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Zerodha को 4,700 करोड़ रुपये का मुनाफा, नियामकीय बदलावों से चुनौतियों से जूझ रही डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर

कामत ने कहा कि 1 अक्टूबर से सेबी का सर्कुलर जस का तस प्रभावी होने से कंपनी अपने राजस्व में 10 फीसदी की गिरावट का सामना कर सकती है।

Last Updated- September 25, 2024 | 9:40 PM IST
Running a broking firm is a difficult task, Zerodha co-founders expressed concern over excessive regulations ब्रोकिंग फर्म चलाना कठिन काम, Zerodha के को-फाउंडर्स ने अत्यधिक नियमों पर जताई चिंता

डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर जीरोधा का लाभ वित्त वर्ष 2023-24 में सालाना आधार पर 61.5 फीसदी की उछाल के साथ 4,700 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। उसका राजस्व 21 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 8,320 करोड़ रुपये रहा। अगर ब्रोकरेज फर्म एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती तो यह 62वीं सबसे लाभकारी कंपनी होती।

जीरोधा के मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत ने हालांकि आगाह किया कि कई नियामकीय बदलावों के कारण कंपनी को अहम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कामत ने इन बदलावों को नियामकीय जोखिम करार दिया।

ये बदलाव नियामक की तरफ से इंडेक्स डेरिवेटिव के नियमों में संभावित बदलाव , प्रतिभूति लेनदेन कर में इजाफा और नियामक के आदेशों की जस की तस पालना है। सेबी ने इंडेक्स डेरिवेटिव के नियमों में सात अहम बदलाव का प्रस्ताव रखा है, जिनका लक्ष्य खुदरा कारोबारियों को सीमित करना है जिससे कि सटोरिया सेगमेंट में नुकसान न हो।

कामत ने एक ब्लॉग में लिखा कि सेबी ने हाल में इंडेक्स डेरिवेटिव पर एक परामर्श पत्र जारी किया जो जनता की टिप्पणियों के लिए खुला था। हमें लगता है कि यह पत्र ​अगली तिमाही में कभी भी नियमों में बदल जाएगा। इंडेक्स डेरिवेटिव आज हमारे राजस्व का अहम हिस्सा है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव हमें प्रभावित करेगा। हमें राजस्व में 30 से 50 फीसदी की गिरावट की आशंका है।

कामत ने कहा कि 1 अक्टूबर से सेबी का सर्कुलर जस का तस प्रभावी होने से कंपनी अपने राजस्व में 10 फीसदी की गिरावट का सामना कर सकती है। स्टॉक एक्सचेंज किसी विशिष्ट ब्रोकर के कुल टर्नओवर के आधार पर शुल्क वसूलते हैं। शुल्क के लिए स्लैब टर्नओवर पर निर्भर करता है और अगर टर्नओवर ज्यादा होता है तो लेनदेन शुल्क कम रहता है।

First Published - September 25, 2024 | 9:40 PM IST

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