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Retirement MFs: चुनें म्युचुअल फंड का रिटायरमेंट प्लान और 60 के बाद घर बैठकर करें आराम

इसमें मिलेगा इक्विटी में भारी आवंटन का मौका और निकासी के कई विकल्प, पूरा फायदा लेना है तो लॉक-इन खत्म होने पर भी रखें निवेश

Last Updated- June 09, 2024 | 8:38 PM IST
Retirement Planning: If you want regular income, then what should be the strategy regarding mutual funds, dividend plan or SWP, which one is better रेगुलर इनकम चाहिए तो म्युचुअल फंड को लेकर क्या हो स्ट्रेटजी, डिविडेंड प्लान या SWP दोनों में से कौन बेहतर…

Retirement MFs: कामकाजी व्यक्तियों के लिए पहला लक्ष्य होता है रिटायरमेंट के बाद जिंदगी ठीक से गुजारने के लिए पर्याप्त रकम का इंतजाम कर लेना। इसके लिए कई विकल्प मौजूद हैं, जिनमें म्युचुल फंड की सेवानिवृत्ति योजनाएं भी शामिल हैं। म्युचुअल फंडों के संगठन असोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार 28 सेवानिवृत्ति योजनाओं में 30 अप्रैल 2024 तक 26,265 करोड़ रुपये पड़े थे। हाल ही में बड़ौदा बीएनपी पारिबा रिटायरमेंट फंड भी इस मैदान में उतर आया है।

गेनिंग ग्राउंड इन्वेस्टमेंट के संस्थापक रवि कुमार टीवी ने कहा, ‘लोक भविष्य निधि (पीपीएफ), पेंशन फंड और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) जैसे विकल्पों का उपयोग करते हुए आप अपना रिटायरमेंट का लक्ष्य पूरा करने के लिए निवेश कर सकते हैं। मगर म्युचुअल फंड सेवानिवृत्ति योजना चुनने से आपको उन शेयरों का फायदा उठाने का मौका मिल जाएगा, जिन्हें अच्छे ढंग से संभाला जा रहा है। इनसे निवेशकों को लचीलापन भी मिलता है।’

क्या है पेशकश?

हर सेवानिवृत्ति योजना में शेयर और बॉन्ड में निवेश का अनुपात बहुत अलग हो सकता है। बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर और वरिष्ठ विश्लेषक प्रतीश कृष्णन कहते हैं, ‘रिटायरमेंट फंड इक्विटी, डेट और रीट अथवा इनविट जैसी परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं। लंबे समय के लिए निवेश करें तो दूसरे विकल्पों के मुकाबले इन पर महंगाई का बहुत कम असर पड़ता है।’ इन फंडों में रकम निवेशक के रिटायर होने तक लॉक रहती है। हां, अगर एक-दो साल में ही रिटायरमेंट है तो कम से कम पांच साल के लिए रकम इसमें रहेगी।

मायने रखता है नाम

रिटायरमेंट फंड पूरी तरह इक्विटी डायवर्सिफाइड स्कीम भी हो सकते हैं और हाइब्रिड फंड भी हो सकते हैं। मगर रिटायरमेंट का नाम जुड़ने से निवेशकों का नजरिया अलग हो जाता है। पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के मुख्य कार्या​धिकारी (सीईओ) अजीत मेनन का कहना है, ‘रिटायरमेंट की चिप्पी अहम है। इससे निवेशक कुछ रकम अलग करने और रिटायरमेंट के लिए बचत करने को प्रेरित होते हैं। इससे निवेशकों को लंबी अवधि के लिए लगातार निवेश करने की प्रेरणा मिलती है।’

इसमें निकासी भी काफी सरल है। लॉक इन अव​​धि खत्म होने के बाद निकासी पर कोई पाबंदी नहीं है। निवेशक अपनी सेवानिवृ​त्ति के बाद नियमित आय हासिल करने के लिए सिस्टेमैटिक विदड्रॉल प्लान चुन सकते हैं या एकमुश्त रकम भी निकाल सकते हैं। वे चाहें तो किसी बीमा कंपनी से एन्युटी भी खरीद सकते हैं।

कृष्णन बताते हैं, ‘रिटायरमेंट फंड निवेशकों को यह तय करने की सुविधा देते हैं कि रिटायर होने पर हर महीने कितनी रकम निकालनी है। कुछ विकल्पों में रिटायर होने पर 40 फीसदी रकम से अनिवार्य तौर पर एन्युटी खरीदने की जरूरत होती है।’

उतार-चढ़ाव के लिए रहें तैयार

शेयरों में अ​धिक निवेश वाले रिटायरमेंट फंडों पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर पड़ता है। मेनन समझाते हैं, ‘शेयरों में निवेश करने वाली योजनाओं में कुछ समय के लिए गिरावट दिख सकती है। अगर सेवानिवृ​त्ति के बाद निकासी के दौरान शेयरों में ज्यादा निवेश रहा हो तो अस्थिरता से निपटने के लिए सुरक्षित परिसंपत्ति श्रेणियों अथवा बैंक में आपातकालीन कोष रखना उचित रहेगा।’

कर का प्रभाव

कितना कर लगेगा, यह पोर्टफोलियो पर निर्भर करता है। अगर पोर्टफोलियो में 65 फीसदी अथवा उससे अधिक आवंटन शेयरों में तो 10 फीसदी दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर लगेगा। 35 फीसदी से अ​धिक और 65 फीसदी से कम शेयरों में निवेश वाली योजनाओं के लिए पूंजीगत लाभ इंडेक्सेशन लाभ के दायरे में होता है और न्यूनतम तीन वर्षों के बाद उस पर 20 फीसदी की दर से कर लगाया जाता है। अन्य परिस्थितियों में लाभ पर स्लैब के हिसाब से ही कर लगाया जाता है।

जल्द करें निवेश

रिटायरमेंट फंड सभी आयु वर्गों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। मगर बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने और चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा उठाने के लिए निवेश जल्द शुरू कर देना चाहिए। मेनन ने कहा, ‘चूंकि रिटायरमेंट इकलौता वित्तीय लक्ष्य है, जिसके लिए कोई कर्ज नहीं देता, इसलिए कमाई शुरू होने के साथ ही आपको इसका ख्याल रखना चाहिए। अगर आप सेवानिवृ​त्ति के लिए निवेश देर से शुरू करते हैं तो आप सालाना योगदान बढ़ाकर टॉपअप सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के साथ उपयुक्त रकम हासिल कर सकते हैं।’

आम तौर पर ये फंड लंबी अवधि के निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं। ऐसे निवेशक बाजार के जोखिम को समझते हैं और उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहते हैं। रवि कुमार ने कहा, ‘अगर किसी ने अपना करियर अभी-अभी शुरू किया है तो वह इन फंड में निवेश करते हुए रिटायर होने तक अच्छी खासी संपत्ति बना सकते हैं। जो लोग रिटायरमेंट के करीब हैं, वे भी हाइब्रिड परिसंप​त्ति आवंटन वाले फंड चुन सकते हैं।’

इसका उद्देश्य रिटायरमेंट के लिए निवेश करना है। इसलिए लॉक-इन समाप्त होने पर भी आपको इससे बाहर नहीं निकलना चाहिए। कृष्णन ने कहा, ‘रिटायरमेंट फंड को लंबी अवधि तक निवेश बरकरार रखने और अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से बचाव को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।’

First Published - June 9, 2024 | 8:38 PM IST

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