नए साल में बॉन्ड धारकों को चौथी बार आज यानी 25 जनवरी को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) में मैच्योरिटी से पहले कमाई का शानदार मौका मिला। मैच्योरिटी से पहले इस नौवें गोल्ड बॉन्ड (2017-18 Series II) को बॉन्ड धारकों ने चौथी बार 6,239 रुपये प्रति यूनिट (1 यूनिट = 1 ग्राम) के प्री मैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस पर बेचा।
इससे पहले बॉन्ड धारकों को इस 9वें बॉन्ड (2017-18 Series XIV) को 28 जुलाई 2022, 28 जनवरी 2023 और 28 जुलाई 2023 को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का मौका मिला था। तब उन्होंने इस बॉन्ड के 1,47,167 यूनिट (1 यूनिट = 1 ग्राम) बेचे थे ।
अब जानते हैं कि आखिर उन बॉन्ड धारकों को मैच्योरिटी से पहले 25 जनवरी 2024 को बेचने पर कितनी कमाई हुई जिन्होंने इस सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश किया था।
9वां गोल्ड बॉन्ड (2017-18 Series II)
ग्रॉस /कुल कमाई
यह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2017-18 Series II) 2,830 रुपये के इश्यू प्राइस पर 28 जुलाई 2017 को जारी हुआ था। जबकि RBI ने इस बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस 6,239 रुपये प्रति यूनिट तय किया। इस हिसाब से इस सीरीज को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर बॉन्ड धारकों को 120.46 फीसदी का कैपिटल गेन हुआ।
टैक्स चुकाने के बाद कमाई
बॉन्ड धारकों ने इस गोल्ड बॉन्ड को इश्यू होने के 36 महीने बाद बेचे हैं इसलिए उन्हें कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकानी पड़ी होगी।
अब इस बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने के मामले में बगैर इंडेक्सेशन के फायदे और इंडेक्सेशन के फायदे के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना करते हैं:
बगैर इंडेक्सेशन का फायदा लिए
परचेज प्राइस/ इश्यू प्राइस : 2,830 रुपये
प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस: 6,239 रुपये
टैक्सेबल कैपिटल गेन: 6,239-2,830 = 3,409 रुपये
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स (20.8%): 709.07 रुपये
टैक्स चुकाने के बाद कमाई: 6,239-709.07 = 5,529.93 रुपये
इंडेक्सेशन का फायदा लेने के बाद
परचेज प्राइस/ इश्यू प्राइस: 2,830 रुपये
कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) (2017-18): 272
CII (2023-24): 348
इन्फ्लेशन को एडजस्ट करने के बाद परचेज प्राइस: 2,830 x (348/272) = 3,620.73 रुपये
प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस: 6,239 रुपये
टैक्सेबल कैपिटल गेन (after Indexation): 6,239- 3,620.73 = 2,618.26 रुपये
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स (20.8%) : 544.60 रुपये
टैक्स चुकाने के बाद कमाई: 6,239-550.16 = 5,694.40 रुपये
यदि इंडेक्सेशन का फायदा बॉन्ड धारकों को नहीं मिलता तो कमाई 5,694.40 रुपये के बजाय 5,529.93 रुपये हुई होती।
इंटरेस्ट जोड़कर कमाई
निवेशकों को इस सीरीज के लिए प्रति वर्ष 2.5 फीसदी यानी 35.38 रुपये प्रति छह महीने जबकि 6.5 साल की होल्डिंग पीरियड के दौरान 459.94 रुपये इंटरेस्ट/कूपन मिला। इस तरह से देखें तो इंटरेस्ट को जोड़ने के बाद इस बॉन्ड ने 13.67% फीसदी का एनुअल रिटर्न (CAGR) दिया। यदि इस बॉन्ड को आपने ऑनलाइन खरीदा होगा तो आपको इश्यू प्राइस पर 50 रुपये प्रति यूनिट का डिस्काउंट भी मिला होगा। ऐसे बॉन्ड धारक तो और ज्यादा फायदे में रहे । ऐसे बॉन्ड धारकों को 14 फीसदी का सालाना एनुअल रिटर्न मिला। सितंबर 2016 के बाद जारी होने वाले सीरीज के लिए इंटरेस्ट को सालाना 2.75 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है।
SGB की इस सीरीज पर इंटरेस्ट जोड़कर सालाना कमाई (CAGR) की गणना:
इश्यू प्राइस 1 ग्राम: 2,830 रुपये
रिडेम्प्शन प्राइस (LTCG टैक्स घटाने के बाद): 5,694.40 रुपये
इंटरेस्ट: 459.94 रुपये
ग्रॉस (कुल) रिटर्न : 3,324.34 रुपये
ग्रॉस रिटर्न (%) : 117.47%
एनुअल रिटर्न (CAGR): 12.69%
ऑनलाइन बॉन्ड धारक – एनुअल रिटर्न (CAGR): 13%
अब जानते हैं कि प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन को लेकर नियम क्या हैं?
कब कर सकते हैं प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का विकल्प भी निवेशकों के पास होता है। जिसे आप उसके इश्यू होने के 5 साल बाद मैच्योरिटी से पहले रिडीम कर सकते हैं। आरबीआई प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख उस दिन तय करती है जिस दिन इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट देय होता है। इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट प्रत्येक छह महीने यानी साल में दो दफे मिलता है।
वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी सीरीज (9वें चरण) के लिए निवेशकों को आरबीआई ने 25 जनवरी 2024 को 6,239 रुपये के प्राइस पर मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का चौथा मौका दिया।
प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस तय होती है कैसे
नियमों के मुताबिक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के शुरुआती 9 सीरीज के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्पशन प्राइस इश्यू पर ब्याज के भुगतान की तारीख से पहले के सप्ताह (सोमवार-शुक्रवार) के लिए आईबीजेए (IBJA) से प्राप्त गोल्ड (999) के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज होती है। जबकि बाद के सीरीज के लिए यह ब्याज के भुगतान की तारीख से पहले के 3 कार्य दिवस (working days) के लिए आईबीजेए से प्राप्त गोल्ड (999) के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज होती है। क्योंकि यह आरबीआई की तरफ से जारी नौवीं सीरीज है। इसलिए आरबीआई ने इस इश्यू के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस ब्याज के भुगतान की तारीख से पहले के सप्ताह के औसत क्लोजिंग प्राइस के आधार पर किया।
इसी नियम के अनुसार आरबीआई ने इस 9वें बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस 6,239 रुपये प्रति यूनिट/ग्राम तय किया जो IBJA से प्राप्त 15-19 जनवरी के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज है।
कितने ग्राम गोल्ड बॉन्ड का हो चुका है प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन
हालिया प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन से पहले भी बॉन्ड धारक इस 9वें बॉन्ड के 1,47,167 यूनिट बेच चुके हैं। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी 2024 तक इस बॉन्ड के 1,47,167 यूनिट यानी 1,47,167 ग्राम सोने की वैल्यू के बराबर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन हो चुका है । इससे पहले इस बॉन्ड के लिए कुल 23,49,953 यूनिट की खरीद की गई थी। इस तरह से इस बॉन्ड के 22,02,786 यूनिट अभी भी बचे हैं।
टैक्स को लेकर क्या हैं नियम
अगर आपने मैच्योरिटी पीरियड से पहले रिडीम किया तो टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगेगा। मतलब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। लेकिन यदि आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।