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Ponzi Scam: क्या है 6600 करोड़ रुपये का बिटकॉइंन पोंजी घोटाला जिसमें राज कुंद्रा के शामिल होने का शक है?

राज कुंद्रा की 98 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त, बिटकॉइन पोंजी घोटाले में उलझे होने का आरोप!

Last Updated- April 22, 2024 | 5:15 PM IST
shilpa shetty and Raj kundra

भारत की वित्तीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा की 98 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त कर ली है। इस कार्रवाई को कथित तौर पर बिटकॉइन पोंजी स्कीम से जुड़े एक बड़े घोटाले की जांच का हिस्सा बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, ज़ब्त की गई संपत्तियों में मुंबई के धनी इलाके जुहू में स्थित एक फ्लैट, पुणे में एक बंगला और शेयर बाजार में विभिन्न कंपनियों के शेयर शामिल हैं।

पोंजी स्कीम क्या है?

पोंजी स्कीम एक तरह की धोखाधड़ी वाली निवेश योजना है। इसमें पुराने निवेशकों को दिए जाने वाले रिटर्न के लिए नए निवेशकों से पैसे लिए जाते हैं। आसान शब्दों में, यह एक तरह का “खेल” है जो तब तक चलता रहता है जब तक नए लोग पैसे लगाते रहते हैं। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई फर्जीवादे इसी पोंजी स्कीम की तरह काम करते हैं।

ये योजनाएं निवेशकों को बहुत ज्यादा, असल में असामान्य रूप से ज्यादा रिटर्न का लालच देकर फंसाती हैं। दूसरी तरफ, मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब है गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए धन को वैध दिखाना। इसमें अपराधी जटिल वित्तीय लेनदेन करके काले धन को छिपाने की कोशिश करते हैं।

राज क्रुंद्रा पर किस तरह की कार्रवाई हो रही है?

राज कुंद्रा की संपत्तियों को ईडी द्वारा ज़ब्त किए जाने का मतलब ये नहीं है कि वो सीधे तौर पर दोषी हैं। ये कार्रवाई सिर्फ ये बताती है कि ईडी उनकी संभावित भूमिका की जांच कर रही है, जिसमें एक बिटकॉइन आधारित पोंजी स्कीम और उससे जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग शामिल हैं। ईडी जांच पूरी होने या कोर्ट के आदेश तक ज़ब्त की गई संपत्ति उनके कब्जे से बाहर रहेगी।

क्या है बिटकॉइन पोंजी मामला?

2017 में क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में बिटकॉइन तहलका मचाए हुए था। यह भारी मुनाफे का लालच देकर हजारों निवेशकों को अपनी तरफ खींच रहा था। इसी मौके का फायदा उठाते हुए अमित भारद्वाज, अजय भारद्वाज और महेंद्र भारद्वाज नाम के तीन लोगों ने मिलकर “वेरिएबल टेक पीटीई लिमिटेड” के नाम से एक कंपनी बनाई और “गेन बिटकॉइन” नाम से एक पोंजी स्कीम शुरू कर दी। इस फर्जीवाड़े में कथित तौर पर 6,600 करोड़ रुपये की ठगी हुई।

उन्होंने लोगों को कैसे फंसाया? दरअसल, उन्होंने निवेशकों को बिटकॉइन माइनिंग के जरिए ऊंचे रिटर्न का लालच दिया। साथ ही, बिटकॉइन निवेश पर हर महीने 10% का मुनाफा देने का झूठा वादा किया। शुरुआत में कुछ समय तक तो ये योजना ठीक चली, लेकिन बाद में ये अपना वादा पूरा करने में नाकाम रही। निवेशकों को न तो वादा किया हुआ मुनाफा मिला और न ही उनका पैसा वापस हो सका। ये एक बहुत बड़ा घोटाला साबित हुआ।

विस्तार से जानें केस क्या है?

2017 में जब बिटकॉइन की कीमतें चढ़ रहीं थीं, उसी दौरान “गेन बिटकॉइन” नाम के घोटाले का खेल शुरू हुआ। ऊंचे मुनाफे का लालच देकर इसने कई निवेशकों को जाल में फंसा लिया। असल में ये एक तरह की पोंजी स्कीम थी, जहां शुरुआती निवेशकों को नए लोगों के पैसों से भुगतान किया जाता था। अमित भारद्वाज सहित इसके प्रमोटरों ने लोगों को उनके बिटकॉइन निवेश पर हर महीने 10% तक का आकर्षक रिटर्न का झूठा वादा किया।

लेकिन ये धोखाधड़ी ज्यादा समय नहीं चल सकी। जैसे ही नए निवेशक मिलने कम हुए, वैसे ही भुगतान रुकने लगे। निवेशकों को जल्द ही समझ आ गया कि उनके साथ धोखा हुआ है और उन्होंने शिकायतें दर्ज कराना शुरू कर दिया।

2018 और 2019 के बीच महाराष्ट्र और दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कई प्राथमिकी (FIR) दर्ज कीं। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच शुरू की। इस जांच में अमित भारद्वाज और उनके परिवार के सदस्यों सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। फिलहाल वो सभी न्यायिक हिरासत में हैं.

राज कुंद्रा की कथित मिलीभगत

इस पूरे गेन बिटकॉइन घोटाले में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा का नाम भी सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनकी संलिप्तता की जांच कर रही है। ईडी का दावा है कि कुंद्रा को इस घोटाले के सरग़ना अमित भारद्वाज से कथित रूप से 285 बिटकॉइन मिले थे। ये बिटकॉइन यूक्रेन में एक बिटकॉइन माइनिंग फार्म स्थापित करने के लिए दिए गए थे, हालांकि ईडी ये नहीं कहता कि कुंद्रा ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड है।

लेकिन एजेंसी का ये भी आरोप है कि ये माइनिंग फार्म का सौदा पूरा नहीं हो पाया और 285 बिटकॉइन अभी भी कुंद्रा के पास ही हैं, जिनकी कीमत मौजूदा समय में 150 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।

घोटाले का असर

इस पूरे गेन बिटकॉइन घोटाले में सबसे ज्यादा नुकसान निवेशकों को ही हुआ है। अनुमान के अनुसार इस घोटाले में लगभग 6,600 करोड़ रुपये (लगभग 825 मिलियन डॉलर) का चूना लगाया गया। ये घटना अनियमित क्रिप्टोकरेंसी निवेश के खतरों को बताती है।

पोंजी योजनाओं कैसे चलती है?

शुरुआत में ये स्कीम वैध बिजनेस की तरह काम करती हैं और आकर्षक रिटर्न का वादा करके लोगों को लुभाती हैं। विश्वास बनाने के लिए ये शुरुआत में कुछ निवेशकों को अच्छा मुनाफा भी देती हैं, जिससे और ज्यादा निवेश आकर्षित होता है। लेकिन असल समस्या बाद में सामने आती है। जब उन्हें नए निवेशक मिलने बंद हो जाते हैं, तो ये योजनाएं लड़खड़ाने लगती हैं। इसके बाद ये धोखाधड़ी का सहारा लेती हैं।

कंपनी अपने असली मुनाफे को छिपाने के लिए कागजों में हेरफेर करती है और किसी तरह निवेशकों को भुगतान करती रहती है। लेकिन ये धोखाधड़ी ज्यादा समय नहीं चल सकती। आखिरकार ये योजना ढह जाती है और निवेशकों का सारा पैसा डूब जाता है।

किन हालातों में धराशाई होती है पोंजी स्कीम

पोंजी स्कीम कई तरीकों से धराशायी हो सकती हैं। सबसे बुरा तो ये होता है कि पैसा जमा करने वाला भाग जाए और निवेशकों को कुछ न मिले। दूसरी बड़ी दिक्कत ये है कि अगर नए लोग पैसा लगाना बंद कर दें, तो पुरानों को देने के लिए पैसे की कमी हो जाती है और योजना टूट जाती है। इसके अलावा कोई आर्थिक परेशानी या घोटाले का खुलासा भी पोंजी स्कीम के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि लोग घबराकर अपना पैसा निकालने लगते हैं।

First Published - April 22, 2024 | 5:15 PM IST

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