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फ्रीलांस कमाई पर TDS नहीं कटाएंगे तो इनकम टैक्स नोटिस पाएंगे, जानकारी रखें सटीक

आयकर अधिनियम में उस स्थिति का भी ख्याल रखा गया है, जब किसी नियोक्ता को पता ही नहीं होता कि उसका कर्मचारी किसी दूसरी कंपनी में भी काम कर रहा है।

Last Updated- July 17, 2024 | 10:27 PM IST
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अगर आप नौकरी के साथ अपने खर्च चलाने या बचत करने के लिए कुछ और काम भी करते हैं तो आयकर रिटर्न दाखिल करते समय आपको सावधानी बरतनी चाहिए। आपको रिटर्न में फ्रीलांसिंग, कंसल्टिंग या पार्ट-टाइम कामकाज के जरिये होने वाली अतिरिक्त आय की सटीक जानकारी देनी होगी।

उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड रॉनी उम्मन जॉन कहते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति मूनलाइटिंग कर रहा है यानी एक साथ दो जगह बाकायदा नौकरी कर रहा है तो उसे सभी जगहों से होने वाली आय दिखानी होगी और कुल वेतन पर कर चुकाना होगा।’

आयकर अधिनियम में उस स्थिति का भी ख्याल रखा गया है, जब किसी नियोक्ता को पता ही नहीं होता कि उसका कर्मचारी किसी दूसरी कंपनी में भी काम कर रहा है। जॉन बताते हैं, ‘अधिनियम की धारा 192 में प्रावधान है कि कर्मचारी अपनी कंपनी के पास किसी दूसरी कंपनी में साथ-साथ किए गए काम से मिले वेतन का ब्योरा दे सकता है ताकि टीडीएस का सही हिसाब-किताब हो सके।’

आम तौर पर नियोक्ता या कंपनी को पता ही नहीं होता कि उसका कर्मचारी किसी दूसरी कंपनी में भी काम (मूनलाइटिंग) कर रहा है। कंपनियां किसी को नौकरी पर रखते समय करार में साफ बता भी देती हैं कि किसी दूसरी कंपनी या संस्था में काम नहीं किया जा सकता। जॉन कहते हैं, ‘कर्मचारी ऐसी आय की जानकारी देनी ही होगी और उस पर कर भी चुकाना ही होगा। इससे बचने का कोई भी रास्ता नहीं है। ऐसी कमाई पर नाजायज या गलत कमाई होने का धब्बा बेशक लगे, कर फिर भी कटेगा।’

मूनलाइटिंग से कमाई पर कर

आपको मूनलाइटिंग से कमाई बतौर वेतन भी हो सकती है और व्यावसायिक शुल्क या कारोबारी आय के रूप में भी हो सकती है। रूप कोई भी हो, उस पर प्रत्यक्ष कर लगता है। सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग कहते हैं, ‘यदि मूनलाइटिंग से वेतन मिल रहा है तो कर का जो भी स्लैब बनता होगा, उस व्यक्ति की समूची कमाई पर उसी स्लैब दर से आयकर काट लिया जाएगा।’

फ्रीलांसिंग, परामर्श या किसी अन्य स्व-रोजगार के मार्फत मूनलाइटिंग से होने वाली आय पर कर अलग तरीके से लगाया जाता है। टैक्समैन में वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च ऐंड एडवाइजरी) नवीन वाधवा बताते हैं, ‘इस पर ‘कारोबार या व्यवसाय से आय’ मद के तहत कर लगाया जाएगा। करदाता ऐसी आय हासिल करते समय हुआ समूचा खर्च कुल कमाई में से घटा सकता है।’

प्रीजम्पटिव टैक्स योजना सही?

मूनलाइटिंग करने वालों को देख लेना चाहिए कि धारा 44एडी, 44एडीए और 44एई के तहत अनुमानित या प्रीजम्पटिव कर योजना (पीटीएस) चुनने से उन्हें फायदा होगा या नहीं। इसमें मान लिया जाता है कि आय कुल कारोबार या कुल कमाई के एक खास प्रतिशत के बराबर होगी। मिसाल के तौर पर यदि कोई व्यक्ति धारा 44एडीए में दिए गए पेशों या व्यवसायों से कमाता है तो पीटीएस चुनने पर उसे मिली कुल फीस में से केवल 50 फीसदी पर कर वसूला जाता है।

पीटीएस से छोटे कारोबारों या व्यवसायों के लिए कर चुकाना आसान हो जाता है। अकॉर्ड जूरिस में पार्टनर अलै रजवी कहते हैं, ‘इससे खाता संभालना बहुत आसान हो जाता है, कागजी तामझाम कम हो जाता है और अनुपालन की जरूरत भी घट जाती है। साथ ही कर विभाग से जांच का खतरा भी कम हो जाता है।’ मूनलाइटिंग करने वालों को पीटीएस से फायदा हो सकता है क्योंकि उन्हें पूरा बहीखाता रखने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।

जानकारी रहे सटीक

आपको जो भी आय होती हैं, उन सभी की पूरी और सही जानकारी दीजिए। आय और खर्च का पूरा रिकॉर्ड बनाकर रखिए। बिल, बैंक स्टेटमेंट, भुगतान की रसीद और टीडीएस सर्टिफिकेट जैसे सभी जरूरी कागज आपके पास होने चाहिए। रजवी की सलाह है कि अगर आप पीटीएस के पात्र हैं तो उसे चुनिए ताकि आपके लिए कर चुकाना आसान हो जाए। अगर आप एक साथ दो जगह नौकरी कर रहे हैं तो दोनों से फॉर्म 16 लीजिए। फॉर्म 26एएस में पूरा ब्योरा जांच लीजिए। इन फॉर्म और टीडीएस सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर सही तरीके से अपना रिटर्न दाखिल कीजिए। रिटर्न भरते समय सही फॉर्म चुनिए।

नारंग बताते हैं, ‘अगर आपको मूनलाइटिंग से वेतन मिल रहा है तो रिटर्न फॉर्म 1 या 2 का इस्तेमाल कीजिए। मगर आपको कारोबार या व्यवसाय से मुनाफे के जरिये आय हो रही है तो आपके फॉर्म 3 या 4 में रिटर्न भरना पड़ेगा।’ आयकर विभाग मूनलाइटिंग के जरिये होने वाली कमाई पर काटे गए टीडीएस पर नजर रखता है। आयकर रिटर्न दाखिल करते समय इसका आंकड़ा जरा भी गड़बड़ हुआ तो नोटिस आ सकता है।

First Published - July 17, 2024 | 10:27 PM IST

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