Tax Saving Tips: अगर टैक्स सेविंग्स की प्लानिंग सही तरीके से की जाए तो इनकम टैक्स पेयर्स अच्छी खासी बचत कर सकते हैं। आज के समय में हर कोई खासकर सैलरीड क्लास अपनी इनकम से सेविंग्स और EMI चुकाता है। खास बात यह है कि अगर सेविंग्स और ईएमआई रिपेमेंट की सही प्लानिंग हो तो अभी भी ओल्ड टैक्स रिजीम में 10 लाख रुपये तक सालाना इनकम टैक्स फ्री हो सकती है। ओल्ड टैक्स रिजीम में बेसिक एग्ज्म्शन लिमिट यानी सभी के लिए टैक्स फ्री इनकम की लिमिट 2.5 लाख रुपये है। इसके अलावा सरकार इससे ज्यादा की सालाना इनकम पर ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स के सेक्शन 87A के अंतर्गत 12,500 रुपये का रिबेट देती है। आइए समझते हैं कि ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने वाले टैक्सपेयर्स कैसे अपनी 10 लाख रुपये की सालाना इनकम को टैक्स फ्री कर सकते हैं।
भारत में हर व्यक्ति की सालाना आय के आधार पर सरकार इनकम टैक्स वसूलती है। टैक्स लगाने के लिए आयकर स्लैब (Income Tax Slabs) बनाए गए हैं, जिसको सरकार समय-समय पर अपडेट करती रहती है। ओल्ड टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट 2.5 लाख रुपये है। इस रिजीम में सरकार सेक्शन 87A के अंतर्गत 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट देती है। इस तरह आपकी 5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री हो जाती है।
| इनकम स्लैब | टैक्स रेट |
| ₹2,50,000 तक | Nil |
| ₹2,50,001 से ₹5,00,000 | 5% |
| ₹5,00,001 से ₹10,00,000 | 20% |
| ₹10,00,001 और उससे ऊपर | 30% |
(नोट: ऊपर टैक्स स्लैब, रेट 60 साल के कम उम्र के इंडिविजुअल और HUF के लिए प्रभावी)
ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्सपेयर को सालाना इनकम पर 50,000 रुपये तक स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा मिलती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन की घोषणा साल 2018 के बजट में की गई थी। पहले इसकी सीमा 40,000 रुपये थी, जिसे अगले साल बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया। इसे शुरू करने का मकसद कर्मचारियों को टैक्स छूट देकर उनके हाथ में ज्यादा पैसा देना है.
इसके अलावा, टैक्सपेयर्स को अलग-अलग तरह के निवेश और खर्चों पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा देती है। जैसेकि, इनकम टैक्स के Section 80C के अंतर्गत टैक्सपेयर 1.5 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर आपने PPF (Public Provident Fund), EPF (Employees Provident Fund), NSC (National Savings Certificate), Life Insurance Premium, या Fixed Deposit जैसी किसी टैक्स-सेविंग योजना में निवेश किया है, तो वह निवेश आपकी कुल आय से घट जाएगा और टैक्स में छूट मिलेगी।
इसी तरह, हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स बचा सकते हैं। इनकम टैक्स के Section 80D के अंर्तगत आप अपने परिवार (पति-पत्नी और 2 बच्चों) के लिए किए गए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर 25,000 रुपये तक की टैक्स डिडक्शन ले सकते हैं। अगर आपकी पॉलिसी में माता-पिता हैं और उनकी उम्र 60 साल से कम है तो अतिरिक्त 25,000 रुपये या यानी कुल 50,000 रुपये का क्लेम सेक्शन 80डी में कर सकते हैं। वहीं, आपके माता-पिता की उम्र 60 साल से ऊपर के हैं, तो यह छूट 50,000 रुपये तक बढ़ जाती है। यानी, कुल 75,000 रुपये तक के प्रीमियम भुगतान को टैक्स डिडक्शन में क्लेम किया जा सकता है।
इसके अलावा, NPS (National Pension System) में निवेश पर टैक्स सेविंग्स का एक अतिरिक्त मौका मिल जाता है। Section 80CCD(1B) के तहत इसमें निवेश पर अतिरिक्त 50,000 रुपये तक की छूट मिल जाती है। यह छूट सेक्शन 80C में मिलने वाली 1.5 लाख के क्लेम के अतिरिक्त होती है। यानी, जब आप 80C का पूरा लाभ ले चुके हों तो, NPS से निवेश पर 50,000 रुपये का अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
इसके अलावा, अगर आपका होम लोन चल रहा है और सेल्फ ऑक्युपाइड है तो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24(B) के अंतर्गत होम लोन पर ब्याज पर मैक्सिमम ₹2 लाख तक टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
| टैक्स डिडक्शन | अमाउंट |
| स्टैंडर्ड डिडक्शन | 50,000 रुपए |
| सेक्शन 80C के तहत छूट | 1,50,00 रुपए |
| NPS में अतिरिक्त छूट | 50,000 रुपए |
| 80D के तहत छूट | 50,000 रुपए |
| 24(B) के तहत छूट | 2,00,000 रुपए |
| कुल डिडक्शन क्लेम | 5,00,000 रुपए |
| टैक्सेबल इनकम | 10,00,000 -5,00,000= 5,00,000 |
| टैक्स देनदारी (2.5 लाख की बेसिक छूट के बाद) – 87A रिबेट | 12,500-12,000 रुपये |
| नेट टैक्स देनदारी | शून्य |
इन्वेस्टमेंट एडवाइजर फर्म मनीफ्रंट के को-फाउंडर और CEO मोहित गांग कहते हैं, “ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत अभी भी रिटर्न दाखिल करने वाले सभी लोगों के लिए, टैक्स में अभी भी कई प्रकार की छूट है। 10 लाख सालाना वेतन वाले व्यक्ति के लिए 80C के तहत 1.5 लाख की छूट तुरंत मिल सकती है और NPS 80CCD में निवेश करके 50 हजार की छूट मिल सकती है। इसके अलावा, आश्रित परिवार और माता-पिता के मेडिकल बीमा के लिए सेक्शन 80D के तहत 50 हजार का दावा किया जा सकता है। “
मोहित गांग आगे कहते हैं, “साथ ही अगर किसी ने कोई एजुकेशन लोन (स्वयं या बच्चों या जीवनसाथी के लिए) लिया है, तो धारा 80E के तहत पूरी ब्याज राशि पर कटौती का दावा किया जा सकता है। इन सभी सीमाओं को मूल छूट और HRA कटौती के साथ मिलाकर अगर आप चाहे तो 10 लाख तक सलाना कमाने के बाद भी आप एक न के बराबर इनकम टैक्स भर सकते हैं।”
अगर आप उपरोक्त सभी उपायों का सही तरीके से पालन करते हैं, तो आप आय और खर्चों के हिसाब से टैक्स बचाने में सफल हो सकते हैं। साथ ही, नियमित रूप से टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने से आप अपने टैक्स मामलों को सही रख सकते हैं और सरकार से किसी प्रकार की कोई फाइन भी नहीं लगेगा।
इन सब जुगत से आप 10 लाख रुपए तक की आय में टैक्स बचा सकते हैं। हालांकि, 10 लाख रुपये की आय पर टैक्स बचाने के कई और भी तरीके हैं, जिनमें से कुछ सीधे तौर पर आपको टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं, जबकि कुछ आपके निवेश को बढ़ावा देने के तरीके हैं। यदि आप इन तरीकों के मुताबिक काम करते हैं तो आपको भी इनकम टैक्स देने से बच सकते हैं।