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अब ‘ओरियंटेशन’ में लगेगा ज्यादा वक्त

Last Updated- December 05, 2022 | 11:05 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि प्रबंधन संस्थानों के मक्का कहे जाने वाले भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में भी अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण को अमल में लाया जाएगा।


कोर्ट के इस फैसले को लागू किए जाने से प्रबंधन संस्थानों की बुनियादी सुविधाओं और वित्तीय पहलुओं पर खासा असर पड़ेगा ही। साथ ही, उन्हें एक और बड़ी मुसीबत से दो-चार होना पड़ेगा।


आईआईएम में हर नए सत्र से पहले प्रारंभिक कार्यक्रम यानी ओरियंटेशन कोर्स की व्यवस्था की जाती है। यह कोर्स उन छात्रों के लिए आयोजित किया जाता है, जो किसी खास क्षेत्र में कमजोर होते हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल यह कोर्स लंबे समय तक चल सकता है। नए सत्र में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ने की संभावना है।


हर साल, आईआईएम के वरिष्ठ संकाय सदस्यों का इंटरव्यू पैनल फाइनल लिस्ट में से कुछ कमजोर छात्रों की एक सूची तैयार करता है। उन छात्रों को मैथ्स, अंग्रेजी और कम्युनिकेशन आदि में कोचिंग दी जाती है। आईआईएम के संकाय सदस्यों का मानना है कि अगर ओबीसी कोटा को अमल में लाया जाता है, तो सामान्य श्रेणी के छात्रों के मुकाबले ओबीसी छात्रों का कट-ऑफ कम हो जाएगा, जिससे प्रारंभिक कोचिंग की आवश्यकता अधिक छात्रों को होगी।


आईआईएम लखनऊ के सूत्रों ने बताया कि हर अनुभाग के लिए कट-ऑफ पर्सेंटाइल सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए 85, अनुसूचित जाति के लिए 55, अनुसूचित जनजाति के लिए 50 और ओबीसी के लिए 75 है। उम्मीद की जा रही है इस साल यह संस्थान दो हफ्तों के लिए ओरियंटेशन कोर्स की व्यवस्था करेगी।


वहीं आईआईएम बेंगलुरु में हर अनुभाग के लिए कट-ऑफ पर्सेंटाइल सामान्य छात्रों के लिए 88, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए करीब 45 से 50 और ओबीसी के लिए 70 के आसपास अनुमानित है।


गौरतलब है कि आईआईएम द्वारा आयोजित प्रारंभिक कार्यक्रम में खासतौर पर गैर-इंजीनियरिंग छात्रों को गणितीय अवधारणाओं से अवगत कराया जाता है। इसके अलावा इस कार्यक्रम के द्वारा छात्रों में संवाद कौशल को भी निखारा जाता है। इस कोर्स के दौरान छात्रों की आर्थिक या फिर सामाजिक पृष्ठभूमि को महत्त्व नहीं दिया जाता है।


आईआईएम के एक संकाय सदस्य ने बताया, ‘ओरियंटेशन कोर्स में ज्यादातर छात्र अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से आते हैं।’ आईआईएम इंदौर, जो आमतौर पर छात्रों के लिए पांच दिन के लिए ओरियंटेशन कोर्स का आयोजन करती है, इस साल इसकी अवधि को दो सप्ताह तक बढ़ा सकता है। संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि कार्यक्रम की अवधि बढ़ाए जाने के पीछे मुख्य कारण है ओबीसी छात्रों के लिए कट-ऑफ में कमी आना।


सूत्रों के मुताबिक हर साल करीब 50 छात्र इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं और इस साल उनकी संख्या में इजाफा होने की उम्मीद की जा रही है।बहरहाल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटा को अमल में लाने के लिए पहले ही सूचना दे दी है लेकिन भारतीय प्रबंधन संस्थानों का कहना है कि उन्हें अभी तक अधिकारिक रूप से कोई सूचना मिली है।


संस्थानों का कहना है कि जैसे ही उन्हें आधिकारिक रूप से सूचना मिलेगी, वे ओबीसी कोटा को कार्यान्वित कर देंगे। इस साल ओबीसी के विस्तारित कोटे के तहत आईआईएम अहमदाबाद का हिस्सा 6 फीसदी, आईआईएम बेंगलुरु का 7 फीसदी, आईआईएम कोलकाता का 3 फीसदी, आईआईएम इंदौर का 4 फीसदी और आईआईएम लखनऊ का 8 फीसदी होगा।

First Published - April 23, 2008 | 11:22 PM IST

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