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संशोधित ट्रिब्यूनल नियम के तहत IT, GST ट्रिब्यूनल सदस्यों के लिए कोई पेंशन, PF नहीं

परिवर्तनों के बाद, यदि किसी अदालत के न्यायाधीश को ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है।

Last Updated- September 14, 2023 | 6:39 PM IST
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सरकार द्वारा हाल ही में नियम में बदलाव के कारण, आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (ITAT) और वस्तु एवं सेवा कर (GST) ट्रिब्यूनल के सदस्यों को अब ग्रेच्युटी, पेंशन और भविष्य निधि लाभ नहीं मिलेगा।

संशोधित नियम 13 कहता है: “ट्रिब्यूनल के सदस्यों को ट्रिब्यूनल में उनकी सेवा के लिए पेंशन, भविष्य निधि या ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी।”

बदलाव का मतलब है कि ट्रिब्यूनल का सदस्य होना अब फुल टाइम नौकरी है। पहले, उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपने वर्तमान पद पर रहते हुए अध्यक्ष या सदस्य के रूप में कार्य कर सकते थे। द इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) की रिपोर्ट के अनुसार, इससे उन्हें पेंशन और अन्य लाभ मिलते थे।

परिवर्तनों के बाद, यदि किसी अदालत के न्यायाधीश को ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो उन्हें ट्रिब्यूनल की भूमिका निभाने से पहले या तो अदालत में अपनी वर्तमान पोजिशन छोड़नी होगी या रिटायर होना होगा, क्योंकि वे उसी समय दोनों पदों पर काम नहीं कर सकते हैं।

संशोधित ट्रिब्यूनल नियम कहता है: “यदि अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त कोई व्यक्ति वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में न्यायाधीश है, या किसी संगठित सेवा में कार्यरत है, तो उन्हें या तो इस्तीफा देना होगा या अपने वर्तमान पद से स्वेच्छा से रिटायर होना होगा। उसके बाद वे ट्रिब्यूनल में काम करना शुरू कर सकते हैं।”

द इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) की रिपोर्ट के अनुसार, ये बदलाव इसलिए हो रहे हैं क्योंकि सरकार कर मामलों और कानूनी विवादों को ज्यादा तेज़ी से संभालने के लिए GST अपीलीय ट्रिब्यूनल की स्थापना कर रही है। पहले, सरकार ने इन ट्रिब्यूनल में वकीलों को न्यायिक सदस्यों का हिस्सा नहीं बनने देने का फैसला किया था।

First Published - September 14, 2023 | 6:39 PM IST

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