दिल्ली सरकार ने बवाना और मुंडका के कई इलाकों में डी-सेंट्रलाइज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (डी-एसटीपी) का निर्माण करने, दिल्ली की विभिन्न अनधिकृत कॉलोनियों व ग्रामीण इलाकों में सीवर लाइन बिछाने और बवाना में 2 एमजीडी वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट ( डब्लूटीपी ) का निर्माण करने आदि परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं की कुल लागत करीब 576 करोड़ रूपये है। परियोजनाओं के पूरा होने के बाद इससे जहां यमुना की सफाई और प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी, वहीं लाखों लोगों को सीवर की समस्या से राहत मिलेगी।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार राष्ट्रीय राजधानी में सीवरेज सिस्टम को बेहतर बनाने, विभिन्न इलाकों में सीवर लाइन बिछाने और घर-घर सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराने की दिशा में चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है। यमुना में दूषित पानी न बहे, इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली की विभिन्न अनधिकृत कॉलोनियों और ग्रामीण इलाकों में केजरीवाल सरकार ने डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (डी-एसटीपी) बनाने का निर्णय लिया है। जहां बड़े एसटीपी के लिए सभी जगहों पर पाइप लाइन बिछाना आसान नहीं है, लेकिन कम क्षमता के डी-एसटीपी का निर्माण कम खर्च में संभव है। डी—एसटीपी के माध्यम से दिल्ली की अधिकांश कॉलोनियों में बढ़ते जल प्रदूषण, दुर्गंध और भूमिगत जल स्तर में गिरावट के बोझ से मुक्ति मिलेगी। वर्तमान में घरों का सीवेज नालों में बह रहा है, जो आखिर में यमुना नदी में जाकर गिरता है। ऐसे में डी—एसटीपी के निर्माण से सीवरेज को यही ट्रीट किया जा सकेगा और इससे यमुना के प्रदूषण में कमी आएगी। दिल्ली सरकार मुंडका के ग्रामीण इलाकों में सीवर बिछाने के साथ ही 26 एमलडी क्षमता वाले डी-एसटीपी का भी निर्माण करेगी। इन परियोजनाओं पर 427.6 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बवाना में डी—एसटीपी और सीवर बिछाने पर 132.6 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
बवाना में मौजूदा 20 एमजीडी डब्लूटीपी से निकलने वाले दूषित पानी को रीसाइकिल करने के लिए 2 एमजीडी क्षमता वाले रीसाइक्लिंग प्लांट का निर्माण किया जाएगा। बवाना में 20 एमजीडी डब्लूटीपी पहले से ही चालू है। इसमें कुछ कर्मचारियों की तैनाती के साथ अतिरिक्त 2 एमजीडी वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट संचालित किया जा सकता है। इस डब्ल्यूटीपी के लिए वर्तमान में कोई रीसाइक्लिंग प्लांट न होने के चलते काफी पानी की बर्बादी हो रही है। ऐसे में 10.3 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 2 एमजीडी रीसाइक्लिंग प्लांट के जरिए पानी की बर्बादी को रोका जा सकेगा। इसका काम करीब डेढ़ साल में पूरा किया जाएगा।