facebookmetapixel
रेट कट का असर! बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट शेयरों में ताबड़तोड़ खरीदारीTest Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासा

Editorial: यूक्रेन के रूस पर ड्रोन हमले के सबक

ड्रोन और वैश्वीकृत दुनिया में आपसी व्यापार संपर्क के इस मेल से सुरक्षा की दृष्टि से सर्वथा नई और अप्रत्याशित चुनौती उत्पन्न हुई है। भारत में इसे खासतौर पर महसूस किया जाएगा

Last Updated- June 02, 2025 | 10:30 PM IST
Operation Spider Web

एक साहसिक और अप्रत्याशित हमले में यूक्रेन के सैन्य बलों ने रूसी क्षेत्र के भीतर जाकर लगातार कई हमले किए और रूस के लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों या सामरिक बमबारी बेड़े को निशाना बनाया। रूस के अधिकारियों ने इस हमले की पुष्टि की है लेकिन यह नहीं बताया कि कितनी क्षति पहुंची है। रूस के सामरिक बमबारी बेड़े को हुई क्षति की भरपाई संभव नहीं है क्योंकि ये 1950 के दशक के हैं और इन्हें बनाने वाली इकाइयां बहुत पहले बंद हो चुकी हैं। यूक्रेन की सुरक्षा सेवा ने दावा किया कि उसने एक तिहाई बेड़े को निशाना बनाया है।

 यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमिर जेलेंस्की ने कहा कि रूस को करीब 7 अरब डॉलर मूल्य का नुकसान हुआ है। परंतु जिस बात ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है और जो आने वाले महीनों और वर्षों तक सैन्य योजनाकारों और सामरिक विशेषज्ञों की चर्चा का विषय रहने वाली है, वह है इस हमले का तरीका। यूक्रेन ने यह हमला रेडियो नियंत्रित ड्रोन के माध्यम से किया। इन्हें सामान्य निर्माण सामग्री की तरह वाणिज्यिक कंटेनर ट्रकों में लादा गया और उसके बाद रूस में हवाई ठिकानों के आसपास के इलाकों में भेजा गया। एक खास समय पर इन सभी ड्रोन को उड़ाया गया और हवाई अड्‌डों पर खड़े विमानों को निशाना बनाया गया।

यह पहला मौका नहीं है जब यूक्रेन ने नियमित वाणिज्यिक लॉजिस्टिक को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। खबरें बताती हैं कि 2022 में क्राइमिया द्वीप को रूस से जोड़ने वाले केर्च पुल पर हुए हमले, जिसने कई सप्ताह तक रूस के सैन्य यातायात को बाधित किया था और जो प्रतीकात्मक रूप से बहुत प्रभावी था, उसे भी प्लास्टिक ढोने वाले एक ट्रक की आड़ में अंजाम दिया गया था। विस्फोटकों को प्लास्टिक के ढेर में छिपाया गया था और इसे आर्मीनिया और जॉर्जिया से होते हुए क्रीमिया की ओर भेजा गया था। ऐसे ही तरीके इस्तेमाल करके करीब 120 ड्रोनों की मदद से ताजा हमला किया गया। ये ड्रोन बहुत महंगे या किसी खास गुणवत्ता के नहीं थे। लब्बोलुआब यह कि अपेक्षाकृत छोटा और मुश्किलों से जूझ रहा देश, जिसके पास अपनी मजबूत वायु सेना तक नहीं है,  उसने आधुनिक लॉजिस्टिक्स और सस्ते ड्रोन की मदद से एक महाशक्ति के सामरिक बेड़े को क्षति पहुंचा दी जो उसके परमाणु प्रतिरोधक तंत्र का हिस्सा था।

ड्रोन और वैश्वीकृत दुनिया में आपसी व्यापार संपर्क के इस मेल से सुरक्षा की दृष्टि से सर्वथा नई और अप्रत्याशित चुनौती उत्पन्न हुई है। भारत में इसे खासतौर पर महसूस किया जाएगा क्योंकि हमारे कई सामरिक क्षेत्र इस लिहाज से संवेदनशील हैं। इनमें कई तो प्रमुख औद्योगिक केंद्र भी हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की के मुताबिक यूक्रेन ने इस हमले की योजना 18 महीने पहले बनाई थी। जाहिर है यूक्रेन ने रूस में भी कुछ पकड़ बना रखी है हालांकि उन्होंने दावा किया ऐसे सभी लोगों को पहले ही वापस बुला लिया गया है। परंतु इस हमले की लागत की बात करें तो समय और संसाधन के मामले में इसमें ज्यादा खर्च नहीं आया। इस मामले में तो ये तरीके ऐसी सरकार ने आजमाए जो तीन साल से जंग में है। परंतु ऐसी कोई वजह नहीं है कि छद्म युद्ध में लगे दूसरे गैर सरकारी तत्त्व इस तरीके को नहीं आजमाएंगे। भारत के योजनाकारों को अपनी सैन्य और अधोसंरचना संबंधी संवेदनशील स्थितियों का आकलन करते हुए ड्रोन की इस जंग जैसे हालात के लिए तैयार रहना होगा।

इस तरह की जंग कतई आसान हो सकती है। कई गैर सरकारी तत्त्व 100-150 ड्रोन जुटा सकते हैं और उन्हें दूर से संचालित कर सकते हैं। बिना संदेह वाले ट्रक और वाणिज्यिक वाहनों का इस्तेमाल करके इन ड्रोन को हमले की जगह तक पहुंचाया जा सकता है। भारत पर किसी बड़े हमले के परिणाम, उस लागत के अनुपात में बहुत अधिक होंगे जो उस शत्रु ने सोची होगी। तो नए दौर के खतरों से अहम अधोसंरचना की रक्षा पर पुनर्विचार करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।

First Published - June 2, 2025 | 10:09 PM IST

संबंधित पोस्ट