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Editorial: मुद्रा संबंधी लाभ

भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने गत सप्ताह केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड अधिशेष हस्तांतरण को मंजूरी दी।

Last Updated- May 25, 2025 | 10:07 PM IST
RBI dividend

भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने गत सप्ताह केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड अधिशेष हस्तांतरण को मंजूरी दी। सरकार ने रिजर्व बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों से कुल मिलाकर लाभांश के जरिये 2.56 लाख करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियों का बजट में अनुमान किया था। रिजर्व बैंक की ओर से बजट से अधिक अधिशेष हस्तांतरण केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.4 फीसदी के स्तर के दायरे में रखने में मदद करेगा।

चूंकि अभी भी हम वित्त वर्ष के आरंभिक महीनों में हैं इसलिए यह सोच पाना कठिन है कि वर्ष के दौरान राजकोषीय हालात क्या रूप लेंगे। बहरहाल अतिरिक्त राजस्व का इस्तेमाल आंशिक रूप से रक्षा आवंटन बढ़ाने में किया जा सकता है। उच्च अधिशेष हस्तांतरण से व्यवस्था में नकदी की स्थिति बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी और इस दिशा में रिजर्व बैंक के प्रयासों को भी सहायता मिलेगी। मौद्रिक नीति नरमी के समय नकदी की राहत भरी स्थिति मददगार साबित हो सकती है।

हालांकि अधिशेष हस्तांतरण सरकार के अनुमान से अधिक है लेकिन यह बाजार के अनुमानों से कम रहा। रिजर्व बैंक के बोर्ड ने यह निर्णय भी लिया कि आकस्मिक जोखिम से बफर के स्तर को बैलेंस शीट के 5.5-6.5 फीसदी के बजाय 4.5-7.5 फीसदी किया जाए और इसे वर्ष के अंत तक ऊपरी स्तर पर रखा जाए। रिजर्व बैंक जोखिम बफर में पिछले कई सालों से इसी दायरे में इजाफा करता रहा है।

एक अनिश्चित वैश्विक आर्थिक माहौल में समझदारी इसी में है कि उच्च बफर बरकरार रखा जाए क्योंकि यह केंद्रीय बैंक के लचीलेपन में इजाफा करेगा। इसके लिए समय भी उपयुक्त है क्योंकि रिजर्व बैंक उच्च आय की जानकारी दे रहा है। अगर रिजर्व बैंक ने जोखिम बफर में इजाफा नहीं किया होता तो अधिशेष हस्तांतरण करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये होता। बहरहाल उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्रीय बैंक राजकोषीय लक्ष्य हासिल करने में सरकार की मदद करने के लिए नए दायरे के निचले सिरे की ओर नहीं जाएगा।

रिजर्व बैंक को अन्य बातों के अलावा उच्च ब्याज आय और विदेशी विनिमय संबंधी लाभों के कारण उच्च अधिशेष हासिल हो रहा है। केंद्रीय बैंक घरेलू और विदेशी दोनों तरह की मौद्रिक परिसंपत्तियां रखता है। अमेरिका में उच्च ब्याज दर ने भी रिजर्व बैंक की आय में मदद की होगी। अमेरिका की आर्थिक नीति प्राथमिकताओं को देखें तो उच्च टैरिफ और उच्च बजट घाटे के बीच ब्याज दरें कुछ समय से ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं। इससे रिजर्व बैंक की ब्याज आय बढ़ती रहेगी।

इसके अलावा रिजर्व बैंक ने गत वित्त वर्ष के दौरान करीब 400 अरब डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा बेची। चूंकि रुपये के संदर्भ में ऐतिहासिक डॉलर खरीद कीमत मौजूदा कीमत से काफी कम है इसलिए इसका परिणाम भी उच्च लाभ के रूप में सामने आना संभव है। हालांकि, इस मोर्चे पर होने वाले लाभ अत्यधिक सीमित होते जाएंगे। विदेशी मुद्रा की उच्च खरीद और बिक्री के साथ औसत धारण मूल्य बढ़ेगा और भविष्य के लाभ सीमित होंगे।

इस संदर्भ में यह बात ध्यान देने वाली है कि शायद रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में बहुत अधिक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। एक स्थिर मुद्रा के जहां अपने लाभ होते हैं वहीं केंद्रीय बैंक की ओर से अत्यधिक हस्तक्षेप निजी क्षेत्र के अपने जोखिम के बचाव के प्रोत्साहन को कमजोर कर सकता है।

यह निजी क्षेत्र को विदेश से धन जुटाने के लिए और अधिक प्रोत्साहित कर सकता है, इससे केंद्रीय बैंक पर हस्तक्षेप का बोझ बढ़ेगा। इस चक्र से बचना चाहिए। अत्यधिक हस्तक्षेप से मुद्रा का अधिमूल्यन भी हो सकता है। केंद्रीय बैंक अत्यधिक अस्थिरता के समय हस्तक्षेप कर सकता है। रिजर्व बैंक का घोषित रुख भी यही है। बहरहाल, सामान्य दिनों में उसे निजी क्षेत्र को मुद्रा की अस्थिरता से निपटने देना चाहिए।

First Published - May 25, 2025 | 10:07 PM IST

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