facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

Editorial: प्रदूषण नियंत्रण कोष का इस्तेमाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 के लिए प्रदूषण नियंत्रण कोष के लिए आवंटित कुल 858 करोड़ रुपये का 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सा खर्च किया है।

Last Updated- March 26, 2025 | 9:45 PM IST
Delhi Pollution

भारत में वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण की गंभीर स्थिति लगातार पिछले कई वर्षों से वैश्विक सुर्खियों में रही है। इस कटु सत्य के बीच एक संसदीय समिति की रिपोर्ट ने चिंता और बढ़ा दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 के लिए प्रदूषण नियंत्रण कोष के लिए आवंटित कुल 858 करोड़ रुपये का 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सा खर्च किया है। यह चिंताजनक बात है। भारत के शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है ऐसे में समिति की यह रिपोर्ट ‘चौंका’ देने वाली है कि ‘प्रदूषण नियंत्रण’ योजना के लिए आवंटित रकम का काफी कम इस्तेमाल हो पाया है। पर्यावरण मंत्रालय को आवंटित कुल रकम में इस प्रदूषण नियंत्रण कोष का हिस्सा 27 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। व्यय में कमी का आधिकारिक कारण इस योजना को जारी रखने की मंजूरी मिलने में देरी को बताया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष अब समाप्त होने वाला है ऐसे में यह स्थिति प्रदूषण को लेकर लापरवाह रवैया एवं ठोस योजना के अभाव की तरफ इशारा कर रही है।

भारत में वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण पर नजर रखने के लिए 2018 में ‘प्रदूषण नियंत्रण’ योजना शुरू की गई थी और इसके लिए पूरी रकम सरकार ही उपलब्ध करा रही है। सरकार का राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) इस योजना का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। एनसीएपी ने वर्ष 2026 तक देश के 131 शहरों में हवा में पार्टिकुलेट मैटर (हानिकारक सूक्ष्म कण) या पीएम10 वर्ष 2019-20 के स्तर से 40 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2019-20 और 2025-26 के बीच इस योजना के लिए कुल 3,072 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार है और आवश्यक अनुमति मिलते ही वे शुरू हो जाएंगे। फिलहाल तो संसदीय समिति या संसद को यह नहीं बताया गया है कि ऐसी योजना के लिए अनुमति समय रहते क्यों नहीं मिलती है, विशेषकर जब देश के शहरों में प्रदूषण गंभीर स्तरों तक पहुंच चुका है।

वर्ष 2024 के लिए जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में भारत के प्रदर्शन में सुधार पर खुशी का इजहार किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत तीसरे से पांचवें स्थान पर पहुंच गया है और पीएम 2.5 (स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक हानिकारक) का स्तर 54.5 से कम होकर 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रह गया है। हालांकि, यह अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मानक 5-15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से काफी अधिक है। इस रिपोर्ट में भारत की स्थिति सुधरने के बावजूद दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में 13 भारत के ही हैं जिनमें राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली दूसरे स्थान पर है। वास्तव में भारत की रैंकिंग में ‘सुधार’ प्रदूषण रैंकिंग में उसके चाड, बांग्लादेश, पाकिस्तान और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो की तुलना में बेहतर प्रदर्शन के कारण हुआ है, मगर यह शायद ही उपलब्धि मानी जा सकती है। लोगों का ध्यान वायु प्रदूषण पर सबसे अधिक जाता है किंतु भारत में जल प्रदूषण संकट भी विकराल रूप लेता जा रहा है। नीति आयोग के अनुसार वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों की सूची में भारत 120वें स्थान पर है। भारत में जल के लगभग 70 प्रतिशत स्रोत प्रदूषित हो चुके हैं।

खराब आबो-हवा और जल के कारण देश में उत्पन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों को निरंतर जारी रखना चाहिए और इसमें किसी प्रक्रियात्मक देरी जैसे अनुमति मिलने में विलंब की रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं है। दिल्ली में हाल में विधान सभा चुनाव जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए यह एक सबक हो सकता है। सोमवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री ने बजट प्रस्तुत करने के दौरान कहा कि दिल्ली में वायु एवं जल प्रदूषण से निपटना उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण एवं वन विभाग के लिए 506 करोड़ रुपये की बड़ी रकम आवंटित की है जिनमें वायु एवं जल गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली भी शामिल हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया का पूरी दक्षता के साथ प्रबंधन करना एक चुनौती है।

First Published - March 26, 2025 | 9:41 PM IST

संबंधित पोस्ट