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पैसिव फंड रहे आपके मुख्य इक्विटी पोर्टफोलियो में

कुछ ए​क्टिव फंड मैनेजर हर साल सूचकांक से बेहतर प्रदर्शन करेंगे लेकिन पैसिव फंड में निवेश रखें बरकरार

Last Updated- May 14, 2023 | 9:43 PM IST
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पैसिव फंड (passive fund) में निवेश को बढ़ाव देने के इरादे से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) उन म्युचुअल फंडों को नियामकीय अनुपालन में रियायत देने पर विचार कर रहा है जो केवल पैसिव फंड देते हैं। बाजार नियामक की इस पहल से तमाम नए ​खिलाड़ियों के लिए बाजार की राह आसान होगी। इससे भारत में पैसिव निवेश में अच्छी-खासी वृद्धि हो सकती है।

एसऐंडपी इंडेक्स बनाम एक्टिव (एसपीआईवीए) इंडिया की नई रिपोर्ट भी आ चुकी है। रिपोर्ट बताती है कि ए​क्टिव फंड मैनेजर कई श्रेणियों में बेंचमार्क से आगे निकलने के लिए जूझ रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में 67.9 फीसदी लार्ज-कैप ए​क्टिव फंड, 63.9 फीसदी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) और 50 फीसदी मिड-कैप एवं स्मॉल-कैप ए​क्टिव फंड बेंचमार्क को मात देने में विफल रहे हैं।

पैसिव फंड की उजली तस्वीर

एसऐंडपी इंडेक्स बनाम एक्टिव इंडिया की पिछली कई रिपोर्ट में ए​क्टिव फंडों (कुछ श्रेणी में) का कमजोर प्रदर्शन नजर आता रहा है। फिडुशियरीज के संस्थापक और सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) अविनाश लूथरिया ने कहा, ‘कुछ समय पहले एसऐंडपी द्वारा किए गए शोध से एक खास बात पता चली है। शोध बताता है कि पिछले आंकड़ों से ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता कि अगले पांच वर्षों में किस फंड को प्रदर्शन बेहतर रहेगा।’
इन्हीं दो कारणों- बड़ी तादाद में ए​क्टिव फंडों का प्रदर्शन खराब रहने और भविष्य में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले फंडों का अनुमान नहीं लगने – से पैसिव फंडों में निवेश की गुंजाइश बनती हैं।

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निवेश को बनाएं आसान

जब निवेशक ए​क्टिव फंड का विकल्प चुनते हैं तो वे फंड मैनेजर के खराब प्रदर्शन के जोखिम से खुद को बचाना चाहते हैं। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन ने कहा, ‘गलत क्षेत्र अथवा शेयर चुनने के कारण ऐसा हो सकता है। पैसिव फंड में निवेश के जरिये इस जोखिम को कम किया जाता है।’

पैसिव फंड आपके निवेश को आसान बनाता है। पर्सनल फाइनैंस प्लान के संस्थापक एवं सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव ने कहा, ‘निवेशकों को पैसिव फंड के खराब प्रदर्शन के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसमें लगभग बाजार के बराबर रिटर्न मिलता है। जहां तक ए​क्टिव फंड का सवाल है तो कई निवेशक पिछले रिटर्न के आधार पर निवेश करते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में जिन फंडों का अच्छा प्रदर्शन रहा है, वे खराब प्रदर्शन भी कर सकते हैं। ऐसे में निवेशक दूसरे फंड की ओर रुख करते लगते हैं, जिनका मौजूदा प्रदर्शन अच्छा दिखता है। इससे निवेश का अनुशासन खत्म हो जाता है।’ पैसिव फंड का प्रदर्शन कमजोर नहीं होता है और इसलिए लंबे समय तक उनमें निवेश करना आसान होता है। पैसिव फंड का खर्च अनुपात भी कम होता है।

लूथरिया ने कहा कि जिन निवेशकों ने ए​क्टिव लार्जकैप फंड का विकल्प चुना और पिछले 10 वर्षों में प्रदर्शन के लिहाज से कमजोर रहे हैं तो कुल मिलाकर उन्होंने सूचकांक (बीएसई 100 कुल रिटर्न सूचकांक) के मुकाबले 17 फीसदी या 1.8 फीसदी सालाना से कमतर प्रदर्शन किया होगा। उन्होंने कहा, ‘जब निवेशक ए​क्टिव फंड चुनते हैं तो इस तरह का जोखिम बना रहता है।’

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मौका चूकने का डर नहीं

ए​​क्टिव फंड मैनेजरों का एक समूह हर साल सूचकांक के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगा। पैसिव फंड निवेशकों को मौका छूट जाने का डर सता सकता है और वे पैसिव फंडों से अपना निवेश निकाल सकते हैं। यदि निवेशक नैरो-फोकस्ड इंडेक्स फंड का विकल्प चुनते हैं तो उनके लिए जो​खिम बढ़ सकता है। ध्यान रहे कि ट्रैकिंग संबंधी त्रुटि अ​धिक होने के साथ ही पैसिव फंडों का प्रदर्शन सूचकांक के मुकाबले काफी अलग होगा।

कुछ श्रे​णियों में पैसिव सही

कुछ खास श्रे​णियों में पैसिव फंड का मामला दमदार होता है। धवन ने कहा, ‘खास तौर पर लार्ज-कैप और अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में फंड मैनेजर सूचकांक को मात देने के लिए संघर्ष करते हुए दिखते हैं।’

एसपीआईवीए इंडिया स्कोरकार्ड के अनुसार पिछले 10 वर्षों में 63.9 फीसदी ईएलएसएस बेंचमार्क से आगे निकलने में विफल रहे हैं। धवन ने कहा, ‘जो लोग पुरानी कर व्यवस्था में हैं वे पैसिव ईएलएसएस में निवेश कर सकते हैं। अब ऐसे कई फंड उपलब्ध हैं।’ जहां तक डेट में निवेश की बात है तो उन्होंने टारगेट मैच्योरिटी फंड का सुझाव दिया।

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पैसिव पोर्टफोलियो बनाएं

अपने इ​क्विटी पोर्टफोलियो को दो भागों- कोर और सैटेलाइट- में विभाजित करें। राघव ने कहा, ‘कोर पोर्टफोलियो बाजार के बराबर रिटर्न हासिल करने पर केंद्रित होना चाहिए। यहां आप निफ्टी50 अथवा निफ्टी 100 आधारित फंड चुन सकते हैं।’

जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो को भौगोलिक तौर पर विविध बनाना चाहते हैं और हाल में कर नियमों में बदलाव के बाद अंतरराष्ट्रीय फंडों से थोड़ा कम करोपरांत रिटर्न पाने को भी तैयार हैं, उन्हें एसऐंडपी500 अथवा अमेरिकी ऑल-मार्केट फंड का विकल्प चुनना चाहिए। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फंडों के बीच 80:20 अनुपात में निवेश रहे।

सैटेलाइट पोर्टफोलियो में आप बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश कर सकते हैं। यहां ऐ​क्टिव फंड, सेक्टर अथवा थीमैटिक फंड, फैक्टर-आधारित फंड और पैसिव मिड- कैप एवं स्मॉल-कैप फंड पर विचार कर सकते हैं।

First Published - May 14, 2023 | 9:43 PM IST

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