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दमदार इंजन, पर कमजोर डिजाइन

Last Updated- December 05, 2022 | 10:42 PM IST

क्या आपको पता है, माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी क्यों है? बहुत आसान जवाब है, इसीलिए क्योंकि दूसरी सारी चोटियां उससे छोटी है।


इसी वजह से तो मैं काफी ‘भारी-भरकम’ समझा जाता हूं क्योंकि मेरे आस-पास मौजूद काफी लोग-बाग खुद को काफी ‘हल्का’ समझते हैं। दोस्तों, जिंदगी में सबसे अहम चीज तुलना ही है। वैसे, मेरा भरोसा कीजिए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी कहलाना अच्छी बात हो सकती है, लेकिन भारी भरकम के विशेषण को सुनना काफी मुश्किल होता है।
 
कुछ ऐसा ही लगता होगा, बीएमडब्ल्यू एक्स 3 के मालिकों को। जिस दिन से इसी अवधारणा सोची गई थी, उसी दिन से इसे अपने ही कंपनी की स्पोट्र्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) एक्स 5 से कमतर आंका गया। एक्स 5 इससे भारी कार ही मानी जाती है, फिर भी लोगों को इसमें कोई दिक्कत नजर नहीं आई। उलटे, उन्हें तो इस कार को ज्यादा पसंद किया। इसलिए तो इसकी सेल्स इतनी जबर्दस्त हुई और इसे एक आइकन का स्टेटस मिल गया।


दूसरी तरफ, एक्स 3 की हालत पतली हो गई। इसे बीएमडब्ल्यू ने तो अपनी जर्मनी की फैक्टरी में बिमर स्पोट्र्स कारों के साथ बनाने से भी मना कर दिया है। इसे बीएमडब्ल्यू की अमेरिकी फैक्टरी में भी बनने के काबिल नहीं समझा गया, जहां एक्स 5 का निर्माण होता है। इसे बनाने की जगह कंपनी को ऑस्ट्रिया के ग्राज में स्थित अपनी फैक्टरी में मिली।


यह तो थी पांच साल पुरानी दास्तां, अब तो इस कार ने कमाई के मामले में अपनी महत्ता साबित कर दी है। आज पक्की सड़कों से नीचे भी नहीं उतरने वालों यानी सॉफ्ट रोडर्स के बीच यह काफी पॉपुलर है। आपको यह भी बता दूं कि आज तो इन्हीं सॉफ्ट रोडर्स की धूम है।


देश में महंगी कार


जरा एक होंडा सीआई-वी के बारे में सोचिए। उसकी बनावट में थोड़ी सी और मजबूती डाल दीजिए। साथ ही, उसे अच्छे टेक्सचरों से थोड़ा सजा भी दीजिए। फिर इसकी सर्फेस तो भी थोड़ा चमका दीजिए। यह सारे काम कीजिए बीएमडब्ल्यू के एक ऐसे प्लांट में, जो अपनी आखिरी सांसें गिन रहा हो। आपको अपना खुद का एक्स-3 मिल जाएगा। वैसे एक बात है, यह सीआर-वी की अपने-आप में काफी बड़ी तारीफ है। 


पिछले कुछ समय से इतनी सेल्स जबरदस्त रही है कि इसी सेल्स की वजह से तो होंडा अपने फॉरमूला वन कैंपेन को जिंदा रखे हुए है। अगर आप लंदन में सीआर-वी को खरीद रहे हैं, तो आपको एक्स 3 से चार हजार पाउंड ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे। वहीं, भारत में आपको एक्स 3 के लिए सीआर-वी से दोगुनी चुकानी पडेग़ी। हालांकि, इस दोनों कारों का अपने देश में आयात ही होता है।


होंडा ने अपने सीवी-आर के लिए 22 लाख रुपये रखी है, जबकि एक्स 3 की मुंबई में एक्स शोरूम कीमत 42 लाख रुपये रखी गई है। इतनी मोटी रकम से तो आप टोयोटा की लैंडक्रूजर या मित्सुबिशी की मोंट्रिओ को खरीदने की उम्मीद रखते हैं। फिर एक सोच यह भी कहती है कि तो फिर इसी रकम से बीएमडब्ल्यू क्यों न खरीदी जाए?


सबसे बड़ी खामी


वैसे, बीएमडब्ल्यू वालों ने यह कार काफी ‘सोच-समझ’ कर बनाई है। इसके जर्मन इंजिनियरों ने एक बात का खास ख्याल रखा है कि आप जिस भी कोण से देखें, यह कार आपको छोटी ही नजर आएगी। लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि आप इसे लेकर सड़कों पर नहीं उतर सकते।


साथ ही, कार का यह डिजाइन पॉवरफुल पेट्रोल और डीजल इंजनों को भी बड़ी आसानी से संभाल सकता है। हालांकि, डिजाइन के मामले में उनसे चूक हो गई। यह है, इसकी सबसे बड़ी खामी। इस देखने में ऐसा लगता है कि इसे बनाते वक्त डिजाइनरों के ध्यान में एक्स 5 की छवि रही होगी।


शायद, इसका प्रोफाइल बनाने की जिम्मेदारी कोरिया के ऐसे कामचोर डिजाइनरों को सौंपी गई होगी, जिन्हें पहले अपने घाटिया काम की वजह से कई जगहों से नौकरी से निकाला जा चुका होगा। इसका पिछला हिस्सा बनाने की जिम्मेदारी तो ऐसे कंफूज्ड इंटर्सं को सौंपी गई होगी, जो शायद अब भी कंपनी के फॉर्मल डे्रस कोड को गालियां दे रहे होंगे। अगर मुझे कभी इसके हेडलाइट बनाने वाले से मिलने का मौका मिला तो मैं उससे हाथ मिलने से पहले उसे जोर का तमाचा मारने पसंद करूंगा।


यह है इसकी वजह


वैसे, जब इस कार का डिजाइन बनाया जा रहा था, उस वक्त बीएमडब्ल्यू में काफी उठा पटक मची हुई थी। उस वक्त कंपनी का बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर दो हिस्सों में बंटे हुए थे। एक हिस्सा क्रिस बैंगल को बीएमडब्ल्यू में ही देखना चाहता था, तो दूसरा उन्हें जल्द से जल्द मर्सिडिज बेंज भेजना चाहता था। इसके लिए उन्होंने अपनी कार का भी तबाड़ा निकालने से परहेज नहीं किया।


दुनिया के सबसे बड़े कार डिजाइनरों में शुमार होने वाले इस शख्स की डिजाइन को अब भले ही कमाल का माना जाता है, लेकिन तब तो उनके काम पर बवाल मचा हुआ था। मुझे तो रत्ती भर भी नहीं लगता कि इस हेडलाइट को कार में लगाने पर बैंगल राजी हुए होंगे। न ही उस कोरियन डिजाइन पर। मुझे नहीं लगता कि वह किसी इंटर्न डिजाइनर को कार का बैक साइड बनाने की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। अगर उन्होंने यह सारे काम किए भी हैं तो भी मैं  मानने के लिए तैयार नहीं हूं।


इतनी गालियां देने के बाद कितना अच्छा लगता है न। वैसे, एक दिक्कत मेरे आस-पास के लोगों के साथ भी है। मेरे पड़ोसियों ने समझा कि यह एक ऑडी है, जबकि मेरे साथियों को यह कार बेहद अच्छी लगी। या तो उनके ऊपरी महले में कोई दिक्कत है या फिर उन्होंने बीएमडब्ल्यू कारों की खूबसूरती अब तक देखी ही नहीं है।


मुझे तो यह कार थोड़ी लंबी लगी। साथ ही, इसकी चौड़ाई भी थोड़ी कम है। इसमें म्यूनिख से आने वाली दूसरी कारों वाली खूबसूरत नहीं है। आप भी सोच रह होंगे आखिर मुझे एक्स 5 में ऐसे क्या अच्छा लगा, जो मैं बार-बार इस कार की तुलना एक्स 3 से कर रहा हूं? दरअसल, भले ही वह कार भारी हो, लेकिन उसका डिजाइन कम से कम बैंलेंस्ड तो है न।


अच्छे भी हैं इसके फीचर


वैसे, इस कार को एक्स 5 से अलग (यानी कमतर) बनाने की काफी कोशिश की गई। फिर भी इसमें सफर करना काफी अच्छा लगता है। हमारे पास जो टेस्ट कार आई थी उसमें काले प्लास्टिक का काफी अच्छा इस्तेमाल किया गया है। साथ ही, अंदर के हिस्से में लकड़ी का भी जबरदस्त इस्तेमाल है। लेकिन अगर अल्युमिनियम का इस्तेमाल होता तो यह और भी अच्छा हो सकता था। इसका फ्रंट सीट तो कमाल का है।


वैसे इसमें आपको आईड्राइव तो नहीं मिलेगा, लेकिन इसमें आपको बड़ा सनरूफ तो जरूर मिलेगा। इसका मजा आप झमाझम बारिश में उठा सकते हैं, लेकिन मुंबई की चिलचिलाती धूप में कतई नहीं। इसका म्यूजिक सिस्टम तो खुदा की कसम कमाल का है। वैसे, इसके पार्किंग सेंसर्स से आपको थोड़ी चिढ़ होगी, पर वह भी धांसू की कैटेगरी में आते हैं। इसकी एयरकंडीशनिंग भी कमाल की है। लगता है, बीएमडब्ल्यू वालों ने हिंदुस्तानी गर्मियों का मुकाबला करने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है।


कैसी है परफॉर्मेंस


चलिए, अब इसकी परफॉर्मेंस को भी नाप लेते हैं। इसे बनाया गया था शहर की सड़कों पर राज करने के इरादे से। इसे खुशकिस्मती कहिए या बदकिस्मती, मुझे इससे पहले लंबे वक्त एक्स 5 का चलाने का मौका मिल चुका है। वह तो मुझे जबरदस्त लगी। उसमें तो आपको कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। उसे ड्राइव करना इतना आसान है कि कब मैंने स्पीड लिमिट कर ली मुझे पता ही नहीं लगा था।


शहर के ट्रैफिक में तो एक्स 5 के वजन होने का पता भी नहीं लगता है। एक्स 5 तो स्पोट्र्स कारों को भी मात दे दे। इतनी जबरदस्त परफॉर्मेंस देने वाली यह कार डीजल पर चलती है। क्यों भरोसा नहीं होता न? वैसे, चलिए अब मुद्दे पर आते हैं। आपको तो लग रहा होगा कि एक्स 3 तो मुझे लुभाने में नाकामयाब रही होगी, है न? गलत, बिल्कुल गलत। 


इसका 2497 सीसी का इंजन देता है 212 बीएचपी की जबरदस्त ताकत। इसका मतलब यह है कि आप एक्स 3 में एक लम्हे के लिए भी बोर नहीं होंगे। इसके पतले टायर इसे तेज स्पीड हासिल करने में मदद करते हैं। आलम यह होता है कि आप कब 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार को पार कर जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा। इस रफ्तार तक पहुंचने में आपको लगेंगे केवल 8.5 सेकंड। खाली सड़क पर तो आप इसे 210 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से भी दौड़ा सकते हैं।


बीएमडब्ल्यू की दूसरी कारों की तरह इसमें भी आपको मिलेंगे आपको कई इलेक्ट्रोनिक ऐड जैसे डाइनैमिक स्टैबिलिटी कंट्रोल, डाइनैमिक ट्रैक्शन कंट्रोल और डाइनैमिक ब्रेक कंट्रोल। यानी आप इसमें तबतक सुरक्षित रहेंगे, जब तक आपके दिल में गिनीज बुक में शामिल होने की ख्वाहिश न जागे। वैसे, इसका स्टेरिंग भी काफी स्मूथ है। यह जापानियों के लिए एक सबक है कि उन्हें कैसी कारें बनानी चाहिए।


वैसे, बीएमडब्ल्यू की नई गाड़ियों में आपको इससे भी बेहतर स्टेरिंग व्हील्स मिलेंगे। इससे आपको अपनी कार पार्क करने में और भी आसानी हो जाती है। माना कि यह कार अच्छी है, लेकिन अब भी यह एक्स 5 के मुकाबले नहीं ठहरती। लेकिन एक बार आपने इसकी खामियों को समझ लिया तो उनके साथ जीना काफी आसान हो जाता है।


जबर्दस्त कार


वैसे, एक बात तो तय है कि शहरी हालत में एक्स 3 एक जबर्दस्त कार है। लोग-बाग बीएमडब्ल्यू कार होने की वजह से इसकी तारीफ तो करेंगे ही करेंगे। यह मॉडर्न कारों की तरह आपो सुरक्षित भी रखेगा। इसका इंजन भी काफी दमदार है। अगर आप भी एसयूवी खरीदने की इच्छा रखते हैं और ज्यादा पैसे नहीं खर्च करना चाहते, तो एक्स 3 आपके लिए बेहतीन ऑप्सन है।


वैसे, यह पर निर्भर है कि आप दो-दो सीआर-वी खरीदना पसंद करेगें या एक लैंडक्रूजर। हालांकि, मैं तो जा रहा हूं कि बीएमडब्ल्यू के प्रेस ऑफिस की तरफ, यह पता करने कि क्या वह मुझे एक और हफ्ते तक मुझे यह कार इस्तेमाल करने देंगे। 

First Published - April 21, 2008 | 12:21 AM IST

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