राज्य में कुकुरमुत्तों की तरह यहां-वहां तेजी से उग आए तकनीकी संस्थानों पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कानपुर में एक नया तकनीकी विश्वविद्यालय बनाने की योजना बना रही है।
इसके जरिए सरकार राज्य के तकनीकी संस्थानों के बुनियादी ढांचे और नियामकों को और बेहतर बनाने की कोशिश करेगी। राज्य सरकार के मुख्य सचिव (शिक्षा) आलोक रंजन और वित्त सचिव अनूप मिश्रा को इस परियोजना की रणनीति तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है।
हाल ही में हुई सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में मौजूदा तकनीकी संस्थानों को और बेहतर बनाने के लिए यह फैसला लिया गया है। विशेष सचिव (शिक्षा) आर एन सिंह ने बताया, ‘पिछले कुछ साल से राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
जिस कारण तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है।’ फिलहाल उत्तर प्रदेश में 466 इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थान हैं। सभी प्रबंधन संस्थान उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) से संबंधित हैं।
यूपीटीयू हर साल प्रवेश परीक्षा से अतिरिक्त क ई परीक्षाएं आयोजित कराती है। इन परीक्षाओं के जरिए लगभग 15 लाख छात्र कई पाठयक्रमों में दाखिला लेते हैं। इससे विश्वविद्यालय के पास शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देकर सुधारने का समय नहीं रहता है।
इसके अलावा आने वाले समय में छात्रों की संख्या में इजाफा ही होने वाला है। आलोक रंजन ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य उच्च स्तर पर मिलने वाली शिक्षा और होने वाले शोध की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा सके।
इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किए बगैर पाठयक्रमों में सीटें बढ़ाई जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए अलग से किसी फंड की जरूरत नहीं होगी। यूपीटीयू की तरह यह भी एक स्वायत्त विश्वविद्यालय होगा।
यूपीटीयू के जनसंपर्क अधिकारी ने भी बताया कि राज्य में एक और तकनीकी विश्वविद्यालय की बेहद जरूरत है। उन्होंने बताया, ‘हमारे राज्य के कॉलेज आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के इंजीनियरिंग कॉलेजों के मुकाबले गुणवत्ता में काफी पीछे हैं। दरअसल उन राज्यों में पढ़ाई की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए कई विश्वविद्यालय मौजूद हैं।’
उन्होंने बताया कि बाकी राज्यों में एक विश्वविद्यालय के तहत 120 संस्थान होते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में यूपीटीयू के तहत 450 कॉलेज हैं।
उन्होंने कहा, ‘अगर हमें अपने छात्रों को बाकी राज्यों के छात्रों के बराबर प्लेसमेंट के मौके दिलाने है तो राज्य में एक और विश्वविद्यालय की सख्त जरूरत है।’