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Editorial: स्पेक्ट्रम की नीलामी सकारात्मक कदम

दूरसंचार विभाग ने घोषणा की कि 20 मई से आठ उच्च आवृत्ति वाले स्पेक्ट्रम बैंडों की नीलामी की जाएगी और इसके लिए दूरसंचार ऑपरेटरों से 22 अप्रैल तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

Last Updated- March 12, 2024 | 10:17 PM IST
स्पेक्ट्रम नीलामी: सकारात्मक कदम, Spectrum auction: Positive step

केंद्र सरकार ने एक सकारात्मक कदम उठाते हुए यह घोषणा की है कि 20 मई से दूरसंचार स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू होगी। साल 2022 में हुई पिछली नीलामी में बिना बिके रह गए आवृत्ति बैंडों की लगभग पूरी श्रृंखला इस बार फिर बिक्री के लिए रखी जाएगी। इससे दूरसंचार कंपनियों को यह अवसर मिलेगा कि वे अपनी मौजूदा प्राथमिकता के आधार पर विकल्प चुन सकें। अब नीलामी ज्यादा होने लगी है और दूसरे देशों की तरह ही सरकार इसे हर साल आयोजित करने की ओर बढ़ रही है, ऐसे में दूरसंचार ऑपरेटर इस होड़ में शामिल नहीं होंगे कि कितनी भी ऊंची कीमत पर स्पेक्ट्रम को जमाकर रखा जाए।

इससे कंपनियों को अपने वित्त के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलेगी। अतीत की बात करें तो ज्यादातर दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम की खरीद के लिए भारी रकम खर्च करनी पड़ी थी क्योंकि इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं रहती थी कि आगे कब और किस स्तर की नीलामी होगी। वैसे तो वायु तरंग एक दुर्लभ संसाधन है, लेकिन वार्षिक नीलामी का फैसला करके सरकार ने यह स्वागतयोग्य संदेश दिया है कि बोली प्रक्रिया का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा राजस्व जुटाना नहीं है।

पिछले हफ्ते जारी नोटिस में दूरसंचार विभाग ने घोषणा की कि 20 मई से आठ उच्च आवृत्ति वाले स्पेक्ट्रम बैंडों की नीलामी की जाएगी और इसके लिए दूरसंचार ऑपरेटरों से 22 अप्रैल तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। पिछले महीने ही मंत्रिमंडल ने 96,317.65 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर सभी बैंडों में कुल 10,523 मेगाहर्ट्ज की नीलामी की मंजूरी दी थी। इस नीलामी में 800, 900, 1800, 2100, 2300, 2500, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 मेगाहर्ट्ज के बैंड शामिल होंगे, जो आवाज और डेटा स्पेक्ट्रम का एक बड़ा हिस्सा बनेंगे।

हालांकि ज्यादातर अनबिकी रह गई वायु तरंगों (पिछली नीलामी के दौरान) को इस बार बिक्री के लिए रखने के बावजूद सरकार ने 700 मेगाहर्ट्ज बैंड (जिसका हालिया नीलामी में सबसे ज्यादा मूल्य रहा) को मई की नीलामी के दायरे से बाहर रखा है।

पिछली नीलामी में सिर्फ रिलायंस जियो ने 700 मेगाहर्ट्ज बैंड की वायु तरंगें हासिल की थीं, इसलिए अगर इसे आगामी दौर की नीलामी में शामिल किया जाता तो उन कंपनियों के लिए एक मौका बनता जो पिछली बार चूक गई थीं। असल में 700 मेगाहर्ट्ज की तरंगें अभी दूरसंचार कंपनियों द्वारा इस्तेमाल होने वाली उच्च आवृत्ति की तरंगों से भी ज्यादा दूर तक जा सकती हैं। इसलिए जो नेटवर्क 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करेंगे उन्हें किसी समान भौगोलिक इलाके तक पहुंच के लिए कम सेल टावरों की जरूरत होगी।

बोली के लिए रखे गए सभी बैंडों की आरक्षित कीमत करीब 1 लाख करोड़ रुपये है, लेकिन दूरसंचार कंपनियों ने संकेत दिया है कि इस बार वे ज्यादा खर्च करने वाली नहीं हैं क्योंकि साल 2022 में हुई 5जी नीलामी के दौरान उन्होंने कई बैंडों की खरीद की है, जिसमें सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी से एक बार में अब तक का सबसे ज्यादा 1.5 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ था। इस बार ज्यादातर कंपनियां ऐसी आवृत्तियों की वायु तरंगों की भरपाई करना चाहेंगी जिनकी एक्सपायरी तिथि करीब है। पहले की तरह ही, दूरसंचार कंपनियों को आवृत्ति के आवंटन की तिथि से अगले 20 साल तक स्पेक्ट्रम इस्तेमाल करने का अधिकार है।

दिशानिर्देशों के मुताबिक किसी विदेशी कंपनी को भी नीलामी में सीधे हिस्सा लेने और किसी भारतीय कंपनी के जरिये लाइसेंस के लिए आवेदन करने की अनुमति है, जिसमें कि वह स्वचालित मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिये 100 फीसदी की हिस्सेदारी रख सकती है। जहां तक नई दूरसंचार कंपनियों की बात है (जिनके पास स्पेक्ट्रम नहीं है), नीलामी में शामिल होने के लिए उनके पास प्रति लाइसेंस सेवा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये की कुल नेटवर्थ होनी चाहिए और जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर इलाके के लिए 50-50 करोड़ रुपये की नेटवर्थ दिखानी होगी।

सरकार मोबाइल फोन सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी करते हुए सही दिशा में आगे बढ़ी है, लेकिन इस क्षेत्र में सेवाओं का दायरा बढ़ाने के लिए उपग्रह सेवाओं के लिए वायु तरंगों के आवंटन में भी तेजी लाई जानी चाहिए।

First Published - March 12, 2024 | 10:17 PM IST

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