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Editorial: BSNL की चुनौती बरकरार, अधिक धन डालना समझदारी नहीं

इस परिदृश्य में सरकार और उद्योग जगत के कुछ लोग बीएसएनएल की ओर देख रहे हैं कि भारत दो कंपनियों वाली स्थिति में न फंसे।

Last Updated- June 11, 2023 | 11:18 PM IST
Government strict on slow monetization of BSNL, far away from target BSNL की धीमी मुद्रीकरण पर सरकार सख्त, लक्ष्य से कोसों दूर

सरकारी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSN) को 89,000 करोड़ रुपये का एक और वित्तीय पैकेज दिया जा रहा है जो उसे रिलांयस जियो और भारती एयरटेल जैसी शीर्ष निजी सेवाप्रदाताओं से मिल रही कड़ी टक्कर के बीच कारोबार जारी रखने में मदद करेगा।

परंतु पहले ही भारी संकट से जूझ रही कंपनी में और अधिक धन डालना समझदारी नहीं है। दूरसंचार को सरकार ने चार नीतिगत क्षेत्रों में से एक घोषित किया है जहां पूर्ण निजीकरण नहीं किया जा सकता है। हालांकि इसके बावजूद केंद्र सरकार को बीएसएनएल पर इस कदर धन नहीं व्यय करना चाहिए जो पहले ही वित्तीय नुकसान झेल रही है।

शुरुआत में इस बाजार पर बीएसएनएल का एकाधिकार था और स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए भी उसे नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं लेना पड़ता है लेकिन इसके बावजूद उसके ग्राहक घटते जा रहे हैं और वित्तीय नुकसान होता जा रहा है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में बीएसएनएल को वित्तीय पैकेज देने का निर्णय लिया है। सितंबर 2000 में गठित इस कंपनी को वित्तीय सहायता देने का यह पहला अवसर नहीं है। बल्कि 2019 के बाद से तीसरी बार ऐसा किया जा रहा है। अक्टूबर 2019 में कंपनी को 69,000 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई थी। उस समय दिल्ली और मुंबई में संचालित एक अन्य सरकारी सेवा प्रदाता महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड यानी एमटीएनएल के साथ इसका विलय किया गया था। इस राशि में 4जी स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए दी गई राशि शामिल थी।

यह अलग बात है कि बीएसएनएल तथा एमटीएनएल का विलय ठंडे बस्ते में चला गया और ऐसे संकेत हैं कि एमटीएनएल का कामकाज बीएसएनएल के हवाले करके उसे बंद कर दिया जाएगा। जहां तक 4जी स्पेक्ट्रम की बात है तो निजी सेवा प्रदाता सालों से सेवाएं दे रहे हैं लेकिन बीएसएनएल अभी भी उलझन में है। हालांकि इस दिशा में हाल ही में पहल हुई है।

जुलाई 2022 में दिया गया 1.64 लाख करोड़ रुपये का पैकेज सबसे बड़ा था। यह राशि पूंजीगत व्यय, समायोजित सकल राजस्व, बकाया निपटान और एक अन्य सरकारी कंपनी भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड के साथ विलय के लिए थी। यह कंपनी ग्रामीण को ब्रॉडबैंड से जोड़ने के लिए बनी थी।

ताजा पैकेज के बारे में कहा गया है कि इसका उद्देश्य बीएसएनएल को 4जी और 5जी सेवाओं के लिए सक्षम बनाना है और साथ ही कंपनी की पूंजी को 1.5 लाख करोड़ से बढ़ाकर 2.1 लाख करोड़ रुपये किया जाना है। इक्विटी के साथ बीएसएनएल को 4जी और 5जी स्पेक्ट्रम देने को भी मंजूरी प्रदान की गई है।

केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अंशधारकों को आश्वस्त किया है कि बीएसएनएल की 4जी और 5जी सेवाओं के जोर पकड़ते ही कुछ माह में उसके ग्राहक कम होने बंद हो जाएंगे। इस आशावाद को परखने की जरूरत है।

इस माह के आरंभ में इस समाचार पत्र को दिए एक साक्षात्कार में भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र में काम करने के लिए भारी निवेश की जरूरत है और एयरटेल ने दो साल के भीतर 5जी स्पेक्ट्रम पर 40,000 करोड़ रुपये की राशि व्यय की है।

इन दो सालों में कंपनी का पूंजीगत व्यय करीब 60,000 करोड़ रुपये रहा यानी एक नई तकनीक की स्थापना पर कंपनी ने एक लाख करोड़ रुपये व्यय किए। उससे पहले शीर्ष दूरसंचार कंपनियों ने 4जी और 3जी तकनीक पर निवेश किया था। मित्तल वोडाफोन आइडिया के पतन की स्थिति में इस क्षेत्र में दो कंपनियों के दबदबे की संभावित स्थिति पर बात कर रहे थे।

इस परिदृश्य में सरकार और उद्योग जगत के कुछ लोग बीएसएनएल की ओर देख रहे हैं कि भारत दो कंपनियों वाली स्थिति में न फंसे। बीएसएनएल का मजबूत होना और दो निजी कंपनियों रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ प्रतिस्पर्धा करना अच्छी बात होगी लेकिन इसमें भी दो राय नहीं कि भारत इस तरह सरकारी और गैर प्रतिस्पर्धी सरकारी कंपनियों की आर्थिक मदद जारी नहीं रख सकता।

सरकार अगर बीएसएनएल के निजीकरण की प्रक्रिया पर विचार करे तो अच्छा होगा। इसमें देरी होने पर एयर इंडिया की तरह वित्तीय बोझ ही बढ़ेगा।

First Published - June 11, 2023 | 11:18 PM IST

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