बीमारी या दुर्घटना कहकर नहीं आती मगर महंगे इलाज के लिए रकम जुटाना किसी के लिए भी मुश्किल हो सकता है। अगर इलाज अपनी हैसियत से बाहर जा रहा हो तो मेडिकल इमरजेंसी के लिए कर्ज लिया जा सकता है, जो झटपट मिल भी जाता है।
मेडिकल इमरजेंसी लोन भी असल में पर्सनल लोन ही होता है मगर इलाज पर होने वाले खर्च के लिए ही दिया जाता है। ऐसे कर्ज को मंजूरी चटपट मिल जाती है, पात्रता की शर्तें भी आसान होती हैं और कई बार ब्याज दर भी आम पर्सनल लोन की ब्याज दर से कम होती है। इसमें मिली रकम का इस्तेमाल अस्पताल में भर्ती होने पर बिल चुकाने में, ऑपरेशन में, जरूरी और महंगी दवाएं खरीदने में और ऑपरेशन के बाद होने वाले खर्च में किया जा सकता है।
अगर आप भी ऐसी किसी आपदा के शिकार हो गए हैं तो कर्ज लेने के लिए आपके पास कई विकल्प हैं। आप पर्सनल लोन ले सकते हैं, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) गिरवी रख सकते हैं, क्रेडिट कार्ड स्वाइप करा सकते हैं, गोल्ड लोन ले सकते हैं, कर्मचारी भविष्य निधि से एडवांस ले सकते हैं और फिनटेक कंपनियों से भी कर्ज ले सकते हैं।
लेकिन कर्ज लेने से पहले कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए। आजकल कई बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और डिजिटल कंपनियां खास मेडिकल लोन देती हैं। देख लीजिए कि कौन आपके लिए फायदेमंद शर्तों पर जल्द से जल्द कर्ज दे रहा है। इसके बाद पहचान और पते के सबूत, आय का सबूत और मेडिकल सर्टिफिकेट या अस्पताल से मिला खर्च का अनुमान जैसे जरूरी दस्तावेज अपने पास रखें।
आजकल ज्यादातर कंपनियां और बैंक ऑनलाइन आवेदन की सुविधा देते हैं, जिससे कर्ज मंजूर होने में कम वक्त लगता है। कुछ बैंक अपने पुराने ग्राहकों को प्री-अप्रूव्ड लोन देते हैं, जो फौरन आपके खाते में आ सकता है। फिनटेक कंपनियां भी कर्ज जल्दी मंजूर कर देती हैं।
कुछ अस्पतालों का वित्तीय संस्थाओं से गठजोड़ होता है, जिससे अस्पताल में पहुंचते ही आपका कर्ज मंजूर हो सकता है। क्यूबहेल्थ इंडिया के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी क्रिस जॉर्ज कहते हैं कि मेडिकल बिल चुकाने के लिए रकम फौरन मिल जाए तो उलझन कम हो जाती है और अच्छा इलाज कराया जा सकता है। इसलिए यह स्वास्थ्य बीमा पर भारी पड़ जाता है।
कर्ज मिलने में परेशानी से बचने के लिए आपको भी कुछ बातें ध्यान रखनी होंगी। सबसे पहले तो देख लीजिए कि आप कर्ज के लायक हैं भी या नहीं क्योंकि बैंक अथवा कंपनी आपका क्रेडिट स्कोर, आमदनी, रोजगार की स्थिति देखकर ही तय करते हैं कि कर्ज देना है या नहीं और कितना देना है।
पर्सनल लोन में आम तौर पर ब्याज दर ज्यादा होती है। इसले तोलमोल कर सबसे किफायती कर्ज ही चुनिए। कर्ज लेने से ज्यादा जरूरी उसे चुकाना है। इसलिए उतना ही कर्ज लीजिए, जिसकी मासिक किस्त आप आसानी से चुका सकें। संभव हो तो लोन लेने के बजाय अपनी बचत, स्वास्थ्य बीमा आदि का इस्तेमाल करें।