facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

Editorial: महंगाई साधेगा खाद्यान्न उत्पादन

तिलहन उत्पादन खरीफ में 21 फीसदी और रबी में 2 फीसदी बढ़ने की संभावना है। फल और सब्जी उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

Last Updated- March 13, 2025 | 9:40 PM IST

लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रहने के बाद देश में खाद्य मुद्रास्फीति काफी नीचे आई है और ऐसा बेहतर कृषि उत्पादन की बदौलत हो सका है। बुधवार को जारी आंकड़े बताते हैं कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति यानी खुदरा महंगाई की दर फरवरी में घटकर केवल 3.61 फीसदी रह गई है। पिछले साल जुलाई के बाद यह सबसे कम आंकड़ा है। खाद्य मुद्रास्फीति की दर भी कम होकर 3.75 फीसदी रह गई, जो मई 2023 के बाद सबसे कम है।

खाद्य मुद्राफीति में पिछले साल अक्टूबर के बाद से ही गिरावट आ रही है। उस महीने यह उछलकर 10.87 फीसदी तक पहुंच गई थी। उसके कारण समग्र मुद्रास्फीति दर भी कुछ समय तक ऊंची बनी रही और भारतीय रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत जटिलताएं पैदा हो गई थीं। खाद्य मुद्रास्फीति की दर कुछ समय तक नीचे ही रह सकती है। 2024-25 में प्रमुख फसलों के उत्पादन के हाल में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान उम्मीद जगाते हैं। खरीफ में पिछले साल से 7.9 फीसदी अधिक खाद्यान्न उत्पादन होने का अनुमान है और रबी की खाद्यान्न उपज में 6 फीसदी बढ़ोतरी की संभावना है। गेहूं, चावल और मक्के की फसल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। अन्य खाद्यान्नों का उत्पादन भी बढ़ा है। इसमें मोटे अनाज, तुअर और चना शामिल हैं।

तिलहन उत्पादन खरीफ में 21 फीसदी और रबी में 2 फीसदी बढ़ने की संभावना है। फल और सब्जी उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। प्रथम अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2024-25 में बागवानी फसल उत्पादन 36.21 करोड़ टन रह सकता है, जो 2023-24 की तुलना में 2.07 फीसदी ज्यादा होगा। पिछले साल मॉनसून अच्छा रहने और फिर सर्दी सामान्य रहने के कारण इस साल उत्पादन में रिकॉर्ड इजाफा हो सकता है। सकल घरेलू उत्पाद के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2024-25 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 4.6 फीसदी वृद्धि हो सकती है। पिछले साल वृद्धि का आंकड़ा 2.7 फीसदी था। अग्रिम अनुमान पिछले दिनों राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जारी किए।

कृषि उत्पादन बढ़ेगा तो खाद्य मूल्य खुद ही नीचे आएंगे। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2025-26 में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 4.2 फीसदी रहेगी, जो चालू वित्त वर्ष में 4.8 फीसदी है। 2024 में खाद्य मुद्रास्फीति की औसत दर 8.4 फीसदी रही जबकि औसत खुदरा मुद्रास्फीति दर 5.3 फीसदी थी। उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के कारण समग्र मुद्रास्फीति की दर केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से ऊपर रही और इससे परेशान परिवार मनचाही चीजों पर खर्च नहीं कर सके। इससे कुल खपत भी सुस्त हो गई। 2023-24 में कुल मासिक प्रति व्यक्ति खपत व्यय में खाद्य उत्पादों की हिस्सेदारी ग्रामीण इलाकों में 47.04 फीसदी और शहरी इलाकों में 39.7 फीसदी रही। कम आय वाले परिवार अपनी मासिक आय का और भी बड़ा हिस्सा भोजन पर खर्च करते हैं। ऐसे में कृषि उत्पादन बढ़ने से कुल उत्पादन तथा मांग बढ़ेगी और वृद्धि को गति देने में मदद मिलेगी।

खाद्य कीमतों में तेज गिरावट और कम मुख्य मुद्रास्फीति के कारण नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश बनती है। मगर घटती महंगाई और बढ़ते खाद्य उत्पादन को देखकर नीति निर्माताओं को कृषि क्षेत्र में अरसे से पसरी चुनौतियों से नजर नहीं हटानी चाहिए। मौसम की अतिकारी घटनाओं तथा जलवायु परिवर्तन से समस्याएं और बढ़ सकती हैं। किसानों को मिलने वाली कीमत और उपभोक्ताओं द्वारा चुकाए जाने वाले मूल्य में भारी अंतर, भंडारण तथा गोदामों की कमी के कारण फसलों की बरबादी, खेत और मंडियों के बीच दूरी और खस्ताहाल सड़कें ऐसी रुकावटें हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है। भारत को कृषि आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। इससे आगे जाकर कीमतों में उठापटक पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

 

First Published - March 13, 2025 | 9:35 PM IST

संबंधित पोस्ट