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अब नए चक्के पर निकलेगी आपकी सवारी

Last Updated- December 05, 2022 | 9:22 PM IST

पता है, कभी-कभी मैं जब टायर बिजनेस के तकनीक पहलुओं से जुड़े हुए लोगों के बारे में सोचता हूं, तो मुझे काफी बुरा लगता है।


ये ऐसे लोग हैं, जिन्होंने कई महान काम किए हैं लेकिन अपने काम का कभी भी उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल पाया। आपको पता है, टायर बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। टायर साइंस अपने-आप में किसी रॉकेट साइंस से कम नहीं है।


भले ही टायर दिखने में अजीब से लगते हैं, लेकिन यह भी सच है कि यही वह चीज है जो आपकी प्यारी कार को सड़क से जोड़ती है। अगर मैं कहूं कि कड़े रबड़ से बनी यह चीज आपकी कार में मौजूद सबसे ज्यादा रिसर्च के बाद बनाई गई चीजों में शामिल है, तो यह कतई अतिशयोक्ति नहीं होगी। काफी भारी-भरकम शुरुआत हो गई न? तो इस बात को यहीं  छोड़ते हैं और चलते हैं अपने आज के हीरो, गुडईयर एश्योरेंस के पास।


वैसे आपको बता दूं कि टायरों के बारे में मैंने जो ऊपर बात कही, वह कतई झूठी नहीं है। सचमुच, टायर बनाना बाएं हाथ का खेल नहीं है। साथ ही, टायरों की डिजाइन तय करने वाले फैक्टर मुश्किलों की इस लिस्ट को बढ़ते ही हैं। गुडइयर एश्योरेंस के बारें बात करें तो इसे मिड साइज कार सेगमेंट के लिए तैयार किया गया है।


जल्द ही भारत में लॉन्च होने वाले यह टायर  14, 15 और 16 इंच के मार्केट को कवर करेगा। यानी कि यह टायर टोयोटा कॉरोला से लेकर फॉर्ड फिएस्टा तक को सहारा देगा। गुडईयर ने इस टायर पर काम शुरू करने यानी आज से 18 माह पहले एक कस्टमर सर्वे किया था।


इस सर्वे में डिमांड ऐसे टायरों की सामने आई, जो गीली सड़कों पर अच्छी ग्रिप रख सकें और उनकी राइड क्वालिटी भी बेहतर होनी चाहिए। कंपनी आसियान देशों को ही इस टायर के लिए अपना प्राइमरी मार्केट मान रही है। चूंकि इन देशों में बरसात झमाझम होती है, तो यहां कंपनी इस टायर के लिए खासा बाजार मिलने की काफी उम्मीद है। कंपनी के मुताबिक तो उसने उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए अपने इस टायर में चार नई खोजों का तड़का डाला है।


नई सोच का दम


पहली बात तो यह कि इस टायर में केवलार का इस्तेमाल किया गया है। वैसे आप तो जानते ही होंगे कि केवलार का इस्तेमाल कई जगहों पर किया जाता है। मैं खुद भी तो इसका इस्तेमाल करता हूं। भाई साहब, जब मैं अपने जिस ड्राइविंग ग्लव्स को पहनाता हूं तो उसमें हथेली के तरफ केवलार की झल्ली का इस्तेमाल किया गया है।


वैसे, डयूप्वाइंट की इस खोज को एक बार नहीं, कई बार हेडलाइंस में जगह मिल चुकी है। कारण भी काफी मजबूत जो है। दरअसल, इसका इस्तेमाल बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने में किया जाता है। इसी केवलार के एक बैंड को टायर के थ्रेड एरिया के नीचे जगह दी गई है। 


अब आप सोच रहे होंगे इतनी धांसू चीज का इस्तेमाल एश्योरेंस में क्यों किया गया है? कंपनी के मुताबिक इससे टायर में मजबूती आती है, जिससे यह टायर हर छोटी-मोटी चीज से पंक्चर न हो पाए। भाई साहब, इतना खुश होने की जरूरत नहीं है। इसका यह मतलब कतई नहीं है कि यह टायर, पंक्चर प्रूफ है। दूसरी नई चीज जो इसमें डाली गई है, उसे गुडईयर ने नाम दिया है वैफल बेल्ड सिस्टम का। इस टायर में वर्टिकल ऐजज को एक नया रूप दिया गया है।


ये प्रेसर के समय में डिफॉर्म होकर रोड पर जबरदस्त ग्रिप देते हैं। हालांकि यह पूरी प्रक्रिया इतनी आसान नहीं है, लेकिन इस प्रक्रिया को समझने लगे तो हमारे पास जगह कम पड़ जाएगी। इसमें एक नहीं, चार-चार ग्रूव्स हैं। यही है, इसकी तीसरी बड़ी खूबी।


ग्रूव सड़क के संपर्क में रहने वाले टायर के हिस्से और रोड के बीच थोड़ी मात्रा में पानी का रहना सुनिश्चित करता है। इससे कार गीली सड़क पर फिसलती नहीं है। आखिर में नंबर आता है सिलिका का।  जहां तक मेरी जानकारी है, कई और टायरों में भी सिलिका का इस्तेमाल किया जाता है। इससे टायर जल्द ही सड़क के तापमान के मुताबिक जल्द ही ढल जाती है। इससे टायरों की लाइफ भी बढ़ जाती है।


तो कैसा रहा परफॉर्मेंस?


यह तो कहना ही पड़ेगा कि रोड पर इस टायर की परफॉमर्ेंस जबरदस्त थी। हमें इसे ट्राई के तीन मौके मिले। पहला मौका तो मिला सेपांग के इंटरनैशनल सर्किट में। वहां मैंने इसे स्पिंक्रलर्स के अंदर टेस्ट किया, ताकि गीली सड़क पर इसकी परफॉमेंस जान सकूं। फिर बारी आई बाधाओं के बीच इसे दौड़ाने की।


दूसरे टेस्ट में बाधाओं के बीच मैंने इसका सूखी सड़क पर टेस्ट लिया, जबकि तीसरे में गीली सड़क पर। वैसे मैं पहले ही साफ कर दूं कि टेस्ट में समय की बंदिश होती है और साथ ही मुझे टेस्ट के लिए काफी इंतजार भी करना पड़ा था। खैर, ये तो टेस्टिंग की आम समस्याएं हैं।


पहले टेस्ट में मैं बिना लाग-लपेट के कहूंगा कि टायर का परफॉर्मेंस वकाई अच्छा था। इस आड़ी-तिरछी टै्रक पर हाई स्पीड ड्राइविंग का अपना अलग मजा होता है। गीली सड़क पर जबरदस्त कट लेने से तो बस दिल खुश हो गया। मैं एक ऑटोमैटिक मजाडा चला रहा था और अचानक टर्न टू आ गया, जहां की सड़क बिलकुल सूखी थी। इससे टायरों की परफॉर्मेंस पर जरा सा भी असर नहीं पड़ा।


सच कहूं तो मुझे जरा सी भी आवाज नहीं सुनाई दी। वैसे, उस जबरदस्त कट पर जब मैंने कार को अचानक मोडा था तो मुझे थोड़ी सी आवाज जरूर सुनाई दी थी। लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि टायर का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं था।


हम तेज रफ्तार में थे और उस आवाज का यही मतलब था कि रोड पर इसकी ग्रिप जबरदस्त थी। सूखी सड़क पर भी इसके क्या कहने। 90 डिग्री के एगेंल के कट पर भी ब्रेक लगाने पर हमें ज्यादा असर नहीं महसूस हुआ और न ही राइड क्वालिटी खराब हुई। वैसे हम मजाडा से ज्यादा वाकिफ नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं जानता कि यह सच में किसा जादू था। वैसे, राइड जबरदस्त थी और बस मजा आ गया।


बाधाओं के बीच दौड़


वैसे, इसने तो बाधाओं के बीच हमें चकित ही कर डाला। सूखी और गीली, दोनों तरह की सड़क आप टायरों से आवाज आती हुई सुन सकते हैं। किनारों पर आकर दोनों हालात में कोरोला थोड़ी सी भारी हो गई थी, लेकिन सड़क पर से ग्रिप एक बार भी नहीं छूटी। ये वहां मौजूद सभी 500 पत्रकारों का कहना था।


इनमें ऐसे लोग थे, जो नौसिखुआ ड्राइवर थे तो कुछ के सामने क्लब ड्राइवर भी बगलें झांकने लगते हैं। गीली सड़क पर भी कहना ज्यादा नहीं बदली। टायरों ने काफी अच्छा काम किया और सड़क और थ्रेड के बीच पानी को रहने की जगह ही नहीं दी। वैसे, आखिरी के दो बाधाओं पर आप टायर की आवाज आराम से सुन सकते थे। शुक्र है कि, इस पूरी टेस्टिंग के दौरान किीस बी तरह गकी कोई भी दुघर्टना नहीं हुई। इससे भी टायर की ताकत का अंदाजा होता है।


गुडईयर यह टायर हमारे मुल्क के लिए हमारे देश में ही बनाएगी। यह टायर जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। वैसे, यहां आपको मायूसी हो सकती है कि हम आपको इसकी कीमत नहीं बता रहे। लेकिन क्या करें भाई साहब कंपनी वाले उस समय से पहले इसकी कीमत बताने के लिए तैयार ही नहीं हुए।


गुडईयर वालों का कहना है कि मिड साइज कारों के टायर के बाजार का साइज 2.4 करोड़ टायरों का है, जिसमें हम हिंदुस्तानियों का हिस्सा केवल तीन लाख टायरों का है। पर निराश होने की बात नहीं है क्योंकि उन्हीं का यह भी कहना है कि दुनिया के मिड साइज कार टायर बाजार में अपनी हिस्सेदारी करीब 20 फीसकी सुपरसोनिक स्पीड से बढ़ रही है। यह आज दुनिया की उन गिनी-चुनी मार्केट्स में से एक है, जो इतनी तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं। 

First Published - April 14, 2008 | 1:18 AM IST

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