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भारत से सामान की खरीद में बाधा से लेकर तेजी, 10 वर्षों में क्या कुछ बदला

Last Updated- June 02, 2023 | 11:21 PM IST
India frets over US proposal seeking tariff notices at IPEF

भारत से सामान खरीदने (सोर्सिंग) की अनिवार्यता कई बदलाव के दौर से गुजरी है। लगभग 10 वर्ष पूर्व भारत में सोर्सिंग से जुड़े सख्त नियमों के कारण दुनिया के जाने-माने ब्रांड के लिए यहां कारोबार करना मुश्किल हो गया था। मगर अब इनमें कई ब्रांडों के लिए भारत से सामान मंगा कर उनका विभिन्न देशों को प्रमुख निर्यात वस्तुओं के रूप में आपूर्ति करना आसान हो गया है।

सरकार ने भारत में 51 प्रतिशत से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) करने वाली कंपनियों के लिए पहले ही दिन से 30 प्रतिशत भारतीय सामान लेने की शर्त तय कर दी थी। अब सरकार ने एकल-ब्रांड स्टोर की स्थापना के पांच वर्षों के भीतर यह शर्त पूरी करने के लिए कहा है।

पहले भारतीय सामान की सोर्सिंग का उद्देश्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एसएमई) को बढ़ावा देना था मगर अब सरकार इस कारोबारी खंड में रोजगार एवं आय सृजन बढ़ाने पर जोर दे रही है।

जब वॉलमार्ट प्रमुख डग मैकमिलन मई के शुरू में भारत आए थे तो सोर्सिंग एवं निर्यात कंपनी के लिए प्राथमिकता बन गई। पिछले एक दशक में ऐसा क्या बदल गया था? मैकमिलन की मुलाकात चाहे प्रधानमंत्री मोदी से हुई हो या भारत में वॉलमार्ट के सहयोगियों के साथ मगर 10 अरब डॉलर का आंकड़ा कंपनी की खास पहचान थी और यह बनी रही।

दुनिया की सबसे बड़ी खुदरा कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी ने कंपनी का यह रुख एक बार फिर दोहराया कि 2027 तक वह भारत से 10 अरब डॉलर मूल्य का सालाना निर्यात का लक्ष्य हासिल कर सकती है। यह आंकड़ा इस समय 3 अरब डॉलर है। अब 10 वर्ष पहले क्या हुआ इस पर विचार करते हैं। वर्ष 2013 में वॉलमार्ट और भारती समूह के बीच संयुक्त उद्यम समाप्त हो गया।

बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में कदम रखने के लिए स्थानीय बाजार से 30 प्रतिशत वस्तुओं के इस्तेमाल की शर्त को पूरा कर पाना उनके लिए मुश्किल लगने लगा। तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील (संप्रग) सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दे दी थी मगर वॉलमार्ट ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया और भारती के संग अपना संयुक्त उद्यम समाप्त कर लिया।

कंपनी ने अपना कैश ऐंड कैरी कारोबार जारी रखने का निर्णय लिया। अब कैश ऐंड कैरी या ऑनलाइन मार्केटप्लेस किसी भी रूप में वॉलमार्ट के लिए फ्लिपकार्ट के माध्यम से भारत से सोर्सिंग करना जरूरी नहीं रह गया है। वॉलमार्ट ने 2018 में फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण कर लिया था।

इसके बावजूद मैकमिलन ने हाल में अपने भारत दौरे में मीडिया से बातचीत में फ्लिपकार्ट, सोर्सिंग और तकनीक को भारत में वॉलमार्ट के लिए तीन प्रमुख प्राथमिकताओं के रूप में सूचीबद्ध किया है। हालांकि, कैश ऐंड कैरी कारोबार इस सूची में शामिल नहीं था।

सिएटल में मुख्यालय वाली ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन भी भारत से सोर्सिंग का अपना लक्ष्य बढ़ा रही है। कंपनी को सोर्सिंग से जुड़ी किसी अनिवार्य शर्त को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है मगर यह एमेजॉन ग्लोबल सेलिंग इन इंडिया योजना के जरिये भारत से अपनी सोर्सिंग बढ़ा रही है।

2020 में भारत यात्रा के दौरान एमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस ने 2025 तक भारत में बनी वस्तुओं का संचय निर्यात 10 अरब डॉलर तक करने का लक्ष्य रखा था। पिछले वर्ष इसी अवधि के लिए यह लक्ष्य बढ़ाकर 20 अरब डॉलर कर दिया गया था।

मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं बनाने वाली मशहूर कंपनी ऐपल को भी आउटसोर्सिंग से जुड़ी शर्तों पर भारतीय बाजार में कदम रखने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा था। हाल में ही कंपनी ने भारत में अपने दो स्टोर खोले हैं। 30 प्रतिशत अनिवार्य सोर्सिंग के दायरे में विनिर्माण को शामिल करने के लिए एकल- ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई से जुड़ी शर्तों में बदलाव किया गया था।

इसके बाद ऐपल का भारतीय बाजार में प्रवेश आसान हो गया। जब तक नियमों में बदलाव नहीं किए गए थे तब एक प्रश्न उठा था। प्रश्न यह था कि ऐपल भारत से किन पुर्जों की आउटसोर्सिंग कर सकती है? एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के रूप में ऐपल अब अनुबंध पर काम करने वाले विनिर्माताओं के जरिये विनिर्माण उद्योग में आगे निकल गई है।

भारत के दिग्गज उद्योग समूह टाटा भी ऐपल के विनिर्माण ढांचे में शरीक हो गया है। इस वर्ष के शुरू में ऐपल के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक जब भारत में कंपनी के पहले दो स्टोर खोलने के सिलसिले में आए थे तो वह विनिर्माण केंद्रों के लिए साझेदारों की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य जा रहे थे।

फर्नीचर बनाने वाली स्वीडन की कंपनी आइकिया भारत में कदम रखने में पेश आई कठिनाइयों का जिक्र अब कर रही है। कंपनी के अनुसार 10 वर्ष पहले एकल ब्रांड खुदरा में प्रवेश के लिए भारत में सोर्सिंग सहित अन्य कड़ी शर्तों के कारण उसे भारत में स्टोर खोलने की योजना लगभग रद्द करनी पड़ी थी।

कंपनी पिछले दो दशकों से भारत से उत्पादों की सोर्सिंग कर रही है और इस समय हैदराबाद, बेंगलूरु और मुंबई में इसके स्टोर हैं। भारत से सोर्सिंग पर कंपनी का कहना है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान उसने यह मात्रा दोगुना कर दी है। कंपनी ने इन आंकड़ों का खुलासा नहीं किया है।

आइकिया 29 वैश्विक बाजारों में निर्यात बढ़ाने पर विचार कर रही है जिसमें भारत में तीनों स्टोरों को होने वाले निर्यात भी शामिल हैं। आइकिया के प्रबंध निदेशक, पर्चेजिंग ऐंड लॉजिस्टिक्स एरिया, दक्षिण एशिया, मैरियस मार्टीनाइटिस का कहना है कि भारत से वैश्विक एवं स्थानीय सोर्सिंग से इसके साझेदारों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में प्रवेश करने का अवसर दिया है।

इससे इस क्षेत्र में लोगों के लिए अवसरों बढ़ने के साथ ही आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरण का विकास हुआ है। अगर होम फर्निशिंग के सामान जैसे बेड एवं बाथ टेक्सटाइल्स आइकिया के लिए सोर्सिंग के लिहाज से वृद्धि के सबसे बड़े खंड रहे हैं तो ऐसा नहीं है कि दूसरे खंडों में मांग नहीं बढ़ रही है।

दूसरे खंडों में भी वृद्धि देखी जा रही है। उदाहरण के लिए वॉलमार्ट सामान्य श्रेणियों-परिधान, घरेलू सामान, आभूषण आदि- के अलावा खिलौने, साइकिल और अन्य पूरक वस्तुओं और यहां तक कि विशिष्ट मछलियां मंगाने पर ध्यान दे रही है।खेल से जुड़ी सामग्री बनाने वाली जापान की कंपनी ऐसिक्स भारत में स्टोर खोलने से पहले इसे सोर्सिंग के केंद्र के रूप में देख रही है।

चीन की श्याओमी भी भारत से सामान मंगाने की संभावनाएं तलाश रही है। खबरों के अनुसार कंपनी ने हाल में एक ऑडियो उत्पाद के लिए एक भारतीय विनिर्माता कंपनी के साथ समझौता किया है। डेलावेयर में सूचीबद्ध दक्षिण कोरिया की ई-कॉमर्स कंपनी कूपांग भी भारत को एक सोर्सिंग हब के रूप में देख रही है।

आम मंगाने के साथ ही इसने भारत के साथ अपने कारोबारी सफर की शुरुआत कर दी है और माना जा रहा है कि यह दूसरे खंडों पर भी ध्यान दे रही है। कूपांग भारत में कोई खुदरा कारोबार को लेकर योजना नहीं बना रही है और यह दक्षिण कोरिया में ही खुदरा कारोबार पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान और ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना से देश में स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा मिला है और दिग्गज कंपनियां यहां बने उत्पादों का इस्तेमाल कर रही हैं।

अनिवार्य सोर्सिंग शर्तों में बदलाव से भी ऐपल और आइकिया जैसी कंपनियां भारत में आई हैं। हालांकि, यह अब भी एक छोटी शुरुआत है और विनिर्माण का शीर्ष केंद्र बनने के लिए भारत को निश्चित तौर पर परिवहन ढांचे में सुधार करने के साथ आधारभूत ढांचे में खामियों को दूर करना होगा।

First Published - June 2, 2023 | 11:21 PM IST

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