ऐसा नहीं है कि हम मार्च 2008 की तिमाही के मध्य में हैं लेकिन अभी भी कई बड़ी कंपनियों ने अपने नतीजों की घोषणा नहीं की है।
लेकिन उपलब्ध आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि आय अनुमानों के मुताबिक नहीं रहा है। बीएचईएल, जिसके कुल मुनाफे में केवल 15 प्रतिशत की वृध्दि हुई, के नतीजों के बाद एबीबी के कमजोर नतीजे आए जिसकी बिक्री में केवल 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इस बार कमजोर नतीजे जैसे आम हो गए। सीमेंस का परिचालन लाभ भी 86 प्रतिशत घटने की रिपोर्ट आई।
भारत की सबसे बड़ी बिजली निर्माता कंपनी एनटीपीसी के अस्थायी आंकड़े प्रदर्शित करते हैं कि वित्त वर्ष 2008 की चौथी तिमाही में इसका शुध्द लाभ समायोजना के बाद वास्तव में कम हुआ है। वॉल स्ट्रीट प्रमुख तकनीकी कंपनी टीसीएस के आय में तीन प्रतिशत के क्रमिक वृध्दि और ईबीआईटी मार्जिन में 140 आधार अंकों की गिरावट को लेकर चिंतित है।
पेट्रोकेम के कमजोर बाजार का असर रिलायंस इंडस्ट्रीज पर हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज अपना मार्जिन बरकरार नहीं रख पाई, यह 270 आधार अंक नीचे आ गया। उपभोक्ता कार नहीं खरीद रहे हैं यह मारुति की कहानी थी जिसके राजस्व में केवल नौ प्रतिशत की बढोतरी हुई।
नेस्ले और हिंदुस्तान यूनीलीवर अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम हैं लेकिन अन्य कंपनियों को इसके लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मजे की बात यह है कि उच्च कीमतों की वजह से हिंदुस्तान यूनीलीवर, डाबर और मैरिको के परिचालन मार्जिन में कमी आई है।
अब बैंकों की बात करते हैं। बैंकों के लोन खाते में भले ही वृध्दि हुई हो लेकिन मुनाफा में बढोतरी अपेक्षाकृत कम प्रावधानों और ट्रेजरी लाभों और कर की मदों से होने वाली आय से भी हुई है। शुध्द ब्याज मार्जिन ज्यादा अच्छे नहीं हैं क्योंकि एक तरफ जहां कैश रिजर्व रेशियो में वृध्दि हुई वहीं दूसरी ओर प्रधान उधारी दरों में साल के शुरुआत में कमी की गई थी। चिंता की बात तो परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में आई कमी है: भारतीय स्टेट बैंक ने कृषि क्षेत्र में उच्चतर गैर-निष्पादित ऋण दर्शाया है।
घातुओं की कहानी भी इससे अलग नहीं है। हिंडाल्को के परिचालन मार्जिन में 600 आधार अंकों की कमी आई थी जिसकी वजह वसूली और अपेक्षाकृत अधिक मूल्य रथा। रिलायंस कम्युनिकेशंस की आय में केवल पांच प्रतिशत की क्रमिक वृध्दि हुई और दवा निर्माता प्रमुख कंपनी ने भी मार्जिन में केवल 240 आधार अंकों की बढ़त दर्ज की, यह दर पिछली तिमाहियों की तुलना में कम है।
रियल एस्टेट के क्षेत्र में बाजार में अग्रणी डीएलएफ का लाभ मार्च की तिमाही में केवल 1.5 प्रतिशत की क्रमिक वृध्दि हुई और परिचालन मार्जिन में 500 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई।
ब्रॉडकास्टिंग कंपनी जी के टॉपलाइन में 33 प्रतिशत की वृध्दि के बावजूद परिचालन लाभ यथावत बना रहा जबकि सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक के मामले में बेहतर वसूली के बावजूद आय में केवल 9.3 प्रतिशत की बढोतरी हुई। अगर इस तिमाही में कोई कंपनी स्आर रही है तो वह है नेस्ले जिसकी आय में 49 प्रतिशत की वृध्दि हुई और परिचालन लाभ 220 आधार अंक बढ़ा।
जेएसडब्ल्यू स्टील-कठिन दौर
मार्च 2008 की तिमाही में 12,456 करोड़ की जेएसडब्ल्यू का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 9.7 फीसदी गिरकर 23 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। कंपनी की ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में इस कमी की वजह लौह अयस्क,कोयले और आयातित कोक केदामों में तेज बढ़ोत्तरी रही।
अकेले जेएसडब्ल्यू का नेट सेल्स 25 फीसदी बढ़कर 3126 करोड़ हो गया। कंपनी की वसूली भी अनुमानित रुप से पिछले साल की तुलना में 16 फीसदी बढ़ी। कंपनी ने इस वित्तीय वर्ष में 36,000 रुपये प्रति टन की वसूली की। लेकिन यह बढ़ती इनपुट कॉस्ट के लिए पर्याप्त नही था।
इस स्टील बनाने वाली कंपनी के वॉल्यूम की बिक्री भी 10 फीसदी बढ़कर 0.86 मिलियन टन तक पहुंच गई। वित्तीय वर्ष 2008 के लिए कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन सिसकोल को मिलाकर 10.5 फीसदी तक गिरकर 22.3 फीसदी के स्तर पर आ गया।
कंपनी का अनुमान है कि उसका ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट का प्रसार सितंबर 2008 तक पूरा हो जाएगा और इससे कंपनी को अपनी वर्तमान क्षमता 3.8 मिलियन को बढ़ाकर 6.8 मिलियन करने में मद्द मिलनी चाहिए। हालांकि बाजार स्टील के दामों को नियंत्रित करने और उनकेनिर्यात को विनियमित करने के सरकारी प्रयासों पर गौर कर रहा है क्योंकि स्टील कंपनियां स्टील निर्माण में बढ़ती इनपुट कॉस्ट की वजह से घाटे के जाल में फंसती जा रही है।
बुधवार को बाजार में 880 रुपये के सपाट मूल्य पर बंद हुआ और इस कैलेंडर साल के प्रारंभ से ही यह अंडर-परफार्मर बना हुआ है। इसमें कैलेंडर वर्ष की शुरुवात से अब तक 33 फीसदी अंकों की गिरावट आ गई है जबकि सेसेंक्स 14.5 फीसदी ही गिरा है। मौजूदा बाजार मूल्य पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 11.7 गुना के स्तर पर हो रहा है और इसे एक अंडरपरफारमर बने रहना चाहिए।