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कैसी जिंदगी बसर करते हैं ओबीसी

Last Updated- December 05, 2022 | 10:01 PM IST

नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के आंकड़े ओबीसी की हालत के बारे में हमें एक नई हकीकत से रूबरू कराते हैं।


एनसीएईआर के सर्वे (2004-05) के मुताबिक, आय और खर्च दोनों मामलों में ओबीसी कैटिगरी के लोग एक औसत भारतीय से कम नहीं हैं। साथ ही उपभोक्ता सामान (रेडियो, टेलिविजन और बाइक आदि) रखने के मामले में भी कमोबेश स्थिति एक जैसी है।


नैशनल सैंपल सर्वे (2004-05) के नतीजों की तरह इस सर्वे में भी देश में ओबीसी को देश की कुल आबादी का 41 फीसदी बताया गया है। हालांकि, नैशनल सैंपल सर्वे में ओबीसी के खर्च व आय और उपभोक्ता वस्तुओं के स्वामित्व के बारे में जिक्र नहीं होता है।


एनसीएईआर के सर्वे में अनुसूचित जाति (एससी) परिवारों की औसत सालाना आय 44,641 रुपये आंकी गई, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों की आय 39,218 रुपये बताई गई। इसके अलावा ओबीसी परिवारों की औसत सालाना आय 57,384 रुपये और बाकी हिंदू परिवारों की सालाना आय (सवर्ण समुदाय समेत) 81,731 रुपये थी।


कुल मिलाकर एक भारतीय परिवार की औसत आय 62,066 रुपये थी। खर्च के मामले में यह आंकड़ा क्रमश: 32,208 रुपये, 27,236 रुपये, 38,288 रुपये, 50,731 रुपये और 40,607 रुपये रहा। इन आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि ओबीसी परिवारों की आय और खर्च एक औसत भारतीय परिवार की आय और खर्च के आसपास ही बैठते हैं।


अगर इन आंकड़ों को प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में भी देखें तो नतीजे काफी अलग नहीं होंगे। 2004-05 में अनुसूचित जाति कैटिगरी के सबसे निचले 20 फीसदी की आय 19,376 रुपये सालाना थी, जबकि इसी कैटिगरी में अनुसूचित जनजाति की आय 17,533 रुपये सालाना थी। इसी तरह ओबीसी कैटिगरी में प्रति व्यक्ति आय 20,093 रुपये थी, जबकि इसी कैटिगरी में देश की प्रति व्यक्ति औसत आय 19,600 रुपये थी।


सवर्ण हिंदुओं के मामले में यह आंकड़ा 20,687 रुपये रहा। अगर हम उच्च तबके के 20 फीसदी लोगों की बात करें, तो एससी, एसटी और ओबीसी की आय तकरीबन बराबर ( 1,34,000 से 1,38,000 रुपये) ही है, जबकि सवर्ण हिंदुओं के मामले में यह आकंड़ा 1,57,869 रुपये है। उच्च तबके की इस कैटिगरी में एक भारतीय की औसत आय 1,48,339 रुपये थी।


जहां तक टेलिविजन सेटों की बात है, सर्वे के मुताबिक, निचले तबके  के 20 फीसदी एससी और 13 फीसदी एसटी परिवारों के पास यह सुविधा उपलब्ध थी। ओबीसी कैटिगरी में यह आंकड़ा 28 फीसदी रहा। भारत में इस तबके के 20 फीसदी लोगों के पास टेलिविजन सेट मौजूद थे, जबकि 40 फीसदी सवर्ण हिंदुओं के पास यह सुविधा थी। सभी समुदाय के उच्च तबके के 90 फीसदी लोगों के पास टेलिविजन सेट थे, जबकि एससी कैटिगरी में यह आंकड़ा इससे थोड़ा कम 84.5 फीसदी रहा।


बाइक के स्वामित्व में भी यह समानता देखी जा सकती है। 2004-05 में क्रीमी लेयर के तहत आने वाली अनुसूचित जाति के 62 फीसदी लोगों के पास बाइक थी, जबकि ओबीसी के 72 फीसदी लोगों के पास यह सुविधा थी। इस कैटिगरी के 72 फीसदी सवर्ण हिंदुओं के पास बाइक थी। इसके अलावा देश का औसत आंकड़ा 72 फीसदी था। कारों के मामले में यह आंकड़ा क्रमश: 12, 18,23 और 20 फीसदी रहा।


जाहिर है हर आय वर्ग में आय, स्वामित्व और खपत के आंकड़े ही नहीं, बल्कि परिवारों की संख्या भी मायने रखती है। अनुसूचित जाति के 30 और अनुसूचित जनजाति के 40 फीसदी परिवार सबसे कम आय वर्ग में आते हैं। इस कैटिगरी में सवर्ण हिंदू परिवार 11 फीसदी हैं, जबकि ओबीसी परिवार 19.5 फीसदी, जो राष्ट्रीय औसत के 20 फीसदी से नाममात्र कम है।


इसी तरह अनुसूचित जाति के महज 9.6 फीसदी परिवार (अनुसूचित जनजाति के मामले में 9.4 फीसदी) उच्च आय वर्ग में आते हैं, जबकि ओबीसी के मामले में यह आंकड़ा 17.2 फीसदी है, जो राष्ट्रीय औसत के आसपास है। इस आय वर्ग में सवर्ण हिंदुओं की तादाद 31 फीसदी है।


इस सर्वे के लिए मानदंड तैयार करने से पहले 36 देशों के अनुभवों की समीक्षा की गई। विभिन्न चरणों में किए गए इस सर्वे में 1,976 गांवों के 4,40,000 घरों से सैंपल जुटाए गए। सर्वे में देश के 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 250 जिलों को शामिल किया गया। इनमें से 63,000 घरों को सवाल-जवाब के लिए चुना गया। 


सर्वे के प्रभारी और एनसीएईआर के सीनियर फेलो आर. के. शुक्ला के मुताबिक, सर्वेक्षण के नतीजे नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) और संबंधित एजेंसियों के आंकड़ों से भी मेल खाते हैं। जहां नैशनल सैंपल सर्वे में प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 725 रुपये बताया गया है, वहीं इस सर्वे में यह राशि 678 रुपये है। एनएसएस में हिंदुओं के संदर्भ में यह खर्च 717 रुपये है, जबकि इस सर्वे में यह राशि 674 रुपये है।


इसी तरह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी संबंधी आंकड़े लगभग एक जैसे हैं।

First Published - April 18, 2008 | 12:32 AM IST

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