एक ओर जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर छंटनी और लागत कम करने के दबाव से जूझ रही है, वहीं कानपुर के लोगों के लिए आगामी लोकसभा चुनाव किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं।
कभी पूरब का मैनचेस्टर कहा जाने वाला कानपुर आज अप्रत्याशित औद्योगिक पुनर्जागरण का संकेत दे रहा है। ऐसा इसलिए भी संभव हो पाया है क्योंकि केंद्र सरकार ने उद्योगों को फिर से चमकाने के लिए विभिन्न राहत पैकेजों के तहत हजारों करोड़ रुपये की राशि का आबंटन किया है।
सभी प्रमुख उद्योगों में छंटनी की काली परछाई छाने के बावजूद कानपुर स्थित जेके जूट मिल पिछले महीने ही अपना उत्पादन शुरू कर चुकी है। मिल प्रबंधन ने अपनी विस्तार उत्पादन और बिक्री को पूरा करने के लिए करीब 200 से ज्यादा कर्मचारियों को भर्ती किया है।
जेके जूट मिल के प्रबंध निदेशक (एमडी) ललित मोहन अग्रवाल ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यह संयंत्र अपनी पूरी क्षमता के साथ करे, इसके लिए अगले तीन महीनों में हम लोग करीब 1300 कर्मचारियों की भर्ती करेंगे।’
वर्तमान में यह जूट मिल पहले से ही करीब 2700 कर्मचारियों को रोजगार मुहैया करा रही है और यहां के प्रबंधक यह उम्मीद जता रहे हैं कि इस साल फरवरी महीने में और नए कर्मचारियों की बहाली के बाद मिल अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करने लगेगी।
मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के ग्राहक इस मिल में अपना ऑर्डर दे रहे हैं। अग्रवाल ने बताया, ‘यह ऑर्डर इसलिए भी आ रहे हैं क्योंकि यह संभावना जताई जा रही है कि इस साल मार्च महीने में फसल की कटाई से जूट पैकेजिंग बैगों की मांग बढ़ेगी।’
इस बीच राज्य सरकार ने मिल प्रबंधन को 13 साल से बंद पड़ी जेके कॉटन मिल को फिर से खोलने के निर्देश जारी किए हैं।
ऐसे समय में जहां उद्योग जगत अपने कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है, वहीं यह मिल अगले तीन महीनों में करीब 4000 कर्मचारियों की भर्ती करेगी।