जिस उम्र में लोग खुद को रिटायर मानने लगते हैं, आईआईएम अहमदाबाद के चेयरपर्सन विजयपत सिंघानिया कामयबी की नई ऊंचाइयां छू रहे हैं।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद के चेयरमैन विजयपत सिंघानिया से ज्यादा उनकी कामयाबियां बोलती हैं। जिस उम्र में लोग खुद को रिटायर मानने लगते हैं, सिंघानिया कामयाबी की नई बुलंदियों को छूने में जुटे हैं। 70 साल के इस शख्स के हौसले अब भी बुलंद नजर आते हैं। तीन साल पहले उन्होंने एयर बैलून के जरिये उड़ान भरी और इसके जरिये सबसे ज्यादा ऊंचाई तक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया।
1998 में माइक्रोलाइट के जरिये उन्होंने अकेले ब्रिटेन से भारत की उड़ान भरने का जोखिम उठाया। सिंघानिया के पास 5 हजार घंटे हवाई जहाज उड़ाने का अनुभव है। 1994 में उन्हें फेडरेशन एरोनॉटिकल इंटरनैशनल रेस में स्वर्ण पदक से नवाजा गया। यह पदक उन्हें 24 दिनों में 34 हजार किलोमीटर की हवाई यात्रा करने के लिए दिया गया था। इस अद्भुत काम के लिए सिंघानिया को एयर कमोडोर की मानक उपाधि से भी नवाजा जा चुका है।
2006 में सिंघानिया को पद्मभूषण भी मिल चुका है। जोखिम लेने का उनका जज्बा अब भी बरकरार है और वह अपनी पिछली उपलब्धियों से संतुष्ट होकर नहीं बैठना चाहते। आईआईएम फीस बढ़ोतरी के फैसले को देखते हुए कुछ ऐसा ही जान पड़ता है।
फीस बढ़ोतरी पर मानव संसाधन मंत्रालय के विरोध की आशंका के बावजूद उन्होंने फैसले लेने में इस पहलू को हावी नहीं होने दिया। फीस में 3 गुना बढ़ोतरी पर बेबाक अंदाज में सिंघानिया कहते हैं कि आईआईएम को वित्तीय रूप से किसी पर भी निर्भर नहीं होना चाहिए।
बहुआयामी व्यक्तित्व वाले सिंघानिया मीडिया की दुनिया में भी अपने हाथ आजमा चुके हैं। वह मुंबई से छपने वाले अखबार ‘द इंडियन पोस्ट’ के प्रकाशक की भूमिका अदा कर चुके हैं। शायद इसी अखबार का अनुभव है कि स्वायत्तता उनका पसंदीदा शब्द बन गया है। इसके अलावा मजाकियापन उनके व्यक्तित्व की खासियत है, जिसके जरिये उनके लिए बड़े-बड़े तनावों को झेलना काफी आसान हो जाता है।
लोग उनसे अक्सर पूछते हैं कि वह इतनी सारी अलग-अलग चीजों को किस तरह सफलतापूर्वक अंजाम दे पाते हैं? अगर मीडिया में कहे गए उनके शब्दों को दोहराया जाए तो यह इस प्रकार होगा- ‘ मेरे अंदर वो जज्बा है, जिसके जरिये अंसभव को संभव बनाया जा सकता है।’