पिछले हफ्ते उठा-पटक के बीच बंद हुए शेयर बाजार में आने वाला सप्ताह भी सुखद साबित होने वाला नहीं है।
विशेषज्ञों की मानें तो न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में अगर कच्चे तेल की कीमत इस हफ्ते 150 डॉलर प्रति बैरल की मनोवैज्ञानिक ऊंचाई पर पहुंच गई, तो शेयर बाजार को भी गिरावट का मुंह ताकना पड़ सकता है। शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमत 147.9 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई थी। 9 जुलाई से कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर से ज्यादा का उछाल आ चुका है।
के. आर. चॉकशे शेयर एंड सिक्यूरिटीज होल्डिंग के प्रबंध निदेशक देवेन चॉकशी का कहना है कि इस हफ्ते बिकवाली का जोर रहेगा और बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 12,300 के स्तर पर पहुंच सकता है। पिछले हफ्ते ईरान-इजराइल के बीच तनातनी और नाइजीरिया और ब्राजील से आपूर्ति बाधित होने की वजह से कच्चे तेल की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।
यही नहीं, ईरान ने धमकी दी थी कि अगर इजराइल उस पर हमला करता है, तो वह तेल की आपूर्ति को कम कर सकता है। इसी बीच, ब्राजील के तेल श्रमिक संगठन पांच दिनों की हड़ताल पर जाने की योजना बना रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उछाल आने की आशंका है। इसके साथ ही यूरो के मुकाबले डॉलर की कीमतों में गिरावट की वजह से भी तेल की कीमतें चढ़ रही हैं। इसकी वजह से बीते शुक्रवार को डाऊ जोंस में 1.14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 11,000 के स्तर पर बंद हुआ।
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले कुछ हफ्तों में तेल की कीमत 135 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास रह सकती है। वहीं कुछ का मानना है कि अगर तेल की कीमत इस हफ्ते उच्च स्तर पर पहुंचती है, तो बाजार को 12,800 से 13,000 के बीच सपोर्ट मिल सकता है। बीते शुक्रवार को समाप्त कारोबार के दौरान सेंसेक्स 13,496 के स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले हफ्ते से 0.12 फीसदी ही ऊपर है।
सुंदरम बीएनपी परिवास म्युचुअल फंड के इक्विटी प्रमुख सतीश रामनाथन का कहना है कि अगर ब्याज दर और कमोडिटी की कीमतों की वजह से कॉरपोरेट घरानों का मुनाफा प्रभावित हुआ, तो बाजार में सुधार की गुंजाइश कम ही होगी। आने वाले हफ्ते में कई कंपनियां चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही का नतीजा जारी करेंगी।