थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर में 8 मार्च को खत्म हफ्ते में उससे पिछले हफ्ते के मुकाबले करीब 1 फीसदी का इजाफा हुआ है।
पिछले हफ्ते जारी महंगाई दर की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। नई महंगाई दर अब 5.92 फीसदी हो गई है, जो करीब एक साल पहले इस ऊंचाई पर थी, जब खाद्य पदार्थों की कीमतें परवान चढ़ी थीं। महंगाई दर में बढ़ोतरी की वजह इस बार भी वही है, जो पिछले साल थी। समस्या की जड़ में इस बार भी खाने के सामान की कीमतें ही हैं। खासकर पिछले कुछ हफ्तों से दालों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
अरहर और मूंग दाल की कीमतों में तो पिछले हफ्ते भर में करीब 3 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। चने की कीमत भी करीब 3 फीसदी बढ़ी है और मसूर व उड़द के दाम में 2 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। ऐसा लगता है कि पिछले साल मॉनसून की मेहरबानी से दाल की अच्छी फसल ने कीमतों पर जिस तरह से काबू पाने में मदद दिलाई थी, उसका असर अब खत्म हो गया है और इनकी कीमतों पर तब तक नियंत्रण नहीं किया जा सकता, जब तक इस बार दालों की नई फसल न आ जाए।
दूसरी समस्या तिलहन से जुड़ी है। खाद्य तेल की कीमतों में ग्लोबल लेवल पर हुई बढ़ोतरी का असर घरेलू मोर्चे पर भी देखने को मिला है और यहां भी खाद्य तेल की कीमतें काफी ज्यादा हो गई हैं। मिसाल के तौर पर, बिनौले के तेल के दाम तो पिछले हफ्ते भर में 10 फीसदी बढ़े हैं। इसी तरह, नारियल और सरसों तेल की कीमतों में इस दौरान 3 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। आयातित खाद्य तेल के दाम में 4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
जीडीपी की धीमी विकास दर को देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में लोगों की आमदनी में बहुत ज्यादा इजाफा नहीं होगा। ऐसे में कीमतों में बढ़ोतरी औसत उपभोक्ताओं को विचलित करने के लिए काफी होगी। इतना ही नहीं, ये चीजें मौजूदा यूपीए सरकार पर भी भारी पड़ सकती हैं, जिन्हें अगले साल आम चुनावों का सामना करना है।
वैश्विक स्तर पर गेहूं और चावल की कीमतें भी काफी तेजी से बढ़ रही हैं और मक्के के दाम तो रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहले ही पहुंच चुके हैं। यदि घरेलू स्तर पर इन खाद्य पदार्थों का उत्पादन कम रहा, तो हमें इनका आयात करने को मजबूर होना पड़ेगा।
मैन्युफैक्चर्ड गुड्स की कई श्रेणियों के दाम में भी इजाफा दर्ज किया गया है। स्टील पदार्थों की कीमतों में एक हफ्ते के दौरान करीब 20 से 30 फीसदी का इजाफा दर्ज किए जाने की वजह से धातुओं की कीमतों में पिछले हफ्ते भर में औसतन 7 फीसदी तक की वृध्दि दर्ज की गई है।
आखिरकार इस समस्या का समाधान क्या है? रिजर्व बैंक के सामने एक ओर तो विकास दर बढ़ाने की समस्या हैऔर दूसरी ओर बढ़ती महंर्गाई दर को नियंत्रित करने की चुनौती। यदि एक वाक्य में कहा जाए तो सरकार के पास फूड सब्सिडी बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है।