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ग्रीनटेक की मांग, आपूर्ति में बाधा से बढ़ेगी चांदी में चमक

चांदी की कुल मांग में औद्योगिक मांग की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है। हाल के वर्षों में औद्योगिक मांग में काफी वृद्धि हुई है।

Last Updated- August 01, 2024 | 11:56 PM IST
ग्रीनटेक की मांग, आपूर्ति में बाधा से बढ़ेगी चांदी में चमक Greentech demand, supply constraints likely to fuel silver's bull run

चांदी इस साल अब तक सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्ति श्रेणी रही है। इसने सोना से भी बेहतर प्रदर्शन दर्ज करते हुए 24.7 फीसदी रिटर्न दिया है, जबकि सोना में निवेश पर 17 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।

ग्रीनटेक की जबरदस्त मांग

चांदी की कुल मांग में औद्योगिक मांग की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है। हाल के वर्षों में औद्योगिक मांग में काफी वृद्धि हुई है। निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड के प्रमुख (कमोडिटी) और फंड मैनेजर विक्रम धवन ने कहा, ‘ग्रीनटेक में चांदी का उपयोग उसकी औद्योगिक मांग को बढ़ा रहा है। खास तौर पर सोलर एवं इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्रों से इसकी मांग को रफ्तार मिल रही है। इसका उपयोग हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स और 5जी तकनीक में भी होता है।’

चांदी की मांग में तेजी आई है, लेकिन आपूर्ति उसकी रफ्तार को बनाए रखने में विफल रही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (समूह) और प्रमुख (कमोडिटी अनुसंधान) नवनीत दमानी ने कहा, ‘श्रमिकों की किल्लत और पर्यावरण संबंधी नियमों के कारण खनन प्रभावित हुआ है, जिससे आपूर्ति कम हो गई है।’ सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुमान के मुताबिक, इस साल आपूर्ति में लगातार चौथे साल कमी दिखने के आसार हैं।

कीमतों में इजाफा

चांदी में तेजी जारी रहने की उम्मीद है। धवन का मानना है कि मजबूत फंडामेंटल्स के कारण इसका बेहतर प्रदर्शन जारी रह सकता है। उन्होंने कहा, ‘मध्यावधि से दीर्घावधि में चांदी की किस्मत ग्रीनटेक क्षेत्र के विकास पर निर्भर करेगी।’

चांदी के लिए सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू जलवायु परिवर्तन है। बढ़ते तापमान के कारण गर्मी के सीजन में ऊर्जा की मांग बढ़ जाती है। इससे ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन भी बढ़ता है। धवन ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग में सौर ऊर्जा की बहुत बड़ी भूमिका होने जा रही है। अगले दशक के दौरान सौर ऊर्जा उद्योग में 30 फीसदी से अधिक वृद्धि होने का अनुमान है।’

दमानी ने उम्मीद जताई कि अगले 12 से 15 महीनों में चांदी की कीमत 1,25,000 रुपये प्रति किलोग्राम (फिलहाल 91,555 रुपये) तक पहुंच जाएगी। उन्होंने आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के मद्देनजर यह अनुमान जाहिर किया है।

उन्होंने कहा, ‘जस्ता, सीसा और कुछ अन्य धातुओं के उत्पादन में बाईप्रॉडक्ट के तौर पर चांदी का उत्पादन होता है। फिलहाल इन धातुओं का उत्पादन चक्र मजबूत नहीं है। स्क्रैप और कंसन्ट्रेट की उपलब्धता भी कम है, जिससे बाजार 12 से 15 महीने से पहले संतुलन में नहीं आ पाएगा।’

मंदी बिगाड़ सकती है खेल

कुछ घटनाक्रम चांदी की कीमतों में तेजी की रफ्तार सुस्त हो सकती है। धवन ने कहा, ‘पहला, चीन के सौर विनिर्माण में नरमी और दूसरा, अगर डॉनल्ड ट्रम्प का दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए और वह ग्रीनटेक एजेंडे पर तेजी से आगे न बढ़ने का फैसला करें।’

दरों में वृद्धि चक्र समाप्त होने पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था अगले 15 से 18 महीनों में एक छोटी मंदी में प्रवेश करती है। दमानी ने कहा, ‘अगर ऐसा हुआ तो चांदी की कीमतों में तेजी पर ब्रेक लग सकता है।’

पोर्टफोलियो में विविधता

सभी निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए चांदी और सोने जैसी कमोडिटीज में कुछ निवेश करना चाहिए। धवन ने कहा, ‘चांदी मूल्य भंडार, मुद्रा हेज या ग्रीनटेक उद्योग के लिए प्रॉक्सी के रूप में काम कर सकती है।’ मगर निवेशकों को उसकी प्रकृति के प्रति सावधान रहना चाहिए।

सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और सहजमनी के संस्थापक अभिषेक कुमार ने कहा, ‘कमोडिटी चक्रों में काम करती है। जो निवेशक कीमतों के तेजी के समय निवेश करते हैं, उन्हें अगली गिरावट में नुकसान हो सकता है। इसलिए उन्हें तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक एक अंतराल के बाद तेजी का रुझान दोबारा शुरू न हो जाए।’

निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 10 फीसदी से अधिक रकम कमोडिटी के लिए आवंटित नहीं करना चाहिए। कुमार ने कहा, ‘5 फीसदी से अधिक रकम चांदी के लिए आवंटित नहीं किया जाना चाहिए। इसमें 5 साल से अधिक समय के लिए निवेश करें।’

First Published - August 1, 2024 | 11:13 PM IST

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