UPI Fraud: देश में डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ने के साथ ही यूपीआई फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। LocalCircles के एक ताज़ा सर्वे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। सर्वे के मुताबिक, हर 5 में से 1 भारतीय परिवार यानी करीब 20% परिवार UPI फ्रॉड का शिकार हो चुका है।
सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों ने बताया कि ज्यादातर मामलों में फ्रॉड UPI सेटिंग या पिन हैक करके किया गया। कई लोगों ने गलती से फ्रॉड लिंक या QR कोड पर क्लिक कर दिया, जिससे उनके खाते से पैसे उड़ गए। कुछ मामलों में लोगों ने खुद ही OTP या UPI पिन शेयर कर दिया, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2024–25 के दौरान डिजिटल पेमेंट फ्रॉड के मामलों में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान बैंकिंग फ्रॉड के कुल मामलों में से 56.5% डिजिटल ट्रांजेक्शंस से जुड़े थे। ऐसे 13,516 मामले सामने आए जिनमें कुल मिलाकर करीब ₹520 करोड़ की धोखाधड़ी हुई।
हालांकि रिपोर्ट में UPI फ्रॉड का अलग से आंकड़ा नहीं दिया गया है, लेकिन यह ज़रूर बताया गया है कि अधिकतर धोखाधड़ी कार्ड और इंटरनेट-आधारित लेनदेन के ज़रिए हुई, जिसमें UPI भी शामिल है।
UPI का उपयोग तेजी से बढ़ा है — FY2024–25 में कुल 185.8 अरब लेनदेन UPI के माध्यम से हुए, जो पिछले साल की तुलना में 41.7% अधिक हैं। डिजिटल पेमेंट में UPI का हिस्सा अब 83.4% तक पहुंच गया है।
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इस बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही धोखाधड़ी की आशंका भी बढ़ी है। इसी को ध्यान में रखते हुए RBI और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने कई सुरक्षा उपाय लागू किए हैं। इनमें डिवाइस बाइंडिंग, दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (PIN आधारित), और हर दिन के लेनदेन पर सीमा तय करना शामिल है।
NPCI ने UPI ट्रांजेक्शन की अधिकतम दैनिक सीमा ₹1 लाख तय की है, हालांकि यह बैंक, ऐप और लेनदेन के प्रकार के अनुसार बदल सकती है। जैसे कि:
इसके अलावा, UPI Lite और UPI 123Pay जैसे विकल्प भी उपलब्ध हैं ताकि अलग-अलग ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। उपयोगकर्ताओं को एक दिन में अधिकतम 20 ट्रांजेक्शन की अनुमति है।
उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) और हेल्पलाइन नंबर 1930 शुरू किया है। इसके साथ ही लोगों को साइबर अपराधों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
फ्रॉड की पहचान और नियंत्रण के लिए RBI एक डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म भी तैयार कर रहा है। यह प्लेटफॉर्म आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों की मदद से पूरे डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में रियल-टाइम डेटा साझा करेगा और नेटवर्क लेवल पर फ्रॉड को रोकने में मदद करेगा।
इस प्लेटफॉर्म की रूपरेखा तय करने के लिए NPCI के पूर्व एमडी और सीईओ ए.पी. होता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया गया है।
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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने दिसंबर 2024 में MuleHunter.AI नाम का एक नया AI-ML आधारित टूल लॉन्च किया है। इसे रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) ने तैयार किया है। इसका मकसद बैंकों को ऐसे खातों की पहचान में मदद करना है, जो अवैध कामों के लिए ‘म्यूल अकाउंट’ के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इस टूल का परीक्षण दो सरकारी बैंकों में किया गया, जहां इसके नतीजे उत्साहजनक रहे।
फिशिंग जैसे साइबर फ्रॉड पर लगाम लगाने और डिजिटल बैंकिंग में भरोसा बढ़ाने के लिए RBI ने दो खास इंटरनेट डोमेन भी शुरू किए हैं —
इससे ग्राहक असली वेबसाइट की पहचान कर पाएंगे और फ्रॉड का खतरा कम होगा।
डिजिटल पेमेंट में बढ़ते फ्रॉड को लेकर लोकलसर्कल्स (LocalCircles) ने बीते 12 महीनों में एक सर्वे किया। इसका मकसद यह जानना था कि क्या लोगों या उनके परिवार के किसी सदस्य को UPI फ्रॉड का सामना करना पड़ा है और अगर हां, तो किस तरह का।
सर्वे में देश के 365 ज़िलों से 32,000 से ज़्यादा लोगों ने भाग लिया।
LocalCircles के एक ताज़ा सर्वे के अनुसार, हर 5 में से 1 परिवार ऐसा है जिसने बीते 3 सालों में UPI फ्रॉड का अनुभव किया है।
जब लोगों से पूछा गया — “क्या आपने या आपके किसी परिवारजन ने पिछले 3 साल में UPI फ्रॉड का सामना किया है?”
तो 16,312 जवाबों में से:
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का इस्तेमाल करने वाले कई लोगों को बीते तीन सालों में फ्रॉड का सामना करना पड़ा है। एक हालिया सर्वे के मुताबिक, जिन लोगों ने धोखाधड़ी का अनुभव किया, उनमें से कई ने एक से ज्यादा तरीकों से फ्रॉड झेला है।
इस सर्वे में 4,894 लोगों ने हिस्सा लिया और अपने अनुभव साझा किए। आइए जानते हैं कौन-कौन से तरीके थे जिनसे यूपीआई यूजर्स को ठगा गया:
LocalCircles के एक ताज़ा सर्वे में यह भी पाया गया कि कई लोग एक से अधिक तरीकों से ठगी का शिकार हुए हैं।
पिछले तीन वर्षों में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) से जुड़े फ्रॉड का शिकार हुए हर दो में से एक व्यक्ति ने किसी भी प्लेटफॉर्म पर इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराई। एक हालिया सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
सर्वे में 15,862 लोगों से यह पूछा गया था कि यदि उन्होंने या उनके परिवार के किसी सदस्य ने पिछले तीन वर्षों में किसी UPI फ्रॉड का सामना किया, तो उन्होंने इसकी शिकायत कहां-कहां की? कई लोगों ने एक से ज्यादा विकल्प भी चुने।
जिन लोगों ने शिकायत की, उनमें:
हालांकि, सबसे चिंताजनक बात यह रही कि 51% लोगों ने बताया कि उन्होंने किसी भी आधिकारिक प्लेटफॉर्म पर कोई शिकायत दर्ज नहीं की।
इससे साफ है कि अधिकतर उपभोक्ता या तो प्रक्रिया की जानकारी के अभाव में, या फिर प्रणाली पर भरोसा न होने की वजह से, शिकायत दर्ज नहीं करते। जबकि वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में शिकायत करना जरूरी है, ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके और भविष्य में दूसरों को ऐसे फ्रॉड से बचाया जा सके।