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3 साल बाद हरियाणा में बिजली ही बिजली

Last Updated- December 08, 2022 | 3:07 AM IST

हरियाणा ने भले ही निवेश के लिए औद्योगिक समूहों को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया हो लेकिन यह राज्य अभी भी बिजली की किल्लत से निजात पाने में सक्षम नहीं हो पाया है।


अब राज्य सरकार को लगने लगा है कि बिजली की कमी से राज्य औद्योगिक विकास की दौड़ में पीछे रह सकता है। इसलिए राज्य सरकार ने किसी भी तरह से बिजली की किल्लत को दूर करने का मन बनाया है।

राज्य सरकार के अधिकारियों का मानना है कि बिजली की कमी को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के तहत 2010 तक बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा जबकि 2011 के अंत तक बिजली की अतिरिक्त क्षमता वाला प्रदेश बन जाएगा। बिजली की इस समस्या को दूर करने के लिए हरियाणा सरकार ने अगले चार सालों में प्रतिवर्ष एक बिजली उत्पादन परियोजना को लगाने का निश्चय किया है।

वर्तमान स्थिति

हरियाणा बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड (एचपीजीसीएल) के अनुसार वर्तमान में राज्य की कुल बिजली क्षमता 4668.31 मेगावाट है। इसमें से 2187.7 मेगावाट का उत्पादन राज्य के पानीपत, फरीदाबाद और यमुना नगर के जलविद्युत स्टेशनों से किया जाता है।

राज्य में उपस्थित बिजली क्षमता भी भिन्न मौसमों में नदी के प्रवाह के हिसाब से अलग-अलग रहती है। हरियाणा में हो रहे औद्योगीकरण,कृषि में बिजली की बढ़ती मांग और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण राज्य में बिजली की मांग प्रतिवर्ष 14 फीसदी से ज्यादा की दर से बढ़ रही है।

राज्य में चल रही विद्युत परियोजनाओं से धान और खरीफ  की फसल के दौरान उठने वाली मांग पूरी नहीं हो पाती है। इसके कारण एचपीजीसीएल को कुछ समय के लिए अन्य राज्यों से बिजली खरीदने को मजबूर होना पड़ता है।

भविष्य की योजनाएं

राज्य में बिजली की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने कुछ नई बिजली उत्पादन योजनाओं को लगाने की कवायद शुरू की है। राज्य सरकार का असली दावा है कि अगले दो-तीन सालों में बिजली की अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए लगभग 5,000 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी।

इस साल यमुनानगर में दीनबंधु छोटू राम ताप विद्युत परियोजना में 300 मेगावाट की दो इकाइयां शुरू होंगी। इसके अलावा 2010 के अंत तक 500 मेगावाट के तीन संयंत्रों को झार में इंदिरा गांधी महाताप विद्युत परियोजना के अंतर्गत लगाया जायेगा।

हरियाणा सरकार इस परियोजना में 7892.42 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। जबकि इस परियोजना से हरियाणा को 750 मेगावाट बिजली की प्राप्ति होगी। हिसार के खादर में 1200 मेगावाट के राजीव गांधी ताप विद्युत संयंत्र का काम भी जारी है। इस परियोजना का निर्माण कार्य दो चरणों में पूरा किया जाएगा।

पहले चरण में 600 मेगावाट के संयंत्र को दिसंबर 2009 के अंत तक शुरू किया जाएगा। जबकि दूसरा चरण मार्च 2010 के अंत तक शुरू होगा। इसके अलावा राज्य सरकार ने 2012 के अंत तक 500 मेगावाट बिजली अक्षय ऊर्जा के तहत उत्पादित करने की योजना भी बनाई है।

First Published - November 13, 2008 | 11:34 PM IST

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