अगर आप भविष्य के लिए पैसे जमा कर रहे हैं लेकिन अगर आपको लगता है कि यह आपके भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं है तो ये सोचने वाले आप अकेले नहीं हैं। एक स्टडी के मुताबिक, भविष्य को लेकर वित्तीय योजना होने के बावजूद, आधे से अधिक भारतीय अपने भविष्य के लिए खुद को तैयार महसूस नहीं करते हैं। 35 से 54 वर्ष की उम्र लोगों पर की गई स्टडी के मुताबिक, जो लोग अपने वृद्ध माता-पिता और बच्चों के भविष्य के लिए आर्थिक रूप से जिम्मेदार हैं, उनमें से 60 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनकी बचत भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं है।
YouGov द्वारा की गई स्टडी में लोगों ने स्वीकार किया कि भले ही वे कितनी भी बचत या निवेश कर लें, उन्हें हमेशा लगता है कि यह भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं है।
इस स्टडी में भारत के 12 शहरों में 4,000 से अधिक लोगों का सर्वे किया गया। इसमें से 94 प्रतिशत लोगों ने या तो भविष्य के वित्तीय योजना बना रखी थी, या उन्होंने कुछ हद तक इसको लेकर सोच रखा था।
35-54 वर्ष के लोगों की आकांक्षाओं, मानसिकता और वित्तीय तैयारी पर आधारित इस स्टडी में कहा गया कि 50 प्रतिशत से अधिक लोग पैसे खत्म होने की चिंता करते हैं, हमेशा पीछे छूटने का एहसास होता है और उन्हें लगता है कि वे पर्याप्त प्रयासों के बावजूद बेहतर नहीं कर रहे हैं।
स्डडी में कहा गया, “वे क्रेडिट (ऋण) पर अत्यधिक निर्भर हैं और बचत के साथ-साथ आय को भी खर्च कर रहे हैं। 64 प्रतिशत लोग अपने अल्पकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए क्रेडिट का उपयोग करते हैं, 49 प्रतिशत बचत से और 47 प्रतिशत अपनी नियमित भविष्य की आय से ऐसा कर रहे हैं।”
स्टडी में बताया गया कि लोग हेल्थकेयर, शिक्षा जैसी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने और छुट्टियों, घर को ठीक करने जैसी इच्छाओं को पूरा करने के लिए भी सभी प्रकार के क्रेडिट का उपयोग कर चुके होते हैं।
लोगों का मानना है कि उनकी दीर्घकालिक आकांक्षाएं भी अच्छी स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि 79 प्रतिशत लोग अपने लंबे समय की योजनाओं को वित्तीय साधनों से मिलने वाले रिटर्न या लाभ के माध्यम से पूरा करने की उम्मीद रखते हैं।
Edelweiss Life Insurance के एमडी और सीईओ सुमित राय के अनुसार, “हमने सालों से ग्राहकों के साथ बातचीत के माध्यम से देखा है कि ‘सैंडविच जनरेशन’ (Sandwich Generation) अपने माता-पिता और बच्चों की देखभाल के चक्र में फंसी हुई है।”
राय ने आगे कहा कि वे लोग हेल्थकेयर और शिक्षा जैसी आवश्यक चीजों को सक्षम बनाना चाहते हैं, जबकि एक ऐसी जीवनशैली भी देना चाहते हैं जिसमें ‘जरूरतें’, ‘इच्छाओं’ (wants) की कीमत पर न आएं।