। इसके अलावा कंपनी ने पीटीसी इंडिया में भी अपनी हिस्सेदारी की बिक्री की।

परिणामस्वरुप कंपनी का स्टैंड अलोन पैट 24.85 फीसदी बढ़कर 869.9 करोड़ रुपये रहा। टाटा पावर की राजस्व बढ़त सालाना आधार पर 68.2 फीसदी बढ़कर 10,890.86 करोड़ रुपये रही। इसके अलावा कंपनी ने इंडोनेशिया की दो खानों से करीब 315 करोड क़ा लाभांश अर्जित किया। इसके अलावा कंपनी की अन्य अनुषंगी कंपनियां जैसे नई दिल्ली पावर के राजस्व में भी 11 फीसदी की राजस्व बढ़त देखी गई और यह 2,290 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

परिणामस्वरुप टाटा पावर का संचित आपरेटिंग प्रॉफिट 96.7 फीसदी बढ़कर 2,132 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके कंपनी को अपनी आपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन को भी 2.9 फीसदी बढ़ाकर 19.6 फीसदी तक पहुंचाने में मद्द मिली। कारोबार को बढ़ाने के लिए टाटा पावर अपनी क्षमता को वित्त्तीय वर्ष 2014 तक वर्तमान स्तर 2,368 मेगावॉट से बढ़ाकर 12,831 मेगावॉट के स्तर तक करने जा रही है।

हालांकि कंपनी अपनी क्षमता का प्रसार 2010 के बाद ही करेगी। आने वाले चार सालों में कंपनी करीब 24,000 करोड़ का निवेश कैपेक्स प्रोजेक्ट में करेगी जिनमें से 18,000 करोड़ रुपये बारोइिंग के जरिए इकठ्ठा किए जाएंगे। मौजूदा बाजार मूल्य 1,117.6 रुपये पर टाटा पावर के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 16.5 गुना के स्तर पर हो रहा है।

कंपनी के स्टॉक को इतना महत्व दिए जाने की वजह ग्रुप की अन्य कंपनियों टीसीएस और टाटा कम्यूनिकेशन में उसका निवेश है। दूसरी ओर 155.7 रुपये पर एनटीपीसी का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आय से 15.3 गुना केस्तर पर हो रहा है और इसका प्रदर्शन बाजार के माहौल के अनुसार रहना चाहिए।

First Published - June 25, 2008 | 10:15 PM IST

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