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अमेरिकी खर्च कटौती का सुझाव बाजार के लिए बुरा

क्रिस वुड ने कहा,भारत के मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट स्वाभाविक

Last Updated- November 14, 2024 | 10:40 PM IST
Valuations, fresh equity supply key risk to Indian stock market: Chris Wood

जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने गुरुवार को एक टेलीविजन इंटरव्यू में कहा कि डॉनल्ड ट्रंप 2.0 सरकार में एलन मस्क की 2 लाख करोड़ डॉलर तक की खर्च कटौती की योजना से अमेरिकी डॉलर मजबूत होगा लेकिन यह शेयर बाजारों के लिए नकारात्मक होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय शेयरों, खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट अच्छी है और उन्होंने इसे बड़ी तेजी के बाद ‘स्वाभाविक गिरावट’ करार दिया है।

अमेरिकी ट्रेजरी के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिकी सरकार ने वित्त वर्ष 2024 में (अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024) 6.75 लाख करोड़ डॉलर खर्च किए थे। प्रतिशत में बात की जाए तो 2 लाख करोड़ डॉलर की कटौती से अमेरिका सरकार का सालाना खर्च 32 प्रतिशत घट जाएगा।

टेस्ला के मुख्य कार्याधिकारी मस्क को नए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिसिएंशी का सह-प्रमुख नियुक्त किया है। वुड ने कहा, ‘जब तक मस्क अमेरिकी प्रशासन में बदलाव नहीं लाते और 2 लाख करोड़ डॉलर की कटौती करने में सक्षम नहीं हो जाते, तब तक ट्रेजरी बॉन्ड बाजार में बिकवाली बनी रहेगी। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी-महंगाई का झटका लगेगा और निवेशक दूसरी जगहों का रुख कर सकते हैं। अगर ट्रंप वाकई ऐसी नीति के हिमायती हैं तो इसका मतलब होगा कि अधिकारों में कटौती करना।’

उनका अनुमान है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती केवल अल्पावधि में ही रहेगी – जनवरी 2025 में डॉनल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण तक। वुड का मानना है कि हालांकि शेयर बाजार के नजरिये से बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल से ज्यादा खतरा पैदा हुआ है, जिसे बाजार लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं कर पाएगा।

बॉन्ड प्रतिफल

सितंबर 2024 के मध्य के 3.6 प्रतिशत के स्तर से अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल अब बढ़कर 4.46 प्रतिशत हो गया है जो इस अवधि के दौरान लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि है। वुड के अनुसार इक्विटी के लिए जोखिम यह है कि एक समय ऐसा होगा जब शेयर बाजार बढ़ते बांड प्रतिफल को नजरअंदाज नहीं कर पाएगा।

वुड ने निवेशकों को भेजे अपने साप्ताहिक नोट ग्रीड ऐंड फियर में लिखा है, ‘इक्विटी के लिए अन्य नकारात्मक बात यह है कि तरलता की स्थिति ऐसे समय लड़खड़ानी शुरूहुई है जब मूल्यांकन अपनी ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं।’ वुड ने कहा कि भारत की बात करें तो देश का रिजर्व बैंक वैश्विक घटनाक्रम के बावजूद ब्याज दरों में कटौती करने की जल्दबाजी में नहीं दिख रहा है।

First Published - November 14, 2024 | 10:40 PM IST

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