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चुनावी साल में चालू होगी एक और मिल !

Last Updated- December 08, 2022 | 7:44 AM IST

आम चुनावों की आहट कानपुर के हजारों मजदूरों के चेहरों पर मुस्कान ला सकती है।


पिछले 20 साल से शहर की बंद पड़ी मिलों को चालू करने के लिए हड़ताल पर बैठे मजदूरों की मांग पर अचानक प्रशासन मुस्तैद हो गया है।

पिछले महीने जेके जूट मिल को चालू करने के बाद अब जेके कॉटन मिल को फिर से शुरू करने की कवायद जोर पकड़ चुकी है। इसके लिए जमीनी काम भी शुरू हो चुका है।

श्रम आयुक्त ने मिल प्रबंधन और हड़ताली मजदूर संघों के साथ बैठक कर मिल को फिर से चालू करने की संभावनाओं पर विचार किया।

श्रम आयुक्त सीताराम मीना ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘अगले तीन महीनों के भीतर मिल फिर से शुरू हो सकती है। हमने प्रबंधन और मजदूरों के बीच विवाद की विभागीय जांच शुरू कर दी है।’

अतिरिक्त श्रम आयुक्त श्रीराम सिंह ने बताया कि वह प्रबंधन  और मजदूर संघों के बीच सहमति कायम करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि ‘हम चाहते हैं कि पहले मजदूर संगठन मिल को फिर से चालू कराने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर लें और उसके बाद त्रिपक्षीय वार्ता के अगले दौर की शुरूआत की जाए।’


लंबे समय तक विवादों के बाद मिल का मालिकाना हक रखने वाले जेके समूह ने 1989 में मिल को बंद करने का फैसला किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने तालाबंदी को गैर कानूनी ठहराते हुए मिल को सील कर दिया। मजदूर तब से मिल को फिर से चालू करने की मांग कर रहे हैं।

प्रबंधन को अभी भी 4200 कर्मचारियों के बकाये का भुगतान करना है। औद्योगिक और वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड (बीआईएफआर) ने इस मांग पर कार्रवाई करते हुए पुनरुद्धार पैकेज तैयार किया और उसे मंजूरी दी।

साथ ही मजदूरों और प्रबंधन ने भी मिल को फिर से शुरू करने के लिए अपनी ओर से कदम बढ़ाए। इसके बाद राज्य सरकार ने सीलिंग के आदेश को रद्द कर दिया और बीते महीने की 24 तारीख को ताला खोल दिया।

मिल प्रबंधन ने राज्य सरकार से कुछ छूट और राहत की मांग भी की है ताकि मिल को जल्द चालू किया जा सके। जेके कॉटन मिल के प्रबंध निदेशक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मजदूर संगठनों के साथ बातचीत निर्णायक दौर में है और किसी सर्वसम्मत समाधान की जल्द उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि मजदूरो के बकाए जैसे कुछ मसलों को हल करना बाकी है। इनका समाधान होते ही हम मिल को फिर से चालू करने की तारीख की घोषणा कर देंगे। मिल की क्षमता प्रतिदिन एक लाख डेनिम कपड़ा तैयार करने की है।

मिल में स्विटजरलैंड का एक कम्प्यूटरीकृत लूम भी है। इसे 1989 में 12 लाख रुपये में खरीदा गया था। यह अभी भी अच्छी हालत में है। इस लूम की कीमत इस समय 1 करोड़ रुपये है।

जेके कॉटन श्रमिक संघ के सचिव केशरी नारायण मौर्या ने बताया कि असंतोष की प्रमुख वजह मिल का बंद होना थी।

उन्होंने बताया कि ‘हम पूरे मामले को अलग नजरिए से देख रहे हैं और अब हम श्रमिकों के हितों को देखते हुए अपनी राजनीतिक विचारधारा से भी समझौता करने का मन बना रहे हैं।’ हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि मिल को जल्द चालू करने के लिए वह किस तरह के समझौते करने जा रहे हैं।

मौर्या ने दावा किया कि मिल में काम शुरू करने के लिए उन्होंने कानपुर के जिलाधिकारी अनिल सागर को भी ज्ञापन दिया है।

मिल को फिर से शुरू करना जेके समूह के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मिल से जुड़ी समूह की परिसंपत्तियां बाराखंभा रोड, नई दिल्ली, कमलाबाग, जेके रेयान और लक्ष्मी बाग में भी है।

इस बीच शहर में एल्गिन मिल को भी फिर से खोलने के लिए प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। बीते वर्षो के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह सहित कई बड़े नेता एल्गिन मिल को फिर से खोलने का वादा कर चुके हैं लेकिन इन वादों को अभी तक हकीकत में तब्दील होने का इंतजार है।

First Published - December 7, 2008 | 9:22 PM IST

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