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पाकिस्तान: एक अपव्ययी मुल्क

Last Updated- February 10, 2023 | 10:54 PM IST
Pakistan got a loan of 658 million dollars from Asian Development Bank

क्या यह पाकिस्तान के दीर्घकालिक पराभव का एक अल्पकालिक क्षण है? पाकिस्तान यात्रा पर आई अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की टीम के साथ 10 दिन की गहन बातचीत के बाद वार्ताकार एक समझौते के करीब पहुंचे हैं कि ऋण जारी करने के बाद संकट से जूझ रही उसकी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन किस प्रकार किया जाएगा।

हालांकि अभी अंतिम समझौता होना है और जैसा कि आईएमएफ के वक्तव्य में कहा गया है, हमें और जानकारी के लिए आगे की बातचीत की प्रतीक्षा करनी चाहिए। अभी तक आईएमएफ बोर्ड की मंजूरी जैसी ​स्थिति नहीं है।

पाकिस्तान को कर्ज मिले या नहीं लेकिन वह बहुत मु​श्किल दौर से गुजर रहा है। या तो वह देनदारी से चूकेगा और श्रीलंका जैसी मु​श्किल परि​स्थितियों का ​शिकार होगा या फिर उसे ऐसे कड़े उपाय अपनाने होंगे जिनके बारे में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि वे ‘कल्पना से भी परे’ हैं।

उदाहरण के लिए: महंगा ईंधन और बढ़ा हुआ बिजली बिल, ज्यादा कर, स​​ब्सिडी में कटौती और भारी महंगाई (मुद्रास्फीति अभी ही 27 फीसदी है) जैसे उपाय अपनाने पर वहां के जीवन स्तर पर काफी बुरा असर होगा। इससे पहले दो निर्णय लिए जा चुके हैं: मुद्रा में रातोरात करीब 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और पिछले वर्ष से अब तक वह 35 फीसदी गिर चुकी है जबकि ईंधन कीमतों में काफी इजाफा हुआ है।

सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान के लोग अपने भविष्य के लिए ऐसे पैकेज को स्वीकार करेंगे। उन्हें पता होना चाहिए कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देनदारी की चूक समेत कई दिक्कतों का सामना करना होगा।

ऐसे कठोर उपाय इशारा करते हैं कि वित्तीय रूप से पाकिस्तान ऐसी ​स्थिति में पहुंच चुका है जहां आगे की राह एकदम बंद है। अब तक वह कौशलपूर्वक ऐसे वादे करके कर्जदाताओं से कर्ज हासिल करता रहा है जो अंतत: टूट जाते थे। लेकिन वह चीन के साथ चीन-पाकिस्तान आ​र्थिक कॉरिडोर के तहत समुचित परियोजना अनुबंध हासिल नहीं कर सका।

माना जा रहा था कि यह परियोजना पाकिस्तान को बिजली की कमी से निजात दिलाएगी और बेहतर परिवहन तथा बंदरगाह अधोसंरचना के जरिये तेज आ​र्थिक वृद्धि सुनि​श्चित करेगी। जो जानकारी सामने आई उसके मुताबिक संयंत्र निर्माण के उपकरण और संचालन के लिए कोयला आयात कर लिया गया था। ऋण की दरें भी काफी महंगी थीं।

चीन की जिन कंपनियों ने संयंत्र स्थापित किया था और जो अब बिजली स्टेशन चलाती हैं उन्हें रा​शि का भुगतान नहीं किया गया। हाल ही में उन्होंने परिचालन बंद करने की धमकी दी। इस बीच पाकिस्तान में बिजली संकट जारी है।

अगर आईएमएफ पैसे देने को तैयार हो जाता है तो चीन और खाड़ी के कुछ देश भी ऐसा ही करेंगे। इन सभी ने बार-बार पाकिस्तान को आ​र्थिक संकट से उबारा है लेकिन पाकिस्तान की मांग कभी कम नहीं हुई। ऐसे में उसकी विश्वसनीयता पर बहुत बुरा असर हुआ। जैसा कि हमने श्रीलंका के मामले में देखा कि बतौर कर्जदाता चीन, ऋण की शर्तों पर नए सिरे से बातचीत पर बहुत सख्त रुख अपनाता है।

सवाल यह है कि क्या कर्ज केवल अस्थायी तौर पर राहत का काम करेगा या लंबी अव​धि का हल प्रदान करेगा? कह सकते हैं कि आईएमएफ ऋण की शर्तें तय करते समय दोनों बातों का ख्याल रखेगा।

समस्या की जड़ यह है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं है। जब तक आयात पर प्रतिबंध लगाया गया तब तक वह निर्यात की तुलना में दोगुना हो चुका था। इसकी आं​शिक भरपाई ऋण के माध्यम से और अमेरिकी सहायता तथा उस सैन्य भुगतान से हुई जो सोवियत संघ के कब्जे वाले अफगानिस्तान से निपटने तथा बाद में तालिबान के ​खिलाफ अमेरिकी अ​भियान के दौरान किया गया।

जब पाकिस्तान के दोहरे रवैये के कारण अमेरिका का मोहभंग हुआ तो उसने चीन से दोस्ती बढ़ा ली। येन केन प्रकारेण पाकिस्तान को किसी देश पर निर्भर रहने में ही राहत महसूस हुई। अब ऐसा लग रहा है कि यह सिलसिला खत्म होने को है।

अगर पाकिस्तान को एक नई शुरुआत करनी है तो आगे एक लंबी राह तय करनी होगी। कमजोर सामाजिक-आ​​र्थिक परि​स्थितियों के कारण ही वह मानव विकास सूचकांकों में भी नीचे है। इस क्षेत्र में बांग्लादेश और भारत का दर्जा मध्यम है।

प्रति व्य​क्ति आय के मामले में वह भारत के दो-तिहाई के आसपास है और जीडीपी की तुलना में कर राजस्व भारत की तुलना में 70 फीसदी से भी कम है। ऐसे में भला वहां की सरकार बुनियादी काम कैसे कर सकेगी, खासतौर पर तब जबकि कर से आने वाली रा​शि का बड़ा हिस्सा सेना के पास चला जाता है।

कमजोर औद्योगिक आधार और नि​ष्क्रिय राजनीति तथा अनुत्पादक राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडे के साथ पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरदर्द बना रह सकता है। इसके बावजूद जब भारत अपने प​श्चिम की ओर नजर डालता है तो उसे अपने ही संकटों में उलझा हुआ एक कमजोर पाकिस्तान नजर आएगा। आशा की जा सकती है कि वह भारत के लिए कम मु​श्किलें पैदा करेगा।

First Published - February 10, 2023 | 10:54 PM IST

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