वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) ऑडिट की समय-सीमा, परिचालन चुनौतियों और मानकीकरण से जुड़ी समस्याएं दूर करने के लिए जांच अनिवार्य बनाए जाने पर बाजार नियामक से मूल्यांकन पर स्पष्टता चाहते हैं।
जून में बाजार नियामक सेबी ने एआईएफ द्वारा प्रबंधित परिसंपत्तियों का मूल्यांकन अनिवार्य बनाने के लिए सर्कुलर जारी किया था। सर्कुलर में एआईएफ को निवेशित कंपनियों के ऑडिटेड आंकड़ों पर आधारित मूल्यांकन रिपोर्ट 31 मार्च तक सौंपना अनिवार्य बनाया गया था। यह रिपोर्ट छह महीने की तय समय-सीमा के अंदर प्रदर्शन बेंचमार्किंग एजेंसियों को सौंपी जानी है।
हालांकि यह रिपोर्ट एआईएफ के अपने खातों के ऑडिट के बाद ही पेश की जानी है। 3वन4 कैपिटल के फाउंडिंग पार्टनर सिद्धार्थ पई ने कहा, ‘पोर्टफोलियो कंपनियों का ऑडिटेड वित्तीय विवरण एक बाधा है क्योंकि आयकर अधिनियम के तहत कंपनियों के लिए 15 जून तक ऑडिट पूरा करना जरूरी होता है। सेबी के नियम और आयकर कानूनों के बीच अंतर है। हम एक ही अवधि के लिए दो ऑडिट रिपोर्ट पर अमल नहीं कर सकते हैं।’
उद्योग की संस्था आईवीसीए में पई रेग्युलेशंस अफेयर्स कमेटी के सह-अध्यक्ष भी हैं। पई ने कहा, ‘हम इस बारे में स्पष्टता चाहते हैं कि क्या ऑडिटेड वित्तीय विवरण अनिवार्य हैं या इस मकसद को पूरा करने का कोई दूसरा रास्ता है। पोर्टफोलियो कंपनियों, खासकर फंडिंग के शुरुआती चरण वाली स्टार्टअप के लिए सेबी द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अंदर अपना ऑडिट पूरा करना मुश्किल हो गया है।’
उद्योग ने स्टार्टअप के मूल्यांकन में अन्य व्यावहारिक समस्याओं का भी जिक्र किया है, क्योंकि वे ऑडिट पर नहीं बल्कि आगामी परिदृश्य से जुड़ी हुई हैं।
सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के मूल्यांकन के लिए बाजार नियामक ने एआईएफ को म्युचुअल फंडों के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा था। प्रतिभूतियों की अन्य श्रेणियों के लिए इंडियन प्राइवेट इक्विटी ऐंड वेंचर कैपिटल एसोसिएशन से दिशा-निर्देश जारी करने को कहा गया था।
यह एसोसिएशन सभी श्रेणी के एआईएफ, शुरुआती स्तर के उद्यम, पीई, उद्यम ऋण और निजी ऋण समेत निवेश फंडों की संपत्ति के मूल्यांकन के लिए विश्वस्तरीय सुझाव मुहैया कराता है। पिछले महीने उसने भी परिचालन से जुड़ी चुनौतियों पर स्पष्टता के लिए सेबी को पत्र लिखा।