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टैक्स में पारदर्शिता के लिए Charitable Institutions का बनेगा नया डेटाबेस, 1 अक्टूबर को लागू होनी है एकल छूट योजना

इसके अलावा संशोधन में एक और प्रावधान किया गया जिसके मुताबिक परमार्थ संस्थानों को एक दिन में किसी व्यक्ति से 2 लाख रुपये से अधिक चंदा मिलने पर उसकी जानकारी देनी होगी।

Last Updated- August 29, 2024 | 11:25 PM IST
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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने अ​धिकारियों को आयकर अ​धिनियम के वि​भिन्न प्रावधानों के तहत परमार्थ संस्थानों (charitable institutions) का पंजीकरण की ​स्थिति का पता लगाकर नया डेटाबेस बनाने का निर्देश दिया है। ऐसा करने से कर दा​खिल करने और छूट के दावों में होने वाली विसंगति को दूर किया जा सकता है।

मामले के जानकार एक अ​धिकारी ने कहा, ‘अगर परमार्थ संस्थानों के पंजीकरण या अनुमतियां रद्द कर दी गई हैं, तो उसका विवरण 31 अगस्त तक आयकर विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कहा गया है।’

सीबीडीटी चाहता है कि इस डेटाबेस को नियमित रूप से अद्यतन किया जाए ताकि व्यक्ति और कंपनियां दान देने के लिए पात्र संस्थानों की पहचान कर सकें और दान पर कर लाभ का दावा कर सकें। अ​धिकारी ने कहा, ‘पंजीकरण के विभिन्न चरणों (अस्थायी या अनुमनोदन के चरण में हों) को दर्शाने के लिए परमार्थ संस्थाओं का एक नया और पता लगाने योग्य यूनिक संदर्भ संख्या (यूआरएन) डेटाबेस बनाया जाना चाहिए। इस पहल का मकसद अधिक कुशल व पारदर्शी प्रणाली बनाना है जो आर्थिक विकास और राजकोषीय स्थिरता के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप हो।

आयकर विभाग ने हाल ही में कर निर्धारण वर्ष 2018-19 के लिए मामले दोबारा खोलने के लिए प्रमुख शहरों में कंपनियों और अन्य लोगों को हजारों नोटिस भेजे हैं। इनमें से ज्यादातर मामले आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत परमार्थ संस्थाओं को दिए गए दान से संबं​धित हैं।

नया डेटाबेस बनाने का कदम 1 अक्टूबर से लागू होने वाली एकल छूट योजना (single exemption scheme) के लागू होने से पहले उठाया गया है। इस साल के बजट में परमार्थ न्यासों और इकाइयों के लिए छूट के दो प्रावधानों – धारा 10 (23सी) और धारा 11 को एकीकृत कर दिया गया है। दोनों धारा कर लाभ से संबंधित हैं लेकिन पंजीकरण और अन्य शर्तों के लिए अलग-अलग प्रक्रिया है। एकल छूट योजना के तहत दान के लिए अनुमोदन और पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास किया गया है।

आयकर अधिनियम में विभिन्न इकाइयों को करों में रियायत दी गई है। इनमें सरकार से फंड पाने वाली इकाइयां परमार्थ के कार्य में लगी होती हैं जो धार्मिक, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े परोपकारी कार्य हैं। इस तरह की इकाइयों को अपनी प्राप्तियों को उस मद में लगाने की आवश्यकता होती है जिनके लिए ये ट्रस्ट और संस्थानों का गठन हुआ है।

कर विभाग के सामने यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है कि असली और पात्र ट्रस्ट और संस्थानों की आमदनी को ही आयकर छूट का लाभ मिले और वे सही मात्रा में कर का भुगतान करें। आयकर अधिनियम के तहत पंजीकृत परमार्थ संस्थानों की आमदनी पर कर छूट मिलता रहेगा। इस तरह की छूट के गलत उपयोग के कई मामले सामने आने के चलते अब इस तरह की छूट का लाभ भी कर अधिकारियों की समीक्षा और गहन जांच पर निर्भर करता है।

वर्ष 2023 के बजट में लाभ का दावा करने वाले परमार्थ द्वारा किए जाने वाले खुलासे को लेकर सख्ती बरतने के प्रावधान किए गए और उन्हें अपनी गतिविधियों की प्रकृति को लेकर अतिरिक्त ब्योरा देने के लिए कहा गया। मसलन इन गतिविधियों को परमार्थ, धार्मिक या फिर धार्मिक और परोपकारी दोनों ही श्रेणियों में रखा जा सकता है या नहीं।

इसके अलावा संशोधन में एक और प्रावधान किया गया जिसके मुताबिक परमार्थ संस्थानों को एक दिन में किसी व्यक्ति से 2 लाख रुपये से अधिक चंदा मिलने पर उसकी जानकारी देनी होगी।

First Published - August 29, 2024 | 10:59 PM IST

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