फूड डिलिवरी दिग्गज जोमैटो ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उसने पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये 8,500 करोड़ रुपये (1 अरब डॉलर) जुटाए हैं। जुलाई 2021 में सूचीबद्धता के बाद रकम जुटाने की यह अहम कवायद है। कंपनी के निदेशक मंडल ने 29 नवंबर की बैठक में 252.62 रुपये प्रति शेयर के भाव पर करीब 33.64 करोड़ शेयर जारी करने और उनके आवंटन को मंजूरी दी।
यह रकम जोमैटो की बैलेंस शीट को मजबूत बनाने और विस्तार योजना को आगे बढ़ाने के इरादे से जुटाई गई है क्योंकि क्विक कॉमर्स और फूड डिलिवरी के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा गहरा रही है। इसमें से 2,137 करोड़ रुपये का इस्तेमाल ब्लिंकइट के डार्क स्टोरों और वेयरहाउस के नेटवर्क के विस्तार में किया जाएगा। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही तक फर्म के पास 10,800 करोड़ रुपये की नकदी थी। नए फंड से यह बढ़कर 19,300 करोड़ रुपये हो जाएगी।
रकम जुटाने के दौर से कंपनी के देसी स्वामित्व में भी इजाफा हुआ है। इसे नीतिगत दृष्टिकोण से विदेशी स्वामित्व से संबंधित किसी तरह के उतारचढ़ाव से बचने के प्रयास के रूप में जा रहा है। क्यूआईपी के बाद घरेलू शेयरधारिता 50 फीसदी से थोड़ी कम होगी।
रकम जुटाए जाने के कार्यक्रम में घरेलू म्युचुअल फंड की मजबूत भागीदारी देखी गई। मोतीलाल ओसवाल ने1,700 करोड़ रुपये से अधिक के निर्गम में 21 प्रतिशत फीसदी हिस्सा लिया तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने 13 फीसदी। अन्य निवेशकों में एचडीएफसी म्युचुअल फंड का 8.68 फीसदी और कोटक फंड का 5.95 फीसदी निवेश शामिल है।
ज़ोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने कंपनी के सितंबर तिमाही के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा था कि प्रतिस्पर्धी परिदृश्य और बड़े पैमाने पर हमारे कारोबार को देखते हुए हमारा मानना है कि हमें अपना नकद शेष बढ़ाने की जरूरत है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम अपने उन प्रतिस्पर्धियों के साथ बराबरी के मैदान पर हैं जो अतिरिक्त पूंजी जुटाना जारी रखे हुए हैं।
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में ज़ोमैटो का कर पश्चात लाभ (पीएटी) पांच गुना बढ़कर 176 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो एक साल पहले की इसी अवधि में 36 करोड़ रुपये था। हालांकि वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में कर पश्चात लाभ 253 करोड़ रुपये से 30 फीसदी कम था। इसका परिचालन राजस्व सालाना आधार पर 69 फीसदी बढ़कर दूसरी तिमाही में 4,799 करोड़ रुपये हो गया जो एक साल पहले 2,848 करोड़ रुपये था। पिछली तिमाही में उसने 4,206 रुपये का राजस्व कमाया था।
जोमैटो का क्यूआईपी ऐसे समय में आया जब घरेलू संस्थागत निवेशक भारत में तेजी से बढ़ रहे क्विक कॉमर्स सेक्टर पर भारी दांव लगा रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल के प्राइवेट वेल्थ डिवीजन ने इस महीने जेप्टो की तरफ से जुटाए गए 35 करोड़ डॉलर की अगुआई की थी क्योंकि कंपनी अपने साथ ज्यादा देसी निवेशकों को जोड़ना चाहती थी। कंपनी अगले साल सूचीबद्ध हो सकती है।
नई सूचीबद्ध फूड डिलिवरी फर्म स्विगी में भी आईपीओ से पहले कई घरेलू निवेशकों मसलन एसबीआई म्युचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड, कोटक म्युचुअल फंड, ऐक्सिस म्युचुअल फंड और एचडीएफसी लाइफ ने बतौर ऐंकर निवेशक रकम लगाई है जिसने 5,085 करोड़ रुपये जुटाए।