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Senior Citizen Savings Scheme: वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्यों बेहतर हो गई है ये स्कीम

जोखिम रहित निवेश, उच्च ब्याज दर और ब्याज के हर तिमाही भुगतान की सुविधा की वजह से इस स्कीम को सीनियर सिटीजन बेहद उत्सुक होते हैं। लेकिन इस स्कीम को लेकर कई सवाल हैं। आज हम उन्हीं का जवाब देने का प्रयास कर रहे हैं।

Last Updated- April 23, 2023 | 10:52 PM IST
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केंद्र सरकार द्वारा इस साल के बजट में वरिष्ठ नागरिकों यानी सीनियर सिटीजन के लिए सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (Senior Citizen Savings Scheme या SCSS) में निवेश की सीमा 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख करने की घोषणा की गई। मतलब 1 अप्रैल 2023 से सीनियर सिटीजन अधिकतम 30 लाख रुपये इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं।

वहीं मौजूदा अप्रैल-जून तिमाही के लिए इस स्कीम पर ब्याज दर में 0.2 फीसदी का इजाफा किया गया। जिससे अब इस स्कीम पर ब्याज 8 फीसदी से बढ़कर 8.2 फीसदी हो गया है। सरकार की जितनी भी छोटी बचत योजनाएं (small savings schemes) हैं, उनमें सबसे ज्यादा ब्याज फिलहाल SCSS पर ही है।

निवेश की सीमा और पिछली तीन तिमाहियों से ब्याज में की जा रही बढ़ोतरी के बीच इस स्कीम की लोकप्रियता फिर से वरिष्ठ नागरिकों के बीच बढ़ने लगी है। अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2022 तक इस स्कीम पर ब्याज 7.4 फीसदी पर स्थिर था जबकि इससे पहले अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2020 तक इस स्कीम पर सरकार 8.6 फीसदी ब्याज दे रही थी। जिस वजह से वरिष्ठ नागरिक इस स्कीम में निवेश को लेकर कमोबेश उदासीन हो गए थे।

पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए ब्याज दर को 7.4 फीसदी से बढ़ाकर 7.6 फीसदी किया गया। जिसे अगली तिमाही यानी जनवरी- मार्च 2023 के लिए बढ़ाकर 8 फीसदी और फिर मौजूदा अप्रैल जून-तिमाही के लिए बढाकर 8.2 फीसदी कर दिया गया। सरकार SCSS सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं पर हर तिमाही ब्याज का निर्धारण करती है।

जोखिम रहित निवेश, उच्च ब्याज दर और ब्याज के हर तिमाही भुगतान की सुविधा की वजह से इस स्कीम को सीनियर सिटीजन बेहद उत्सुक होते हैं। लेकिन इस स्कीम को लेकर कई सवाल हैं। आज हम उन्हीं का जवाब देने का प्रयास कर रहे हैं।

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कौन कर सकता है इस स्कीम में निवेश?

यह स्कीम सिर्फ वरिष्ट नागरिकों के लिए है। इस स्कीम में 60 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र का कोई व्यक्ति व्यक्तिगत (individual) या संयुक्त (joint) अकाउंट खोल सकता है। 55 से 60 वर्ष के बीच स्वैच्छिक निवृत्ति योजना (voluntary retirement scheme या VRS) या रिटायरमेंट लेने वाले और 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र के रिटायर्ड डिफेंस पर्सनेल भी इसमें निवेश कर सकते हैं। लेकिन इन लोगों को रिटायरमेंट बेनेफिट मिलने के एक महीने के अंदर इस स्कीम में निवेश करना होगा। Joint अकाउंट में joint होल्डर की उम्र को लेकर कोई बंधन नहीं है।

कैसे और कितना निवेश?

इस अकाउंट में वन-टाइम निवेश ही किया जा सकता है। इसका मतलब है कि जिस समय आप इस स्कीम में invest करते हैं, उस समय सरकार ने उस पर जो ब्याज तय किया है आपको मैच्योरिटी पीरियड (maturity period) तक उसी दर पर ब्याज मिलेगा। सरकार आगे ब्याज दर बढ़ाए या घटाए, आपके ब्याज पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

इस स्कीम में अधिकतम 30 लाख रुपये और न्यूनतम 1,000 रुपये निवेश किया जा सकता है। इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 5 वर्ष है। इसे आगे और 3 वर्ष के लिए बढाया जा सकता है। यह अकाउंट पोस्ट ऑफिस (Post Office), पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSB) और चुनिंदा निजी क्षेत्र के बैंकों में खुलवाया जा सकता है। लेकिन उस ब्रांच में आपका सेविंग अकाउंट (Saving Account) भी होना जरूरी है। आपके इसी सेविंग अकाउंट से SCSS अकाउंट को जोड़ा जाता है।

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कैसे मिलेगा रिटर्न?

यह मानते हुए कि सीनियर सिटीजन को पैसों की नियमित जरूरत पड़ती है, इसमें रिटर्न (ब्याज) भी नियमित मिलता है जो हर तीन महीने में इस अकाउंट से जुड़े सेविंग अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है। ब्याज का भुगतान हर अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर और जनवरी की पहली तारीख को सेविंग अकाउंट में कर दिया जाता है।

मान लीजिए आपने एकमुश्त 30 लाख रुपए जमा किए हैं तो मौजूदा ब्याज दर (8.2 फीसदी) के हिसाब से एक वित्त वर्ष में 2,46,000 रुपये यानी हर तिमाही 61,500 रुपये ब्याज मिलेंगे जो आपके सेविंग अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे।

क्या जमा रकम बीच में निकाल सकते हैं?

अकाउंट खोलने के एक साल के भीतर अगर आप जमा रकम निकालते हैं तो आपको इस जमा रकम पर कुछ भी ब्याज नहीं मिलेगा। यदि ब्याज मिला है तो उसे काटकर आपको बाकी रकम लौटाई जाएगी। एक साल के बाद लेकिन दो साल के भीतर अकाउंट को बंद कर जमा रकम निकालने के एवज में जमा रकम पर 1.5 फीसदी की पेनाल्टी देनी होगी।

दो साल की अवधि पूरी होने के बाद लेकिन 5 साल से पहले जमा रकम निकालने के एवज में जमा रकम पर एक फीसदी पेनाल्टी देनी होगी। अगर 5 वर्ष के बाद अकाउंट 3 वर्ष की विस्तारित अवधि (extended period) में है तो ऐसी स्थिति में एक साल बाद यानी 6 वर्ष पूरे होने पर ही अकाउंट को बंद कर जमा रकम निकाली जा सकती है। तब कोई पेनाल्टी नहीं देनी होगी।

टैक्स में छूट

इस स्कीम में निवेश की राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट का प्रावधान है, लेकिन प्रीमैच्योर विड्रॉल की स्थिति में यह छूट नहीं मिलेगी।

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किनके लिए बेहतर, किनके लिए नहीं?

यह स्कीम उन लोगों के लिए ज्यादा बेहतर है जिनके पास नियमित आमदनी का जरिया यानी पेंशन नहीं है। या है भी तो यह सुनिश्चित कर लें कि इस स्कीम से मिलने वाले ब्याज को जोड़ने के बाद भी सालाना इनकम पर टैक्स देनदारी (सेक्शन 80TTB का फायदा लेने के बाद भी) नहीं बनती हो। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTB के तहत 60 या 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति यानी सीनियर सिटीजन को बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी, पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट व टर्म डिपॉजिट पर एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये तक मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री है।

लेकिन कोई सीनियर सिटीजन इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं तो उनके लिए यह स्कीम अच्छी नहीं है। इसकी वजह यह है कि इस स्कीम में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब ब्याज सालाना आय में जुड़ जाता है। परिणामस्वरूप टैक्स स्लैब के हिसाब से ब्याज पर टैक्स देना पड़ेगा और रिटर्न कम हो जाएगा। जो लोग ऊपर के टैक्स स्लैब यानी 20 और 30 फीसदी के दायरे में हैं उनके लिए तो यह स्कीम बेहतर नहीं है।

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कैसे रिटर्न बेहतर करें?

इस बात की संभावना प्रबल है कि आगे भी एक दो तिमाही के लिए SCSS सहित अन्य small savings schemes पर ब्याज दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए फिलहाल एक साथ निवेश करने के बजाय थोड़ा-थोड़ा निवेश करें। अगर आपके पास 30 लाख रुपए की रकम है तो इसे 2-3 बार में अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक निवेश करें। इसका फायदा यह होगा कि आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत फायदा इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के लिए भी मिल जाएगा (एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की रकम पर फायदा मिलेगा)।

सुकन्या समृद्धि योजना और पीपीएफ की तरह इस स्कीम में ब्याज में कंपाउंडिंग का फायदा नहीं मिलता। अगर आप ब्याज की रकम को सेविंग अकाउंट में छोड़ देते हैं तो उस पर सेविंग अकाउंट पर जो ब्याज मिलता है वह मिलेगा। इसलिए सलाह है कि जैसे ही ब्याज आपके सेविंग अकाउंट में आए, उसे कम से कम रेकरिंग डिपॉजिट अकाउंट (आरडी) में ट्रांसफर कर दें।

जो सीनियर सिटीजन नहीं हैं…

जो लोग सीनियर सिटीजन नहीं हैं वे अपने माता-पिता (अगर स्कीम में निवेश की जरूरी शर्तों को पूरा करते हैं) के लिए उनके नाम पर इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं। ऐसे लोगों को इस निवेश पर टैक्स का तो कोई बेनिफिट नहीं मिलेगा, लेकिन इससे वे अपने माता-पिता को जरूर ऊंची ब्याज दर का फायदा दिला सकेंगे। माता पिता दोनों के नाम से अलग-अलग अधिकतम 30-30 लाख यानी 60 लाख रुपए तक का निवेश किया जा सकता है।

First Published - April 20, 2023 | 6:46 PM IST

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