मुंबई स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास अपना ठिकाना बदलने को तैयार है। नए ठिकाने केसाथ यहां से वीजा जारी करने की प्रक्रिया भी काफी तेज होने की उम्मीद है। दिसंबर
अमेरिकी दूतावास केउपप्रमुख स्टीवन वाइट ने इस बारे में बताया कि वाणिज्य दूतावास को बड़ी बिल्डिंग में स्थानांतरित किया जाएगा। इसका अहाता
11 एकड़ में फैला होगा। इसमें वाणिज्य दूतावास की इमारत के अलावा कंस्यूलेट जनरल का दफ्तर और एक स्टॉप शॉप भी होंगे। इसके अलावा मेरिन लाइन्स स्थित अमेरिकन सेंटर को भी इसी अहाते में लाने की बात है। अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के प्रोजेक्ट पर 340 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।वाणिज्य दूतावास की नई इमारत स्थित वीजा ऑफिस में
500 आवेदकों के बैठने के लिए एयरकंडीशंड जगह मुहैया कराई जाएगी। साथ ही वीजा सेवा संबंधी जानकारी स्क्रीन के जरिए उपलब्ध कराई जाएगी। वीजा दफ्तर के बाहर भी 400 लोगों के बैठने का इंतजाम होगा। अमेरिका के दुनियाभर में 246 दूतावास और वाणिज्य दूतावास वीजा मुहैया कराने का काम करते हैं। मुंबई स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की गिनती दुनिया के छठे व्यस्ततम अमेरिकी वीजा केंद्रों में होती है। यहां पिछले 2 साल में वीजा जारी किए जाने की तादाद में 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह आंकड़ा 1 लाख 25 हजार से बढ़कर 2 लाख 25 हजार तक पहुंच गया है।पिछले साल के मुकाबले इस साल भी मुंबई से वीजा प्राप्त करने वालों की तादाद में
20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत में वीजा की बढ़ती मांग के मद्देनजर अमेरिका ने यहां चेन्नै स्थित अपने वाणिज्य दूतावास का विस्तार किया है और नई दिल्ली स्थित दूतावास के सिस्टम में फेरबदल कर रहा है। इस साल के अंत तक हैदराबाद में भी अमेरिकी वाणिज्य दूतावास खोलने की योजना है। गौरतलब है कि सिंतबर 2006 में एक पर्यटक को वीजा इंटरव्यू के लिए 6 महीने तक इंतजार करना पड़ा था। वर्तमान में लोगों को 15 दिन से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है। छात्रों, व्यावयासियों और कामगारों के लिए यह अवधि 8 दिनों से ज्यादा नहीं होती।वाणिज्य दूतावास वीजा जारी करने के अलावा भारत में रह रहे या यहां की यात्रा पर पहुंचे अमेरिकी नागरिकों की सहायता के लिए जिम्मेदार होते हैं। वाणिज्य दूतावास इकाई के वरिष्ठ अधिकारी ग्लेन केसर ने बताया कि भारत में अमेरिकी नागरिकों की कुल तादाद
25 हजार के आसपास है। ये भारत के 5 राज्यों और 2 केंद्रशासित क्षेत्रों में फैले हुए हैं। तकरीबन 10 हजार अमेरिकी मुंबई में रहते हैं। ग्लेन का कहना है कि हम यहां पासपोर्ट (पिछले साल 1600 पासपोर्ट जारी किए गए) भी जारी करते हैं। साथ ही यहां जन्म लेने वाले अमेरिकी नागरिकों के बच्चों के लिए नागरिकता संबधी दस्तवावेज भी मुहैया कराते हैं।पिछले साल
100 नवजात बच्चों के लिए नागरिकता संबंधी दस्तावेज मुहैया कराए गए। साथ ही अमेरिकी नागरिकों को मौत, गिरफ्तारी, दुर्घटना आदि जैसी हालत में भी मदद मुहैया कराई जाती है। उन्होंने बताया कि भारत के 4 सेंटरों– मुंबई, चेन्नै, नई दिल्ली और कोलकाता से पिछले साल 7 लाख 25 हजार एनआईवी (गैरआव्रजन वीजा) का निपटारा किया गया, जबकि इसके पहले वाले साल में यह तादाद 4 लाख 60 हजार थी। 1 साल में इसमें 58 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।वीजा की बढ़ती मांग के मद्देनजर कंस्युलेट जनरल ने कर्मचारियों की संख्या में भी बढ़ोतरी की है।
2005 में जहां वीजा आवेदनों के लिए इंटरव्यू लेने वाले अफसरों की तादाद 11 थी, वहीं 2007 में इन अफसरों की तादाद बढ़ाकर 19 कर दी गई। ग्लेन कहते हैं कि 2005 में हमारे पास 42 भारतीय स्टाफ थे, जिनकी तादाद अब बढ़कर 52 हो गई है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल के अंत यह संख्या बढ़कर 60 हो जाएगी। उनके मुताबिक, स्थायी कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी के अलावा पूरी दुनिया में करीब 50 अस्थायी कर्मचारियों की भी भर्ती की गई है।