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कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से सरकारी तेल कंपनियों को बड़ा फायदा

Last Updated- March 06, 2025 | 3:52 PM IST
oil companies stocks to buy

OPEC ने आखिरकार 5.85 मिलियन बैरल प्रतिदिन (mb/d) की सप्लाई बाजार में वापस लाने का फैसला किया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतें गिरकर 71 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं। ब्रोकरेज फर्म ICICI सिक्योरिटीज के विश्लेषकों के अनुसार, यह साल 2025 की अब तक की सबसे कम कीमत है और पिछले छह महीनों में दूसरी सबसे निचली दर है।

रूस सहित OPEC ने हाल ही में यह घोषणा की कि सितंबर 2026 तक उत्पादन 32.3 mb/d तक पहुंच जाएगा, जो अप्रैल 2025 के निर्धारित 30.5 mb/d के लक्ष्य से अधिक होगा। इसका मतलब यह है कि अगले 12–18 महीनों तक बाजार में तेल की सप्लाई अधिक रहेगी, जिससे कीमतें दबाव में बनी रहेंगी।

कच्चे तेल की कीमतें क्यों गिरीं?

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की प्रमुख वजहें वैश्विक मांग को लेकर चिंता, गैर-OPEC देशों में बढ़ता उत्पादन और भू-राजनीतिक तनावों में कमी हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था की सुस्ती के चलते कच्चे तेल की मांग कमजोर बनी हुई है, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ा है।

इसके अलावा, अमेरिका सहित कई गैर-OPEC देशों में उत्पादन बढ़ रहा है, जिससे वैश्विक बाजार में पहले से ही अधिक सप्लाई हो रही है। साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष में संभावित शांति वार्ता की उम्मीद ने भी बाजार में स्थिरता ला दी है। इन सभी कारणों से आने वाले महीनों में कच्चे तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बनी रह सकती हैं।

सरकारी तेल कंपनियों को कैसे मिलेगा फायदा?

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का सबसे बड़ा लाभ सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) को होगा, जिनमें HPCL, BPCL और IOCL शामिल हैं। हर 1 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट से पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में लगभग 0.5 रुपये प्रति लीटर का सीधा लाभ मिलता है। हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में 4-5 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है, जिससे इन कंपनियों के खुदरा मार्जिन में 2.5 रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि हो सकती है।

इससे उनकी कमाई और मुनाफे में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है। हालांकि, कंपनियों को LPG सब्सिडी से जुड़े नुकसान और इन्वेंटरी लॉस जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है, जो उनके कुल मुनाफे को प्रभावित कर सकता है।

तेल और गैस उत्पादक कंपनियों पर असर

ONGC और Oil India जैसी कंपनियों के लिए यह स्थिति थोड़ी नकारात्मक साबित हो सकती है। हर 1 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट से इनकी कमाई में 1.3–1.5% तक की गिरावट आ सकती है। हालांकि, इन कंपनियों की रिफाइनिंग यूनिट्स जैसे HPCL और NRL के जरिए होने वाली कमाई से इस नुकसान की भरपाई कुछ हद तक हो सकती है।

गैस कंपनियों के लिए यह गिरावट सकारात्मक साबित हो सकती है। भारत में टर्म LNG (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) की कीमतें ब्रेंट क्रूड से जुड़ी होती हैं, इसलिए जब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आती है, तो LNG की लागत भी कम हो जाती है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में 4-5 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट से LNG की कीमतें 0.7–0.8 डॉलर/MMBtu तक घट सकती हैं।

इससे गैस उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और पेट्रोकेमिकल उद्योग को भी फायदा होगा, क्योंकि भारत में अभी भी कई कंपनियां गैस की बजाय नैफ्था क्रैकिंग का इस्तेमाल करती हैं, जिसकी लागत अब कम होगी।

निवेश की रणनीति

ICICI सिक्योरिटीज के विश्लेषकों के अनुसार, मौजूदा स्थिति में सरकारी तेल कंपनियों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। HPCL, BPCL, IOCL, ONGC, Oil India, GAIL, IGL, MGL और GUJGA को “खरीदने” (BUY) की सलाह दी जा रही है। PLNG को “बेचने” (SELL) और GSPL को “होल्ड” (HOLD) करने की सलाह दी गई है, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance) को “ऐड” (ADD) की कैटेगरी में रखा गया है।

First Published - March 6, 2025 | 3:41 PM IST

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