केरल के त्रिसूर जिले में स्थित मेलूर गांव के किसानों को जल्द ही सूदखोरों के चंगुल से छुटकारा मिल सकेगा।
दरअसल साउथ इंडियन बैंक (एसआईबी) ने यहां केगरीब किसानों को कर्ज मुहैया कराने के लिए कार्यक्रम शुरू किया है।इस पंचायत में सूदखोरों का इस कदर आतंक है कि उन्हें ‘ब्लेड माफिया’ कहा जाने लगा है। प्राइवेट सेक्टर के बैंक एसआईबी के इस पायलट प्रोजेक्ट का मकसद मेलूर पंचायत को सूदखोरों के चंगुल से आजाद कराना है। अगर यह स्कीम कामयाब रहती है तो भविष्य में विभिन्न राज्यों में कर्ज और ऊंची ब्याज दरों की मार झेल रहे किसानों का दुख दूर हो सकता है।
एसाईबी की योजना के तहत किसानों को सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराए जाएंगे और इसके लिए उन्हें बैंकों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे। बैंक 10 स्वसहायता समूहों की मदद से किसानों को कर्ज मुहैया कराएगा। इन समूहों के सदस्यों में 1800 महिलाएं शामिल होंगी। देश के कई गांवों की तरह मेलूर भी कृषि संकट के दौर से गुजर रहा है और यहां भी किसानों की खुदकुशी के कई मामले सामने आ चुके हैं।
मेलूर के पंचायत प्रमुख पी. पी. बाबू ने बताया कि एक ओर जहां फसलों से होने वाली आमदनी में कमी हो रही है, वहीं दूसरी ओर सूदखोर अपनी ब्याज दरें बढ़ाते जा रहे हैं।
एसआईबी बैंक के चेयरमैन और सीईओ ए. बी. जोसेफ कहते हैं कि एक सर्वे के मुताबिक, मेलूर की ज्यादातर आबादी कर्ज के दुष्चक्र (ब्लेड माफिया) में फंसी है और इनकी आय का ज्यादातर हिस्सा इन कर्जों को चुकाने में ही चला जाता है। इस पंचायत की कुल आबादी 24 हजार है और इनमें से 4,800 परिवार इसी हालत में गुजर-बसर कर रहे हैं।
जोसफ को उम्मीद है कि मेलूर गांव के लिए बैंक द्वारा शुरू की गई स्कीम यहां के लोगों की जिंदगी बदलने में कामयाब होगी। उन्होंने बताया कि एसआईबी और बिजनेस स्टैंडर्ड मिलकर गांवों वालों को 11.5 फीसदी के दर पर कर्ज मुहैया कराएंगे। गौरतलब है कि ‘ब्लेड माफिया’ किसानों से 120 फीसदी ब्याज लेते हैं।
बैंक ने इस प्रोजेक्ट की सफलता और कृषि के विकास के लिए केरल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। यूनिवर्सिटी मछली पालन, डेरी प्रोजेक्ट और औषधीय पौधों की खेती में गांव वालों की मदद करेगी। पंचायत प्रमुख बाबू ने बताया कि पंचायत भूमिहीन मजदूरों को ऐसी यूनिटें स्थापित करने के लिए पट्टे पर जमीन मुहैया कराएगा।
बैंक ने इस काम में सहयोग के लिए महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास (ओडब्ल्यूईआरडी) नामक गैरसरकारी संगठन को भी राजी किया है। यह संगठन किसानों को सब्सिडी प्राप्त करने के संबंध में सलाह देगा और बैंक द्वारा मुहैया कराए जाने वाले कर्जों पर भी निगरानी रखेगा।
और सबसे बड़ी बात यह कि ब्लेड माफिया के खतरों से बचाकर उनका मनोबल बढ़ाएगा। ओडब्ल्यूईआरडी को किसानों की आत्महत्या को रोकने और उनके बच्चों को स्वास्थ्य और शिक्षा मुहैया कराने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।