सोने की चमक दुनिया भर में बढ़ती जा रही है और इसी हफ्ते देसी बाजार में वह 75,447 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। इस हिसाब से पिछले एक साल में सोने का भाव करीब 29.4 फीसदी चढ़ गया है। कॉमेक्स पर भी यह 2,689.6 डॉलर प्रति आउंस के ऊंचे भाव पर चल रहा था। विशेषज्ञ मानते हैं कि सोने को सहारा देने वाले बुनियादी हालात बने हुए हैं और अगले 6 से 12 महीने में यह कीमती धातु और भी ऊपर चढ़ जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने हाल ही में दरों में 50 आधार अंक की भारी कटौती कर दी, जिसके बाद सोने में और भी उछाल आ गई। सोना हमेशा ही वास्तविक ब्याज दरों से उलटी चाल चलता है।
क्वांटम म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी चिराग मेहता कहते हैं, ‘उम्मीद है कि अब महंगाई में जितनी गिरावट आएगी ब्याज दरों में उससे भी ज्यादा कटौती की जाएगी। सोने के भाव को इससे और भी सहारा मिलना चाहिए। वास्तविक ब्याज दरें जितनी नीचे जाती हैं, सोने में निवेश बनाए रखने की लागत भी उतनी ही कम हो जाती है। जाहिर है कि इसे देखकर काफी नए निवेशक भी सोने पर दांव खेलने आएंगे।’ माना जा रहा है कि अगले 6 से 12 महीनों में अमेरिकी फेड दरों में कई बार कटौती करेगा। हर कटौती पर सोने के दाम को दम मिलना लगभग तय होगा।
भू-राजनीतिक तनाव भी लगातार जारी है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हो या पश्चिम एशिया में संघर्ष, कुछ भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रभुदास लीलाधर वेल्थ मैनेजमेंट के चीफ बिजनेस ऑफिसर शशांक पाल का कहना है, ‘ऐसे माहौल में निवेशक ऐसी संपत्तियों में रकम लगाना चाहते हैं, जिनमें उनका पैसा सुरक्षित रहे।’ सोना इस मामले में हमेशा सुरक्षित संपत्ति माना जाता रहा है।
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक भी डॉलर का भंडार बढ़ाने के बजाय उसे घटाकर सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं। ऐक्सिस सिक्योरिटीज में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटीज) दिव्य गगलानी बताते हैं, ‘ज्यादातर बड़ी अर्थव्यवस्थाएं पिछले कुछ साल में अपना स्वर्ण भंडार बढ़ाती जा रही हैं। चीन में सोने की सबसे ज्यादा खपत होती है मगर मई में उसने सोना खरीदना बंद कर दिया। यदि पीपल्स बैंक ऑफ चाइना एक बार फिर सोना खरीदना शुरू करता है तो इस कीमती धातु के भाव और भी चढ़ सकते हैं।’
भारत सरकार ने जुलाई के अंत में सोने पर आयात शुल्क में अच्छी खासी कटौती की थी, जिससे देश के भीतर सोने की मांग एकाएक बढ़ गई। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की हाल में आई रिपोर्ट कहती है, ‘अभी तक तो यही देखा गया है कि शुल्क में कटौती होने पर सराफ और उपभोक्ता सोना खरीदने के लिए भीड़ लगा देते हैं।’
सोने के भाव को ताकत देने वाले ये सभी कारण अभी मौजूद हैं, इसलिए सोना अभी और चढ़ने की संभावना है।
गगलानी को लगता है, ‘इस बात के पूरे आसार हैं कि फेड दरों में अभी 50 आधार अंक और घटाएगा। ऐसी सूरत में अगले 6 से 8 महीने मे सोने के भाव 4-5 फीसदी और चढ़ सकते हैं।’ उन्हें यह भी लगता है कि देसी बाजार में सोने के भाव 80,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकते हैं और कॉमेक्स पर इनका कांटा 2,850 डॉलर प्रति आउंस तक उठ सकता है।
डॉलर कमजोर हो रहा है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर होने का अंदेशा है। मगर ब्याज दरों में ज्यादा कटौती नहीं की गई और अर्थव्यवस्था भी उम्मीद से मजबूत रही तो सोने को संघर्ष करना पड़ सकता है। गगलानी समझाते हैं, ‘डॉलर सूचकांक मजबूत हुआ तो सोने के भाव गिर सकते हैं क्योंकि दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा होता है। अमेरिका में कृषि के बाहर रोजगार बढ़े, सकल घरेलू उत्पाद में इजाफा हुआ और उपभोक्ताओं का हौसला बढ़ा तो इन सुधरे आर्थिक हालात में सोने की मांग कम हो सकती है।’ मेहता को लंबे अरसे में तो सोना चढ़ने और उसमें निवेश से फायदा मिलने की उम्मीद नजर आती है। मगर वह आगाह करते हैं कि निकट भविष्य में इसमें उठापटक दिख सकती है।
खुदरा निवेशकों को अपनी कुल निवेश राशि का 10-15 फीसदी सोने में लगाना चाहिए। इसके लिए वे गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स का सहारा ले सकते हैं।
मेहता की सलाह है, ‘कुल निवेश में से 10-15 फीसदी अगर सोने में कर दिया जाए तो जोखिम बहुत कम हो जाता है और रिटर्न से भी किसी तरह का समझौता नहीं करना पड़ता।’
सोने ने पिछले कुछ अरसे में बेहद तेजी के साथ दौड़ लगाई है और इसके भाव काफी चढ़ गए हैं। इसे देखते हुए सोने में एकमुश्त रकम लगाने से बचना चाहिए। गगलानी का सुझाव काम का लगता है। वह कहते हैं, ‘आपको सोने में लंबे अरसे तक रकम लगानी चाहिए और धीरे-धीरे लगानी चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि जब सोने के भाव नीचे आएंगे तब आपको ज्यादा मात्रा में सोना खरीदने या निचले भाव पर ज्यादा दांव खेलने का मौका मिल जाएगा।’