पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भले ही मैदान में टीम इंडिया से आगे नहीं निकल पाती हो, लेकिन क्रिकेट सामान के बाजार में पाकिस्तान जरूर भारत को पछाड़ता दिख रहा है।
आईसीसी ने भले ही क्रिकेट के सामान की गुणवत्ता के लिए कुछ मानदंड बना दिए हों, बावजूद इसके सस्ता सामान बेचने वाली पाकिस्तानी कंपनियां मंदी के दौर में भी वैश्विक क्रिकेट उत्पादों के बाजार में जलवाफरोशी कर रही हैं।
ऐसे दौर में जब दुनिया के कई मुल्क बुरी तरह आर्थिक मंदी के शिकार हो रहे हैं और वहां पर हर तरह की चीजों की मांग कम हो रही है, ऐसे में क्रिकेट से जुड़े उत्पाद भी अपवाद नहीं बन पा रहे हैं।
निर्यात के ऑर्डर तो दोनों देशों की कंपनियों के घट रहे हैं लेकिन फिलहाल पाकिस्तानी कंपनियां वैश्विक स्तर पर माल बेचने में आगे दिखाई पड़ रही हैं। भारत में जहां यह उद्योग मेरठ और जालंधर जैसे शहरों में केंद्रित है वहीं पाकिस्तान में सियालकोट शहर की पहचान इसी से जुड़ी हुई है।
मेरठ में क्रिकेट का सामान बनाने वाली एक प्रमुख कंपनी एसजी स्पोर्ट्स के एक अधिकारी कहते हैं, ‘पाकिस्तान में कई चीजें इस उद्योग को सहारा दे रही हैं। इसलिए वहां की कंपनियों की लागत कम पड़ती है जबकि हम चाहे कितनी कमी करना चाहें, लागत उनसे ज्यादा बैठती है, जिसके चलते वैश्विक बाजार में पाकिस्तानी कंपनियां कम दामों पर अपने उत्पाद बेचने में कामयाब हो रही हैं। ‘ उनकी बात में दम भी नजर आता है।
बेहतरीन बल्ले बनाने के लिए काम में आने वाली ‘इंग्लिश विलो’ का ही उदाहरण लें। इस बेहतरीन किस्म की लकड़ी का उत्पादन दुनिया में केवल जे के ब्राइड नाम की एक ब्रिटिश कंपनी ही करती है। भारत में इस लकड़ी को मंगाने पर काफी टैक्स देना पड़ता है जबकि पाकिस्तान में इस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।
भारत में इससे बने एक बल्ले की कीमत 25 से 30 हजार रुपये तक बैठती है जबकि पाकिस्तान में इसी लकड़ी से बने बल्ले 15 से 18 हजार रुपये में आसानी से मिल जाते हैं। दुनिया भर में ज्यादातर क्रिकेटर इसी लकड़ी से बने बल्लों से खेलते हैं।
पाकिस्तान में सीए स्पोर्ट्स, एहसान स्पोर्ट्स, मलिक स्पोर्ट्स और एएस जैसी कंपनियां मुख्य रूप से क्रिकेट उत्पादों का निर्यात करती हैं। एहसान स्पोर्ट्स के मो. आसिफ ने सियालकोट से फोन पर बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ऐसा नहीं है कि हमारे मुल्क में इस धंधे के लिए मुश्किलें नहीं हैं।
हमें भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।’ लेकिन कंपनी के निर्यात में कमी के बाबत उन्होंने कहा, ‘यूरोप के देशों से मांग में जरूर कुछ कमी आई है लेकिन अरब देशों से मांग ज्यादा होने से इसकी भरपाई हो जाएगी।’
वहीं देसी कंपनियों के निर्यात में कमी साफ तौर से दिख रही है। क्रिकेट उत्पाद तैयार करने वाली देश की प्रमुख कंपनी बीडीएम स्पोर्ट्स के निदेशक राकेश महाजन कहते हैं, ‘अमेरिका और यूरोप में हजारों क्लब हैं और ये क्लब काफी मात्रा में क्रिकेट के सामान का आयात करते रहे हैं। लेकिन इस साल इन जगहों से मांग में 20 फीसदी की कमी का अंदेशा है। आने वाले साल में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।’
भारत में क्रिकेट के कई सामान उत्पाद शुल्क के दायरे में आते हैं। इन खेल उत्पादों को छूट देने संबंधी मामला लघु उद्योग मंत्रालय में लंबित है।
क्रिकेट का सामान बेचने में पाकिस्तान की कंपनियां आगे
मंदी की वजह से भारत में निर्यात ठेकों में आई कमी
पाकिस्तानी कंपनियां बेच रहीं कम कीमत पर
भारत में तमाम करों की वजह से लागत ज्यादा