वैश्विक मंदी की सूरत के बावजूद भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) करीब 8 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
हालांकि, इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलोजी (आईसीटी) सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा नहीं होने की खबर है, जो शुभ संकेत नहीं है। आईसीटी का सकारात्मक माहौल जीडीपी के विकास में काफी अहम भूमिका निभाता है। ‘नेटवर्क तैयारी’ पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के आकलन में 127 देशों की रैकिंग में भारत फिसलकर 50वें पायदान पर पहुंच गया है।
इसके अलावा व्यक्तिगत आईसीटी पहुंच के मामले में भारत 109वें स्थान पर है। हालांकि, आईसीटी के सभी मोर्चों पर भारत का प्रदर्शन निराशाजनक नहीं रहा है। अनुकूल बिजनेस माहौल के मामले में भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। हमारे पास इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की कमी नहीं है और इसलिए नई तकनीकों के मामले में अपने देश का चौथा स्थान है। हमें इस बात पर हैरानी नहीं चाहिए कि भारत में आईटी और इससे जुड़ी सेवाओं का प्रदर्शन काफी बढ़िया रहा है और सॉफ्टवेयर आयात का कुल कारोबार 41 अरब डॉलर आंका गया है।
कम्यूनिकेशन के मोर्चे पर उपभोक्ताओं की तादाद इस महीने 30 करोड़ को पार कर जाने की उम्मीद है। इसके जरिये वायरलेस नेटवर्क के मामले में अमेरिका को पछाड़कर भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन जाएगा। पहले स्थान पर चीन है। देश में टेलि डेंसिटी भी 25 फीसदी के आंकड़े को पार कर चुका है और हर महीने इसमें 80 लाख उपभोक्ताओं की बढ़ोतरी हो रही है, जबकि अमेरिका में हर महीने 20 से 30 लाख और चीन में 50 से 70 लाख नए उपभोक्ता बनते हैं।
बहरहाल तमाम सकारात्मक पक्षों के बावजूद यह रिपोर्ट देश में आईसीटी की व्यक्तिगत पहुंच में कमी की ओर इशारा करती है, जो देश के तेज आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करने में बहुत बड़ी बाधा है। समस्या यहीं तक सीमित नहीं है। इस सेक्टर में नए बिजनेस रजिस्ट्रेशन की चाल भी काफी सुस्त है। भारत में आईटी सेक्टर पर होने वाला खर्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 5 फीसदी है। देश में मोबाइलधारकों की तादाद चीन के मुकाबले आधी है। अक्सर हम इस संदर्भ में चीन से अपनी तुलना करते हैं। इसके अलावा यहां वायरलेस इंटरनेट उपभोक्ताओं की तादाद (जीएसएम और सीडीएमए हैंडसेंट के जरिये) महज 5 करोड़ 8 लाख है।
पर्सनल कंप्यूटरों की उपलब्धता और बिजली सप्लाई के मामले में भी हमारी स्थिति अच्छी नहीं है। इसके मद्देनजर सरकार को आईसीटी सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। इसके तहत ई-गर्वंनेंस सेवाओं की शुरुआत करनी होगी। साथ ही इंडियन आईटी बिल (मई 2000) में वर्णित आईटी नीति के मद्देनजर इसके लिए कानूनी ढांचे को भी दुरुस्त करना चाहिए। जैसे साइबर क्राइम और डेटा प्राइवेसी से जुड़े मसले। हाई स्पीड डेटा नेटवर्क के लिए भी हमें भारी निवेश करना होगा।