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यस बैंक: प्रावधानों में शूल

Last Updated- December 05, 2022 | 9:11 PM IST

यस बैंक का प्रावधान और आकस्मिक कोष मार्च 2008 में समाप्त हुई तिमाही में 22.8 करोड़ रुपये था, जो वर्तमान वर्ष के पहले नौ महीने के लिए इसी मद के 20.8 करोड़ रुपये के से कहीं अधिक है।


प्रबंधन का मानना है कि विवेकपूर्ण उपायों के रूप में ” जनरल क्रेडिट प्रोविजन” यानी साधारण ऋण प्रावधान के लिए करीब 17 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। हालांकि एक बात समझ से परे है कि आखिर बैंक द्वारा अपेक्षाकृत इतनी बड़ी राशि क्यों मुहैया कराई जा रही है।


मैनेजमेंट ने यह भी बताया कि वह विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव प्रॉडक्ट में बैंक के मार्क-टू-मार्केट प्रावधानों के बारे में नहीं बता सकता। हालांकि उसने कहा कि बड़ी कंपनियों के लिए 70 फीसदी और शेष 30 फीसदी ‘इमर्जिंग कॉर्पोरेट’ यानी उभरती हुई कंपनियों के लिए दिया गया।


बहरहाल, बैंक का कहना है कि वे छोटे और मझोले (एसएमई) क्षेत्रों में निवेश नहीं करना चाहते हैं। गौरतलब है कि पिछले बुधवार को शेयर में 4.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।


बीते कुछ महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो बैंक का प्रदर्शन मार्च की तिमाही में बहुत अच्छा था। बैंक के शुध्द ब्याज मार्जिन में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। लिहाजा, बैंक के शुध्द ब्याज मार्जिन में 3.06 फीसदी की वृध्दि हुई थी। हालांकि पिछले साल दिसंबर तिमाही में बैंक का शुध्द ब्याज मार्जिन 2.9 फीसदी था।


अगर बैंक की फंडों के संदर्भ में बात करें तो पिछले साल और मौजूदा वर्ष में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। एक कारण यह भी है कि दिसंबर 2007 की तुलना में 8.2 फीसदी पर फंडों का मूल्य इसलिए भी नहीं बदला है क्योंकि उस दौरान चालू और बचत खातों की संख्या बहुत अधिक थी।


वास्तव में बैंक के  वित्तीय वर्ष 2008 में 350 करोड़ रुपये का प्रावधान पूर्व लाभ करीब 35 फीसदी था जो मार्च की तिमाही में अर्जित किया गया था।हालांकि, मार्च 2008 में शुध्द गैर-निष्पादित ऋण में 0.09 की वृध्दि हुई थी। जबकि पिछले साल दिसंबर तिमाही के अंत में शुध्द गैर-निष्पादित ऋण कुछ भी नहीं था। गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2008 में टैक्स जमा करने के बाद यस बैंक को 200 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।


जेएसडब्लू स्टील: कम मार्जिन में मजबूती


जेएसडब्लू स्टील के प्रबंधन का मानना है कि हॉट रोल्ड (एचआर) कॉयल पर 5000 रुपये प्रति टन सरचार्ज लगाने के बावजूद कंपनी को बहुत फायदा नहीं होने वाला है।


स्टील की कीमतों को बढ़ाने से कंपनी को कोई फायदा होगा या नहीं लेकिन एक बात तो तय है कि इससे मौजूदा वर्ष में कंपनी के परिचालन मार्जिन पर दबाव जरूर पड़ेगा। इसके पीछे कारण यह है कि हॉट रोल्ड कॉयल का इस्तेमाल मशीनों, उपकरणों और ट्रांसमिशन टॉवरों को बनाने में किया जाता है। इसमें कोई शक नहीं कि एचआर कॉयल के लिए जेएसडब्लू पर बहुत अधिक दामोदार होता है।


ऐसा समझा जाता है कि वित्तीय वर्ष 2008 के पहले तिमाही में जेएसडब्लू का कुल टर्नओवर 7,230 करोड़ रुपये था। उस वक्त हॉट रोल्ड कॉयल के लिए जेएसडब्लू ने अपनेकुल टर्नओवर का 50 फीसदी इस्तेमाल किया गया था।


इसी दौरान कंपनी ने 21.4 लाख टन स्टील भी बेचा था। इसके बाद कंपनी के परिचालन मुनाफा मार्जिन में गिरावट देखी गई। उस साल कंपनी के  परिचालन मुनाफा मार्जिन में 70 आधार अंक से 31.8 फीसदी की गिरावट हुई थी। हालांकि ऐसा माना जाता है कि उस वक्त कंपनी का शुध्द लाभ 1267 करोड़ रुपये था।


पिछले सप्ताह, जेएसडब्लू स्टील को उस वक्त जबर्दस्त झटका लगा था जब इंडस्ट्री ने ज्यादा मुनाफे वाले उत्पादों में, जिसका इस्तेमाल निर्माण कंपनियों द्वारा किया जाता है, 2 हजार रुपये प्रति टन की कटौती करने का ऐलान किया था।


इसके अलावा, छत पाटने में इस्तेमाल में लाई जाने वाले माल में प्रति टन 500 से 1000 रुपये की कटौती भी की गई थी। हालांकि लौह अयस्क की कीमतों में पिछले छह से आठ महीनों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्तमान में उसकी कीमत प्रति टन 180 डॉलर प्रति टन पर बनी हुई है।


पिछले बुधवार को जेएसडब्लू के शेयर में 1.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अगर इस कैलेंडर वर्ष के शुरुआत से देखें तो इसमें करीब 45 फीसदी की गिरावट आई है।

First Published - April 10, 2008 | 11:18 PM IST

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