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Editorial: सेबी के नए नियमों से एफऐंडओ कारोबार में बड़ा बदलाव, 92 लाख खुदरा निवेशक होंगे प्रभावित

इन उपायों का असर एफऐंडओ खंड में कारोबार के लिए आवश्यक पूंजी जुटाना एवं नकदी की आवश्यकताएं पूरी करने के रूप में दिखेगा।

Last Updated- August 01, 2024 | 6:13 AM IST
SEBI

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टॉक एक्सचेंजों पर डेरिवेटिव खंड (वायदा एवं विकल्प) में बदलाव के लिए एक परामर्श पत्र जारी किया है। इस पत्र में सात प्रस्तावों का उल्लेख किया गया है। इन प्रस्तावों में डेरिवेटिव अनुबंधों के न्यूनतम आकार में वृद्धि, किसी विकल्प (ऑप्शन) पर उपलब्ध स्ट्राइक (विकल्प कारोबार में एक्सपायरी से पहले जिस मूल्य पर कोई प्रतिभूति बेची या खरीदी जाती है) कम करना, कारोबार के दौरान (इंट्रा-डे) पोजीशन लिमिट पर निगरानी शुरू करना, प्रीमियम के लिए मार्जिन पहले लेना, एक्सपायरी के दिन अधिक चरम हानि मार्जिन (एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन) वसूलना और एक्सपायरी दिनों पर कैलेंडर स्प्रेड से जुड़े लाभ समाप्त करना शामिल हैं।

इन उपायों का असर एफऐंडओ खंड में कारोबार के लिए आवश्यक पूंजी जुटाना एवं नकदी की आवश्यकताएं पूरी करने के रूप में दिखेगा। इस तरह, सेबी के इन उपायों से एफऐंडओ खंड में नियमित कारोबार करने वाले 92 लाख खुदरा कारोबारी बाहर हो जाएंगे।

सेबी का मानना है कि अतिरिक्त मार्जिन की शर्त से एक्सपायरी के दिन बाजार की स्थिरता प्रभावित करने वाली किसी चरम घटना से सुरक्षा मिलेगी। बाजार नियामक किसी सौदे की एक्सपायरी के अंतिम घंटों में कयास पर अंकुश लगाने का भी प्रयास कर रहा है।

माना जा रहा है कि इन प्रस्तावों के प्रभावी होने के बाद एफऐंडओ खंड में कारोबार में कमी आएगी, क्योंकि इन प्रस्तावों का एक मतलब यह भी हो सकता है कि प्रीमियम पर स्प्रेड काफी बढ़ जाएगा। ये प्रस्ताव हेजिंग करने वालों और प्रस्तावित नई सेबी परिसंपत्ति श्रेणी के दायरे में आने वाले संस्थानों के लिए खर्च बढ़ा देंगे। चूंकि, डॉलर में गिफ्ट निफ्टी ऑप्शन पर कोई असर नहीं हुआ है, इसलिए वहां कारोबार और अधिक बढ़ सकता है।

एफऐंडओ खंड पर संस्थानों का प्रभाव अधिक बढ़ जाएगा और साप्ताहिक विकल्प खंड में खास तौर पर कम कारोबार दिखेगा और स्प्रेड का दायरा बढ़ जाएगा। बाजार में अस्थिरता का जोखिम कम करने के साथ ही सेबी के ये उपाय अपर्याप्त पूंजी वाले खुदरा कारोबारियों के हितों की रक्षा करेंगे। सेबी के परामर्श पत्र में आंकड़ों का हवाला देते हुए यह समझाया गया है कि भारत में एफऐंडओ कारोबार का अनुपात काफी अधिक है।

पिछले कुछ समय से एफऐंडओ कारोबार काफी बढ़ा है। वर्ष 2023-24 में एफऐंडओ अनुबंधों के कारोबार का अनुमानित मूल्य नकदी बाजार के कारोबार का 367 गुना था जबकि एफऐंडओ में हुए कारोबार का प्रीमियम मूल्य नकदी बाजार का लगभग 2.2 गुना था। व्यक्तिगत कारोबारियों की बात करें तो उनके कारोबारी मूल्य का लगभग 41 हिस्सा इंडेक्स ऑप्शन में था और उन पोजीशन में 80 प्रतिशत से अधिक एक्सपायरी के दिन लिए जाते हैं।

एक्सचेंजों में एक्सपायरी की तारीख बदलती रहती है, इसलिए सप्ताह के सभी कारोबारी दिवसों के साथ कुछ इंडेक्स ऑप्शन जोड़े गए हैं। कैलेंडर स्प्रेड के लिए प्रायः मार्जिन कम रहता है। कैलेंडर स्प्रेड में एक तय एक्सपायरी दिन वाले ऑप्शन की भरपाई बाद में एक्सपायरी वाले ऑप्शन से हो जाती है। इसके अलावा पोजीशन लिमिट की गणना कारोबारी दिने के आखिरी क्षणों में होती है।

एक्सपायरी के दिन कैलेंडर स्प्रेड से जुड़े लाभ हटाने और कारोबार के दौरान पोजीशन लिमिट पर निगरानी रखने की बात कह कर सेबी एक्सपायरी के दिन कयास में कमी आने की उम्मीद कर रहा है। एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन में बढ़ोतरी से एक्सपायरी की तिथि नजदीक आने के साथ किसी संभावित बड़े उलटफेर से बाजार को मदद मिलती है।

सेबी के परामर्श पत्र में दर्शाए गए आंकड़े संकेत देते हैं कि लगभग 85-90 प्रतिशत खुदरा कारोबारी अपनी रकम से हाथ धो बैठते हैं। अगर खर्च पर भी विचार किया जाए तो वर्ष 2023-24 में 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। म्युचुअल फंडों में सालाना औसत रकम प्रवाह की तुलना में यह आंकड़ा 25 प्रतिशत अधिक है। खुदरा निवेशक केवल 30 मिनट के लिए विकल्प अनुबंध रखते हैं।

अनुबंधों के न्यूनतम मूल्य को मौजूदा 5-10 लाख रुपये के स्तर से बढ़ाकर 15-20 लाख रुपये करने और इसे छह महीने बाद फिर बढ़ाकर 20.30 लाख रुपये के दायरे में पहुंचाने से ऐसे खुदरा कारोबारी बाहर हो जाएंगे जिनके पास लगाने के लिए अधिक रकम नहीं होगी। सेबी ने जो प्रस्ताव दिए हैं उनसे कारोबार सामान्य बनाने और जोखिम कम करने में सहायता मिल सकती है, मगर एक्सचेंजों की कमाई भी कम हो सकती है जिससे हेजिंग करने वालों के लिए खर्च बढ़ जाएंगे।

First Published - August 1, 2024 | 6:13 AM IST

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