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ग्लोबल ब्रांडों पर लगा कम मेहनताना देने का इल्जाम

Last Updated- December 05, 2022 | 5:31 PM IST

वस्त्र उद्योग से जुड़ी दुनिया की प्रमुख कंपनियों पर अक्सर तीसरी दुनिया की उन फैक्टरियों से कपड़े आउटसोर्स करने का आरोप लगता रहा है, जहां काम करने वाले लोगों को उचित मजदूरी नहीं दी जाती है।


वॉर ऑन वांट और जॉब्स विद जस्टिस नामक 2 गैरसरकारी संगठनों (एनजीओ) ने हाल में अमेरिका की जानीमानी फैशन रिटेल कंपनी ‘बनाना रिपब्लिक’ पर इस तरह के कपड़ों को आउटसोर्स करने का आरोप लगाया है। ऐसे कपड़े बनाने वाली फैक्टरियों में ज्यादातर मजदूर दिल्ली से बाहर के हैं, जिन्हें एक घंटे के लिए 15 पेंस दिया जाता है।
 
इन गैरसरकारी संगठनों के मुताबिक, बनाना रिपब्लिक की वेंडर फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों को हफ्ते में 70 घंटे काम करना पड़ता है। गैरसरकारी संगठनों ने ये आंकड़े उस वक्त जारी किए हैं, जब इस अमेरिकी ब्रांड ने लंदन में अपना पहला यूरोपियन स्टोर खोला है।


वॉर ऑन वांट के इस अभियान में प्रमुख भूमिका अदा कर रहे सिमोन मैकरे का कहना है ऐसी घटनाओं से साफ है कि विदेशों में काम करने वाले कामगारों को उचित मजदूरी मुहैया कराने का इन कंपनियों का वादा खोखला है। उन्होंने कहा कि इस शोषण को रोकने के लिए गॉर्डन ब्राउन को तत्काल कदम उठाना चाहिए। वॉर एंड वॉन्ट ने कामगारों के शोषण के मुद्दे के अलावा अमेरिकी कंपनी के घोषित सालाना कारोबार की रकम पर भी आपत्ति जताई है।


कंपनी के मुताबिक, उसका सालाना कोरोबार 2.5 अरब डॉलर (तकरीबन 100 अरब रुपये) है।बनाना रिपब्लिक की होल्डिंग कंपनी गैप इंक ने इन आरोपों पर कापी सधी हुई प्रतिक्रिया जताई है। गैप  के उपाध्यक्ष डैन हैंकले ने कहा कि हमारी कंपनी कामगारों के शोषण की घटना की आलोचना करती है।


उनके मुताबिक, अगर हमें पता चलता है कि फैक्टरी ने जानबूझकर इस बाबत जानकारी छिपाई है जांच को गुमराह करने की कोशिश की है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी और नतीजतन फैक्टरी को बंद भी कराया जा सकता है। डैन ने बताया कि कंपनी ने इन आरोपों की जांच शुरू कर दी है।

First Published - April 2, 2008 | 12:34 AM IST

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