facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

संतुलन बनाने का प्रयास

Last Updated- March 23, 2023 | 11:36 PM IST
Fed Chair Jerome Powell

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की अध्यक्षता वाली फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) ने बुधवार को फेडरल फंड दर के लक्षित दायरे को 25 आधार अंक बढ़ाकर सही निर्णय लिया। अमेरिकी बैंकिंग क्षेत्र की हालिया घटनाओं के बाद दरें तय करने वाली संस्था पर इजाफा रोकने का दबाव था क्योंकि उन घटनाओं के लिए आंशिक रूप से केंद्रीय बैंक भी उत्तरदायी था। पिछले कुछ समय से फेड का इरादा यह था कि मुद्रास्फीति का दबाव अस्थायी प्रकृति का है और महामारी के कारण मची उथलपुथल समाप्त होने के बाद जैसे ही अर्थव्यवस्था के हालात सामान्य होंगे, मुद्रास्फीति भी सहज दायरे में आ जाएगी।

मुद्रास्फीति को लेकर नीतिगत प्रतिक्रिया में देरी के कारण फेड को नीतिगत दर तेजी से बढ़ानी पड़ी। ब्याज दरों में तेज इजाफे के कारण वित्तीय तंत्र में समस्या उत्पन्न हुई। नीतिगत दरों में तेज इजाफे के कारण उन बैंकों को भारी नुकसान हुआ जिन्होंने सरकारी बॉन्ड और मॉर्गेज समर्थित प्रतिभूतियों में निवेश किया था। मिसाल के तौर पर सिलिकन वैली बैंक के लिए इसे झेल पाना बहुत मुश्किल साबित हुआ।

ऐसे में दलील दी गई कि फेड को ब्याज दरों में इजाफा नहीं करना चाहिए और वित्तीय स्थिरता पर ध्यान देना चाहिए। उच्च दरों के कारण व्यवस्था में तनाव बढ़ सकता है। बहरहाल, इस चरण में उन्हें रोकने से यह संकेत जाता कि फेड कोई कदम उठाने और मुद्रास्फीतिक दबाव को थामने की स्थिति में नहीं है और उसने अपना काम और कठिन बना लिया है। ऐसे में फेड ने संतुलन बनाने की कोशिश की है। ध्यान देने वाली बात है कि पॉवेल ने अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष अपनी हालिया टिप्पणी में कहा है कि ब्याज दर अनुमान से ऊंची रह सकती थी, इससे यह संकेत गया कि एफओएमसी मार्च में 50 आधार अंकों का इजाफा कर सकती है। परंतु केंद्रीय बैंक ने दरों में कम इजाफा किया। ऐसा आंशिक तौर पर इसलिए कि बैंकिंग तंत्र में दबाव को देखते हुए ऋण की स्थितियों को सख्त बनाने से मांग प्रभावित होती और मुद्रास्फीतिक नतीजे वैसे ही होते जैसे कि उच्च ब्याज दर की स्थिति में।

इन उभरते हालात ने एफओएमसी वक्तव्य की भाषा को भी बदला और उससे संकेत निकलता है कि शायद वह एक स्थायी दर के करीब है। यह बात ध्यान देने लायक है कि अन्य नियामकों के साथ फेड भी बैंकिंग के तनाव से अलग से निपट रहा है और ऐसा होना भी चाहिए। मौद्रिक नीति पर निर्भरता के माध्यम से वित्तीय तनाव से निपटने से बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। एफओएमसी सदस्यों के ताजा आर्थिक अनुमानों से संकेत मिलता है कि नीतिगत दरें इस वर्ष 25 आधार अंक और बढ़ेंगी जो दिसंबर के अनुमान के अनुरूप ही है। अधिकांश सदस्यों का अनुमान है कि मूल मुद्रास्फीति 2024 में घटकर 2.6 फीसदी रह जाएगी जबकि 2023 में वह 3.6 फीसदी थी जो दिसंबर के अनुमानों से थोड़ा अधिक थी। मुद्रास्फीति के नतीजे और एक हद तक संबंधित नीतिगत कदम अब वित्तीय बाजारों की स्थिरता पर निर्भर करेंगे।

हालांकि अमेरिका और यूरोपीय बैंकिंग व्यवस्था में तनाव के कारण भारतीय वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है। फिलहाल जो हालात हैं उनके मुताबिक तो लगता यही है कि इससे नीतिगत चयन प्रभावित नहीं होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी और बेहतर होगा कि वह मुद्रास्फीति से निपटने पर ध्यान दे। शीर्ष मुद्रास्फीति के नतीजों ने हाल के महीनों में चौंकाया है और मूल मुद्रास्फीति भी कम नहीं हो रही है। यह बात भी ध्यान देने लायक है कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में अमेरिकी शैली का तनाव नहीं पैदा हो सकता है। ऐसा इसलिए कि दरों में इजाफा कम है और बैंकों का नियमन भी अधिक सख्त है।

First Published - March 23, 2023 | 11:36 PM IST

संबंधित पोस्ट